एथलेटिक्सः मंडी से नालागढ़ तक

By: May 31st, 2019 12:07 am

भूपिंदर सिंह

राष्ट्रीय एथलेटिक प्रशिक्षक

मंडी से नालागढ़ तक के इस सफर के 45 वर्षों में काफी कुछ सुधरा है। हिमाचल में अंतरराष्ट्रीय स्तर के एक नहीं तीन सिंथैटिक टै्रक हैं। कई धावक-धाविकाएं राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पदक विजेता हैं, कई राष्ट्रीय तकनीकी अधिकारी हैं। ऐसे में हम अपने धावक-धाविकाओं को अच्छा मंच तो दे ही सकते हैं। धावक-धाविकाओं से उत्कृष्ट प्रदर्शन करवाना ही जब संघ का मकसद है, तो फिर भविष्य में हमें अपनी राज्य स्तरीय प्रतियोगिता सिंथैटिक टै्रक पर करवानी चाहिए। अगर हर जिले में एथलेटिक्स के प्रसार की जरूरत है, तो वहां  बिना कंकड़-पत्थर का समतल ट्रैक होना चाहिए…

हिमाचल प्रदेश एथलेटिक संघ का गठन 1974 में जीएस पूरेवाल प्रधान, डा. पदम सिंह गुलेरिया सचिव तथा अन्य पदाधिकारियों से हुआ था। इसी सत्र 1974-75 के लिए मंडी के पड्डल मैदान में पहली हिमाचल प्रदेश राज्य एथलेटिक्स प्रतियोगिता का आयोजन भी हुआ तथा उसमें मंडी के राम सिंह को सर्वश्रेष्ठ धावक के खिताब से नवाजा गया था। इसके बाद हिमाचल एथलेटिक्स में कई उतार-चढ़ाव देखे गए। हमीरपुर का विजय कुमार कनिष्ठ वर्ग में हिमाचल के लिए पहला पदक विजेता राष्ट्रीय स्तर पर बना। सुमन रावत ने लंबी दूरी की दौड़ों में बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए राष्ट्रीय स्तर पर पदक जीतते हुए एशियाई खेलों के कांस्य पदक से अर्जुन अवार्ड का सफर तय किया। स्वर्गीय कमलेश कुमारी ने भी 1989 की एशियाई एथलेटिक्स में भारत का प्रतिनिधित्व किया। पुरुष वर्ग में अमन सैणी ने लंबी दूरी की दौड़ों में राष्ट्रीय स्तर पर पदक जीतकर एशियन एफ्रो खेलों में भारत का प्रतिनिधित्व पांच हजार मीटर की दौड़ में किया। तेज गति की दौड़ों में हमीरपुर की पुष्पा ठाकुर 400 मीटर में वरिष्ठ राष्ट्रीय स्तर पर पदक प्राप्त करने वाली पहली हिमाचली बनी। इसी तरह हमीरपुर प्रशिक्षण केंद्र की संजो देवी ने भी भाला प्रक्षेपण में राष्ट्रीय विजेता बनकर यह बता दिया कि हिमाचल प्रदेश में भी थ्रोअर हो सकते हैं।

कनिष्ठ राष्ट्रीय स्तर पर कई हिमाचली धावक-धाविकाओं ने पदक जीते हैं। वर्तमान में चंबा जिला की सीमा ने लंबी दूरी की दौड़ों में बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए कनिष्ठ एशियाई एथलेटिक्स के साथ-साथ यूथ ओलंपिक तक भारत का प्रतिनिधित्व किया है। इस समय यह धाविका खेलो इंडिया की अकादमी भोपाल में आगामी अंतरराष्ट्रीय एथलेटिक्स प्रतियोगिताओं की तैयारी कर रही है। इस वर्ष हिमाचल प्रदेश एथलेटिक्स संघ ने अपनी राज्य स्तरीय प्रतियोगिता नालागढ़ में आयोजित की। इस प्रतियोगिता को नालागढ़ के सरकारी महाविद्यालय परिसर में बने नए ऊबड़-खाबड़ मैदान पर करवाया गया। सभी एथलीट प्ले फील्ड की शिकायत करते देखे गए। जब हिमाचल में आज तीन सिंथैटिक टै्रक सहित कई अच्छे घास के ट्रैक भी हैं, तो फिर ऐसी जगह प्रतियोगिता क्यों? इस सबके बावजूद प्रो. कुलदीप सिंह ने इस आयोजन को पूरा करने के लिए पूरा प्रयास किया। सफलतापूर्वक इस प्रतियोगिता को संपन्न करने में विभिन्न जिलों से आए तकनीकी अधिकारियों ने भी पूरा-पूरा सहयोग दिया। धर्मशाला में प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे कांगड़ा के पारस ने 100 मीटर की दौड़ को 10.7 सेकंड में दौड़कर सबका ध्यान अपनी ओर खींचा है। इसी प्रशिक्षण केंद्र की गार्गी तथा अनीश चंदेल ने लंबी दूरी की दौड़ों में काफी अच्छा प्रदर्शन किया। खेलो इंडिया में हिमाचल की तरफ से दौड़ते हुए 800 मीटर में स्वर्ण पदक प्राप्त करने वाले अंकेश चौधरी ने यहां पर भी 800 मीटर की दौड़ को एक मिनट 52 सेकंड में दौड़कर शानदार प्रदर्शन किया। इस धावक ने अभी हाल ही में सेना में नौकरी ज्वाइन कर ली है, भविष्य में इस धावक से काफी उम्मीद है। भारतीय खेल प्राधिकरण के महिला खेल छात्रावास की धाविकाओं से सुसज्जित कांगड़ा जिला की टीम ने इस प्रतियोगिता की विजेता ट्रॉफी पर कब्जा जमा लिया। मात्र दो अंकों से पीछे रहते हुए हमीरपुर जिला की टीम को उपविजेता ट्रॉफी से ही संतोष करना पड़ा है।

हमीरपुर के शानदार प्रदर्शन में बबीता, दिव्य, शिवाली, कोस्तोव डिकोस्टा तथा गुरसिमरण के दो-दो स्वर्ण पदकों तथा प्रिय ठाकुर, नमन, रोहित के स्वर्ण पदकों व अन्य पदक विजेता धावक-धाविकाओं का योगदान महत्त्वपूर्ण रहा है। इस प्रतियोगिता में मंडी, बिलासपुर, ऊना, शिमला, कुल्लू, सिरमौर व सोलन के धावक-धाविकाओं का प्रदर्शन भी कई प्रतिस्पर्धाओं में अच्छा रहा। भारतीय एथलेटिक्स महासंघ ने अगले वर्ष से वरिष्ठ व कनिष्ठ स्तर पर अलग-अलग जगह, अलग तिथियों में प्रतियोगिता करवाने का निर्देश दिया है। राष्ट्रीय डोपिंग रोधी संस्था ने भी लिखा है कि उन्हें राज्य स्तरीय प्रतियोगिता की तिथियों तथा स्थान के बारे में पहले अवगत करवाया जाए, ताकि वह प्रतियोगिता के समय सैंपल ले सके। कनिष्ठ स्तर तक फैल रही डोपिंग जैसी बुराई को दूर करने के लिए यह जरूरी कदम है। मंडी से नालागढ़ तक के इस सफर के 45 वर्षों में काफी कुछ सुधरा है।

हिमाचल में अंतरराष्ट्रीय स्तर के एक नहीं तीन सिंथैटिक टै्रक हैं। कई धावक-धाविकाएं राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पदक विजेता हैं, कई राष्ट्रीय तकनीकी अधिकारी हैं। ऐसे में हम अपने धावक-धाविकाओं को अच्छा मंच तो दे ही सकते हैं। धावक-धाविकाओं से उत्कृष्ट प्रदर्शन करवाना ही जब संघ का मकसद है, तो फिर भविष्य में हमें अपनी राज्य स्तरीय प्रतियोगिता सिंथैटिक टै्रक पर करवानी चाहिए। अगर हर जिले में एथलेटिक्स के प्रसार की जरूरत है, तो वहां पर अच्छा पानी लगा बिना कंकड़-पत्थर का समतल ट्रैक होना चाहिए। खिलाडि़यों को अच्छा रहना और खाना चाहिए होता है, उसके लिए जिला संघ तथा अभिभावकों को राज्य संघ से तालमेल बिठाकर सुविधा जुटानी चाहिए, ताकि हम भविष्य में अच्छे परिणाम देख सकें।

ई-मेल-bhupindersinghhmr@gmail.com


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