कर्नाटक का ‘नाटक’ और बढ़ा

By: Jul 20th, 2019 12:09 am

राज्यपाल की दो डेडलाइन के बावजूद नहीं हुआ फ्लोर टेस्ट, अब सोमवार पर टिकी नजरें

बंगलूर – कर्नाटक में विश्वास प्रस्ताव को लेकर जारी सियासी जंग की मियाद और बढ़ गई है। शुक्रवार देर शाम राज्यपाल वजुभाई वाला के निर्देश को दरकिनार करते हुए विधानसभा स्पीकर रमेश कुमार ने सदन की कार्यवाही 22 जुलाई (सोमवार) तक के लिए स्थगित कर दी। अब विश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग सोमवार को होगी। इससे पहले दोपहर में राज्यपाल ने सीएम को चिट्ठी लिखकर पहले डेढ़ बजे और फिर शाम छह बजे तक बहुमत साबित करने का निर्देश दिया था। राज्यपाल की चिट्ठी के खिलाफ सीएम एचडी कुमारस्वामी कोर्ट पहुंच गए। उन्होंने राज्यपाल द्वारा विश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग के लिए डेडलाइन तय करने पर आपत्ति जताते हुए कोर्ट से कहा कि वह विधानसभा की कार्यवाही में दखल नहीं दे सकते। वहीं, सदन में विश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग शुक्रवार को ही कराने को लेकर भाजपा-कांग्रेस विधायकों में जमकर बहस हुई। भाजपा विधायकों ने मामले को लंबा खींचने पर सवाल उठाते हुए कहा कि इससे विश्वास प्रस्ताव की शुचिता प्रभावित होगी। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बीएस येदियुरप्पा ने स्पीकर से यहां तक कह दिया कि प्रक्रिया में जितना समय लगता है, लगने दें। उनकी तरफ के लोग देर रात सदन में शांति से बैठने को तैयार हैं। वहीं, कांग्रेस-जेडीएस विधायकों ने सदन की कार्यवाही को सोमवार या फिर मंगलवार तक स्थगित करने की मांग की थी। हालांकि, तब इसे स्पीकर ने खारिज कर दिया था और कहा था कि उन्हें दुनिया का सामना करना है। इसके अलावा स्पीकर ने प्रक्रिया को जल्द समाप्त करने की इच्छा जताते हुए कहा था कि विश्वास प्रस्ताव पर काफी विचार-विमर्श हो चुका है और अब वह इस प्रक्रिया को आज (शुक्रवार को) ही समाप्त करना चाहते हैं। हालांकि उन्होंने बाद में कार्यवाही सोमवार तक के लिए स्थगित कर दी। इससे पहले राज्यपाल वजुभाई वाला ने गुरुवार को कर्नाटक विधानसभा के स्पीकर केआर रमेश कुमार को पहला खत लिखकर कहा था कि वह गुरुवार को ही विश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग कराए। यहां भी राज्यपाल की सलाह को अनसुना करते हुए डिप्टी स्पीकर ने गुरुवार रात को सदन की कार्यवाही को अगले दिन तक के लिए स्थगित कर दिया था। विरोध में भाजपा सदस्यों ने रातभर सदन में धरना दिया। भाजपा विधायकों ने गुरुवार रात को विधानसभा में ही खाना खाया और वहीं पर सोए भी।

लोर टेस्ट के बिना भी गिर सकती है सरकार?

संविधान विशेषज्ञ बताते हैं कि विश्वास मत हासिल करने के लिए दो बार दी गई डेडलाइन का पालन न किए जाने पर अब यह राज्यपाल के विवेक पर निर्भर करता है कि वह कुमारस्वामी को फ्लोर टेस्ट कराने के लिए और वक्त दें या सीधे सरकार बर्खास्त करने का फैसला करें। राज्यपाल के पास दूसरा विकल्प यह भी है कि अगर उन्हें लगता है कि कुमारस्वामी के पास बहुमत नहीं है तो वह किसी दूसरे ऐसे व्यक्ति को मुख्यमंत्री नियुक्त कर सकते हैं, जिसे बहुमत मिल सकता है। ऐसे में दूसरा मुख्यमंत्री कांग्रेस-जेडीएस से भी हो सकता है या भाजपा से भी हो सकता है।


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