खेल विंग को तरसते खिलाड़ी

By: May 10th, 2019 12:07 am

भूपिंदर सिंह

राष्ट्रीय एथलेटिक प्रशिक्षक

धर्मशाला व बिलासपुर में खेल छात्रावास हैं, इसलिए हमीरपुर महाविद्यालय में खेल विंग एथलेटिक्स के लिए चल सकता है। वर्षों पूर्व यहां पर जब निजी स्तर पर निःशुल्क एथलेटिक प्रशिक्षण चला तो लगभग दो दशकों से अधिक समय तक यह महाविद्यालय एथलेटिक्स में राष्ट्रीय स्तर पर पदक जीतता रहा है। यहां पर जूडो, कुश्ती, टेबल टेनिस, भारोत्तोलन आदि खेलों के लिए भी हमीरपुर के सरकारी महाविद्यालय में बहुमंजिला खेल परिषद बनकर तैयार हो गया है। ऊना में ट्रॉफी एस्ट्रो टर्फ बिछा है, वहां पर खेल छात्रावास में हाकी ही नहीं है। वहां महाविद्यालय में हाकी का खेल विंग होना चाहिए…

किसी भी स्तर पर ऊपर उठना है, तो उसके लिए प्रतिस्पर्धा के साथ-साथ माकूल सुविधाओं के साथ तैयारी भी बेहद जरूरी है। खेल एक ऐसा विषय है, जिसमें मानसिक व शारीरिक दोनों तरह से खिलाड़ी का फिट रहना जरूरी है। वर्षों पहले हिमाचल के स्कूलों में विभिन्न खेलों के लिए अलग-अलग जगह खेल छात्रावास शुरू कर दिए गए हैं। सुविधाओं के अभाव में भी यहां से समय-समय पर अच्छे खिलाड़ी निकलते रहे हैं। माजरा खेल छात्रावास से हाकी की लड़कियां, पपरोला से बास्केटबाल के लड़के, मत्याना रोहड़ू से वालीबाल के लड़के तथा कोटखाई से वालीबाल की लड़कियां स्कूल राष्ट्रीय खेलों में हिमाचल की पहचान बनाते रहे हैं। स्कूली स्तर पर बास्केटबाल की लड़कियों के लिए इस वर्ष से सरकाघाट में खेल छात्रावास शुरू हो रहा है।

इस सबके साथ-साथ भारतीय खेल प्राधिकरण के धर्मशाला व बिलासुपर में, राज्य खेल विभाग के ऊना व बिलासपुर में खेल छात्रावास चल रहे हैं। इन खेल छात्रावासों से भी प्रदेश ने देश को अच्छे खिलाड़ी दिए हैं । इन खेल छात्रावासों में खिलाड़ी बीस वर्ष की आयु तक ही ट्रेनिंग प्राप्त कर सकता है। यह अलग बात है कि कुछ राष्ट्रीय पदक विजेता खिलाडि़यों को थोड़ा अधिक उम्र तक रहने की अनुमति जरूर मिल जाती है। हिमाचल की भौगोलिक दशा को देखते हुए ये सब खेल छात्रावास इतने बड़े हिमाचल के लिए काफी नहीं हैं। हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय शिमला के अंतर्गत इस समय सौ से भी अधिक महाविद्यालय विभिन्न विषयों में हजारों विद्यार्थियों को शिक्षण दे रहे हैं और आज तक किसी भी महाविद्यालय के पास किसी भी खेल के लिए खेल विंग शुरू नहीं हो पाया है। यह अलग बात है कि जहां-जहां खेल छात्रावास हैं, उनके खिलाड़ी जरूर धर्मशाला, बिलासपुर व ऊना के सरकारी महाविद्यालयों को मिलते रहते हैं।

इन खिलाडि़यों के कारण ही ये महाविद्यालय कई खेलों में पदक व ट्रॉफियां जीतते रहे हैं और अन्य महाविद्यालयों के साथ एकतरफा मुकाबला करके स्वयं भी प्रतिस्पर्धा की कमी महसूस करते हैं। हिमाचल में खेल प्रतिभाओं की कमी नहीं है, जरूरत है उन्हें तराशने की। इसके लिए हिमाचल प्रदेश के महाविद्यालयों में खेल सुविधा के अनुसार वहां पर उस खेल का विंग शुरू कर देना चाहिए। पंजाब के विभिन्न विश्वविद्यालयों के महाविद्यालयों में खेल विंग पिछले कई दशकों से चल रहे हैं। इसी तरह हरियाणा में खेल नर्सरियों की भरमार है। पंजाबी विश्वविद्यालय पटियाला तो स्वयं अपने खर्चे से भी परिषद व विभिन्न महाविद्यालयों में खेल विंग चलाता है। यही कारण है कि पंजाबी विश्वविद्यालय भी अब मौलाना ट्रॉफी पर कब्जा कर देश के सर्वश्रेष्ठ खेल में अग्रणी विश्वविद्यालयों में शुमार हो गया है। इस समय प्रदेश में बहुत अच्छा खेल ढांचा है, हमीरपुर, बिलासपुर व धर्मशाला महाविद्यालयों  के लिए एथलेटिक के सिंथेटिक ट्रैकों की सुविधा है। धर्मशाला व बिलासपुर में खेल छात्रावास हैं, इसलिए हमीरपुर महाविद्यालय में खेल विंग एथलेटिक्स के लिए चल सकता है। वर्षों पूर्व यहां पर जब निजी स्तर पर निःशुल्क एथलेटिक प्रशिक्षण चला तो लगभग दो दशकों से अधिक समय तक यह महाविद्यालय एथलेटिक्स में राष्ट्रीय स्तर पर पदक जीतता रहा है।

यहां पर जूडो, कुश्ती, टेबल टेनिस, भारोत्तोलन आदि खेलों के लिए भी हमीरपुर के सरकारी महाविद्यालय में बहुमंजिला खेल परिषद बनकर तैयार हो गया है। ऊना में ट्रॉफी एस्ट्रो टर्फ बिछा है, वहां पर खेल छात्रावास में हाकी ही नहीं है। वहां महाविद्यालय में हाकी का खेल विंग होना चाहिए। मंडी, चंबा, सुजानपुर, जयसिंहपुर, नाहन, सुंदरनगर आदि स्थानों पर अच्छे मैदान हैं। वहां पर फुटबाल के लिए विंग हो सकता है। पानी की खेलों के लिए पौंग डैम व गोबिंदसागर के साथ लगते महाविद्यालय में खेल विंग चलाने चाहिए। इसी तरह कई महाविद्यालयों में विभिन्न खेलों के लिए सुविधा है और इसी सुविधा के अनुसार उस खेल का विंग यदि सरकार चलाती है, तो विद्यार्थी खिलाड़ी को अपने खेल को निखारने का पूरा-पूरा मौका मिलेगा, जिससे हिमाचल के खिलाडि़यों को पलायन किए बगैर ही अपने राज्य में प्रशिक्षण सुविधा मिल जाएगी, जिसका दशकों से इंतजार हो रहा है।

ई-मेल-bhupindersinghhmr@gmail.com

हिमाचली लेखकों के लिए

लेखकों से आग्रह है कि इस स्तंभ के लिए सीमित आकार के लेख अपने परिचय तथा चित्र सहित भेजें। हिमाचल से संबंधित उन्हीं विषयों पर गौर होगा, जो तथ्यपुष्ट, अनुसंधान व अनुभव के आधार पर लिखे गए होंगे।

-संपादक


Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also,  Download our Android App