सेमेस्टर में फिटनेस को जगह नहीं

By: Jun 7th, 2019 12:06 am

भूपिंदर सिंह

राष्ट्रीय एथलेटिक प्रशिक्षक

हम चाहे कितने भी किताबी कीड़े बनकर अच्छे कालेजों  से चिकित्सक, अभियंता, प्रबंधक, प्रशासनिक अधिकारी व कर्मचारी क्यों न बन जाएं, अगर हम शारीरिक रूप से फिट नहीं होंगे, तो हम ईमानदारी से देश व प्रदेश को साठ वर्ष की आयु तक अपनी सेवाएं पूर्ण रूप से नहीं दे पाएंगे। अगर विद्यार्थी जीवन में हम अपनी शारीरिक क्षमताओं का विकास नहीं कर पाते हैं, तो फिर हम 40 वर्ष के बाद फिट नहीं रह सकते हैं। इसलिए यह जरूरी हो जाता है कि रट्टे की पढ़ाई में डूब जाने से अच्छा होगा अगर हम विद्यार्थियों का संपूर्ण मानसिक व शारीरिक विकास करें। एकतरफा पढ़ाई की धुन में हमें शिक्षा की परिभाषा को नहीं भूलना चाहिए…

विद्यार्थी का स्कूली जीवन जो पांच वर्ष की आयु से लेकर 17 वर्ष पूरे होने तक लगभग 12 वर्ष तक चलता है, उस समय उसे पूरी तरह ऐसा वातावरण मिलना चाहिए, जिससे उसका संपूर्ण रूप से मानसिक व शारीरिक विकास हो सके। हिमाचल प्रदेश के स्कूलों में, चाहे वे सरकारी हों या निजी, 95 प्रतिशत स्कूलों में खेल मैदान ही नहीं हैं। किसी भी स्कूल के पास विद्यार्थियों की फिटनेस के लिए कोई भी कार्यक्रम नहीं है। ऐसे में अब सरकार कह रही है कि स्कूलोें में परीक्षाएं वार्षिक न होकर छह माह में होंगी। इस तरह का परीक्षा कार्यक्रम कालेज स्तर पर रूसा प्रणाली के अंतर्गत पिछले कुछ वर्षों तक हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय ने अपनाया था। उससे विद्यार्थियों की खेल तथा अन्य युवा गतिविधियां लगभग बंद ही हो गई थीं। जब हर छह माह बाद परीक्षा होनी होती है, तो फिर विद्यार्थी की पढ़ाई का कार्यक्रम इतना व्यस्त हो जाता है कि उसके पास अपनी खेल ट्रेनिंग या अन्य गतिविधियों के अभ्यास के लिए समय ही नहीं बचता है। हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों के भारी विरोध के कारण राजनीतिक पार्टियों को अपने चुनावी घोषणा-पत्रों में इस सेमेस्टर सिस्टम को बंद करने का वादा करना पड़ा था। अब कालेज स्तर पर तो परीक्षा वार्षिक ली जा रही है, मगर स्कूली स्तर पर सेमेस्टर सिस्टम की बात चल पड़ी है। हिमाचल प्रदेश की जलवायु देश के अन्य प्रदेशों से भिन्न है। यहां पर बरसात के मौसम में खूब बादल बरसते हैं और सर्दियों में  ऊंचाई वाले जिलों में खूब बर्फ पड़ती है, उससे प्रदेश में काफी सर्दी होती है। इस कारण वर्ष में कुछ महीने तो यूं ही खत्म हो जाते हैं। जब वर्ष में दो बार परीक्षा होगी, तो लगभग दो महीने यहां भी खत्म समझो। ऐसे में हम कब अपने विद्यार्थियों की फिटनेस के लिए समय निकालेंगे।

वैसे भी हिमाचल प्रदेश में पढ़ाई के नाम पर ड्रिल का पीरियड खत्म है। खंड स्तर पर सैकड़ों स्कूलों में से दर्जनभर स्कूल ही कई बार खेलों व अन्य गतिविधियों की प्रतियोगिताओं में भाग ले पाते हैं। खेल व अन्य गतिविधियों में शिरकत तो प्रत्येक विद्यार्थी को अनिवार्य रूप से करनी चाहिए, क्योंकि इस जीवन में हर एक विद्यार्थी का संपूर्ण मानसिक व शारीरिक विकास जरूरी है। हिमाचल प्रदेश के स्कूलों में नौवीं कक्षा से लेकर 12वीं कक्षा के विद्यार्थी बोर्ड से संबंधित परीक्षाओं को देते हैं और आठवीं तक का सारा कार्यक्रम शिक्षा विभाग तय करता है। उच्च तथा वरिष्ठ व माध्यमिक विद्यालय स्तर पर अब नौवीं से लेकर 12वीं कक्षा के विद्यार्थियों की परीक्षा सेमेस्टर प्रणाली के अंतर्गत वर्ष में दो बार होगी। यही समय है जब विद्यार्थी को पढ़ाई के साथ-साथ अपने खेल व अन्य गतिविधियों के हुनर को दिखाने के लिए प्रतियोगिता तो चाहिए ही, साथ ही साथ इसके लिए प्रशिक्षण भी चाहिए होता है। जब वर्ष में दो बार पक्की परीक्षा होगी, तो फिर विद्यार्थी कैसे और कब अपने संपूर्ण विकास के लिए खेल व अन्य गतिविधियों के लिए समय निकालेगा।

आज जब सरकारी क्षेत्र की नौकरियां खत्म हो रही हैं, आपको निजी क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा के लिए शारीरिक व मानसिक रूप से पूरी तरह तैयार होना पड़ेगा। हम चाहे कितने भी किताबी कीड़े बनकर अच्छे कालेजों  से चिकित्सक, अभियंता, प्रबंधक, प्रशासनिक अधिकारी व कर्मचारी क्यों न बन जाएं, अगर हम शारीरिक रूप से फिट नहीं होंगे, तो हम ईमानदारी से देश व प्रदेश को साठ वर्ष की आयु तक अपनी सेवाएं पूर्ण रूप से नहीं दे पाएंगे। अगर विद्यार्थी जीवन में हम अपनी शारीरिक क्षमताओं का विकास नहीं कर पाते हैं, तो फिर हम 40 वर्ष के बाद फिट नहीं रह सकते हैं। इसलिए यह जरूरी हो जाता है कि रट्टे की पढ़ाई में डूब जाने से अच्छा होगा अगर हम विद्यार्थियों का संपूर्ण मानसिक व शारीरिक विकास करें। एकतरफा पढ़ाई की धुन में हमें शिक्षा की परिभाषा को नहीं भूलना चाहिए।

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हिमाचली लेखकों के लिए

लेखकों से आग्रह है कि इस स्तंभ के लिए सीमित आकार के लेख अपने परिचय तथा चित्र सहित भेजें। हिमाचल से संबंधित उन्हीं विषयों पर गौर होगा, जो तथ्यपुष्ट, अनुसंधान व अनुभव के आधार पर लिखे गए होंगे।                                               

-संपादक


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