एनजीटी में नौ को रखा जाएगा पक्ष

By: Jul 3rd, 2019 12:01 am

स्टोन क्रशर मामले में ग्रीन ट्रिब्यूनल ने बुलाए अधिकारी

शिमला – प्रदेश की नदियों, खड्डों व बावडि़यों के 100 मीटर के दायरे में लगे स्टोन क्रशर को बंद किए जाने के फरमान पर स्टे के बाद सुनवाई चल रही है। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद एनजीटी ने विशेषज्ञों की एक कमेटी बनाई थी, जिसने अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। सूत्र बताते हैं कि कमेटी की जो रिपोर्ट आई है, उसमें कमेंट्स के लिए हिमाचल के अधिकारियों को बुलाया गया है। दिल्ली में नौ जुलाई को इस मामले में सुनवाई रखी गई है, जहां हिमाचल के अधिकारी अपना पक्ष रखेंगे। विशेषज्ञों की कमेटी ने जो रिपोर्ट दी है, उसमें उन्होंने किन बातों का जिक्र किया है, इस पर हिमाचल को जवाब देना होगा। बता दें कि हिमाचल ने सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि पहाड़ी राज्य होने के चलते यहां साल भर छोटी-छोटी बावडि़यां चलती रहती हैं। यहां बरसात के दिनों में खुद ब खुद चश्मे निकल आते हैं, जहां का पानी भी लोग इस्तेमाल करते हैं। पहाड़ से निकलने वाले इस पानी को गांवों में इस्तेमाल किया जाता है, परंतु यदि इसे आधार माना जाए, तो हिमाचल में फिर एक भी स्टोन क्रशर नहीं लग पाएगा।  ऐसा होता है, तो प्रदेश में स्टोन क्रशर बंद होंगे और यहां पर निर्माण सामग्री की किल्लत हो जाएगी। ऐसा होता है, तो इसका नुकसान आम लोगों को होगा जो लगातार यहां पर निर्माण कार्यों में लगे हुए हैं। यहां पर निर्माण सामग्री की किल्लत से फिर दूसरे राज्यों से इसे लाना होगा। इतना ही नहीं, हजारों लोगों का रोजगार इससे जुड़ा हुआ है जो छिन जाएगा। प्रदेश सरकार स्टोन क्रशर को लगाने के लिए केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय द्वारा जो निर्देश हैं, उन्हें पूरी तरह से फॉलो करवाती है। साथ ही यहां राज्य सरकार ने भी अपनी नीतियां बनाई हैं, जिनसे भी स्टोन क्रशर लगाना इतना आसान नहीं है। ऐसे में यहां एनजीटी के इस तरह के आदेशों से हिमाचल में यह कारोबार पूरी तरह से बंद हो सकता है।


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