जेन कहानियां -चमत्कार
जेन गुरु बेंकई प्रचचन कर रहे थे। शिंशु नामक एक पुजारी वहां आया। वह पुजारी बुद्ध के नाम का जाप करने से मुक्ति मिलने की बात पर विश्वास रखता था। बेंकई के यहां श्रोताओं की भारी भीड़ देख कर उसे ईर्ष्या होेने लगी। उसने सभा में गड़बड़ी फैलाने की कोशिश की। बेंकई ने प्रचवन रोकते हुए शोर गुल के बारे में जानना चाहा। हमारे मत के प्रवर्तक पुजारी ने दर्प के साथ कहा, इतने चमत्कारी थे कि कलम लेकर नदी के इस किनारे खड़े होते और दूसरे किनारे पर कोई कागज लिए खड़ा रहता, जिस पर वे पवित्र सूत्र अंकित कर दिया करते थे। क्या आप कोई ऐसा चमत्कार कर सकते हैं? बेंकई ने हंस कर जवाब दिया, मुमकिन है, तुम्हारी वह लोमड़ी ऐसा कमाल कर देती हो, पर जेन का तरीका यह नहीं है। ऐसा चमत्कार तो यह है कि जब भूख लगती है, तब भोजन करता हूं और जब प्यास लगती है, तब पानी पीता हूं।
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