चमकी बुखार और क्रिकेटी माया
रामविलास जांगिड़
स्वतंत्र लेखक
उसी पुराने बरगद के पेड़ से विक्रम ने बेताल का शव अपने कंधे पर उठाया। शव बोल पड़ा ‘हे विक्रम! इन दिनों भारत भूमि में कुछ अजब-गजब दिखाई पड़ रहा है। चारों ओर बैट और बल्ले की पूजा चल रही है। मेरे मन में भारी उथल-पुथल मची है। आज मैं प्रश्न पूछता हूं, सही-सही जवाब देना, वरना एक झटके में रन आउट और हिट विकेट दोनों ही एक साथ कर दूंगा।’ विक्रम चुपचाप चलता रहा, बेताल ने पूछा- यह चिमकी बुखार से पीडि़त बच्चों, पानी को भयंकर हाहाकार, सरकारी स्कूलों में मास्टरों की कमी, सड़कों पर ठोकर खाते बेरोजगार आदि पर सरकार और संसद चुप क्यों बैठी है? विक्रम चिल्लाया- पागल है तू, सुन! इन दिनों क्रिकेट का विश्व कप महोत्सव चल रहा है। इस अवसर पर कोई भी किसी भी बात पर कोई ध्यान नहीं देता है और केवल क्रिकेट का स्कोर ही पूछता है। कोई कितना ही घोटाला करे, कितने ही चिमकी-फिमकी बुखारों से मर जाएं और कोई 7जी की स्पीड से भी कहीं घोटाला कर दे, इस पर कोई ध्यान नहीं देगा। अभी उपयुक्त अवसर है कि जी भर कर आराम करें, खाएं-पिएं और सिर्फ क्रिकेट ही देखें-सुनें। इतना कहकर विक्रम मोबाइल पर क्रिकेट का अलर्ट हॉटस्टार देखने लगा। श्मशानघाट में यह मुर्दा फिर से जिंदा क्यों उठा? बेताल ने फिर प्रश्न फेंका। ‘तू घनघोर पागल है रे, सुन! यह इनसान था इस विषय पर तो जांच आयोग बैठेगा। यह मर गया था, तो उसके परिजन कंधे पर ढोकर उसे श्मशान ले जा रहे थे। किसी ने पीछे से कह दिया। यह पकड़ो क्रिकेट वर्ल्ड कप के टिकट। परिजन शव को जमीन पर पटक कर सब स्टेडियम की ओर दौड़ लिए फ्लाइट से। एक टिकट मुर्दे की अर्थी के पास रह गया। क्या करता मुर्दा बेचारा। वह भी टिकट लेकर सीधा स्टेडियम की ओर भाग खड़ा हुआ।’ यह दुल्हन अकेली मंडप में क्यों है? दूल्हा कहां है, बेताल ने फिर फायर किया। अरे दूल्हे को क्रिकेट वर्ल्ड कप का टिकट मिल गया है। वह कब का स्टेडियम के अंदर एंट्री कर चुका है। वह मंडप में फेरे खाने की बजाय मूंगफली और पॉपकॉर्न खाएगा और चौकों-छक्कों पर छाती पीटेगा। समझे! चिमकी बुखार और क्रिकेटी माया से कोई न हो पाया पार। विक्रम ने फिर से जवाब देते हुए अपनी आंखें हॉटस्टार क्रिकेट ऐप पर जमाए रखीं।
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