खट्टे नहीं हैं अंगूर

By: Jul 4th, 2019 12:07 am

पीके खुराना

राजनीतिक रणनीतिकार

जब समस्याएं नई हों, तो समाधान भी नए होने चाहिएं, पुराने विचारों से चिपके रहकर हम नई समस्याओं का समाधान नहीं कर सकते। दुनिया बदल गई है और हर पल बदल रही है। इसके लिए हमें नए विचारों का स्वागत करना होगा। समस्याओं का हल नए सिरे से खोजना होगा और स्वयं को शिक्षित करना होगा। यह परिवर्तन की एक ऐसी मानसिक यात्रा है, जिस पर हम खुद ही आगे बढ़ेंगे। याद रखिए कि परिवर्तन दिमाग से शुरू होते हैं। हम इक्कीसवीं सदी में प्रवेश कर चुके हैं और सत्रहवीं सदी की मानसिकता से हम देश का विकास नहीं कर सकते…

अमीरी एक ऐसा मानवाधिकार है, जिसकी चाहत हर किसी को है। इनसान ही नहीं, दुनिया का कोई भी जीव दुख नहीं उठाना चाहता, हम तो फिर भी इनसान हैं। हम में से कोई भी गरीबी और अभावों में नहीं जीना चाहता। पैसे से चाहे हर सुख न खरीदा जा सकता हो, पर बहुत से सुख पैसे से खरीदे जा सकते हैं और यह भी सच है कि धन का अभाव बहुत से दुखों का कारण बन जाता है। यहां तक कि गरीबी कई बार आत्महत्याओं तक का कारण बन जाती है। फिर कौन चाहेगा कि वह अभावों भरा जीवन जिए या फिर जीवनभर दूसरों की कृपा का मोहताज बना रहे? अमीरी एक बुनियादी मानवाधिकार है, पर कोई आपको इसे तश्तरी में पेश नहीं करेगा। इसके लिए स्वयं आपको ही प्रयत्न करना पड़ेगा। अमीरी का अधिकार मांगने से नहीं मिलता, इसे कमाना पड़ता है।

भारतीय आम आदमी के अमीर बनने में दो बड़ी अड़चनें हैं। पहली अड़चन है- सही ज्ञान का अभाव और दूसरी अड़चन है- गलत अथवा अस्वस्थ नजरिया। अकसर हम गरीब लोगों को अमीरों की आलोचना करते हुए या उनका मजाक उड़ाते हुए पाते हैं। भारतवर्ष मूलतः एक धर्मपरायण देश है और आम आदमी धर्म-भीरू है। धर्म की हमेशा से संतोषी जीवन जीने की सीख रही है। इस सीख की आड़ में हमने आलस्य को अपना लिया और अपनी गलतियां स्वीकार करने के बजाय गरीबी को महिमामंडित करना आरंभ कर दिया। अमीरी से घृणा करके और अमीरों को शोषक मानकर हम प्रगति नहीं कर सकते। अब हम जानते हैं कि नई अर्थव्यवस्था के इस युग में ज्ञान को पूंजी बनाकर धन संपदा कमाना कोई अजूबा नहीं है। अगर हम सिर्फ इस तथ्य को समझ लें, तो हम गरीबी के कारणों का विश्लेषण करके अमीरी की ओर मजबूत कदम बढ़ा सकते हैं। एक और जानने योग्य तथ्य यह है कि भारतवर्ष एक गरीब देश है, लेकिन यहां सोने की खरीद सबसे ज्यादा होती है। शादियों के सीजन में सोने का भाव तेजी से चढ़ जाता है। पिछले कुछ सालों तक शादी का सीजन बीतने पर सोने का भाव धीरे-धीरे नीचे आ जाता था, लेकिन अब सोना भी बारहमासी हो गया है और हर साल सोने के दाम बढ़ते ही नजर आते हैं। इसके बावजूद सोने की खरीद की रफ्तार में कोई कमी नहीं दिखी। ऐसे में यह जानकर किसे आश्चर्य होगा कि भारतवर्ष में स्वर्ण की मात्रा 25 हजार टन तक पहुंच गई है। स्वर्ण की खरीद एक भावनात्मक सवाल बन गया है। समस्या यह है कि हम सोने की जमाखोरी करते हुए अपने धन का दुरुपयोग कर रहे हैं, क्योंकि यही धन अगर किसी अन्य बचत अथवा निवेश में लगता, तो हमारी आर्थिक अवस्था कहीं ज्यादा सबल होती। दरअसल बचत, निवेश और पूंजी निर्माण को लेकर हम अब भी पुरानी अर्थव्यवस्था के हिसाब से चल रहे हैं। बदलते जमाने की जरूरतों को समझे बिना हम पुरानी आदतों से चिपके हुए हैं। हम बैलगाड़ी पर बैठकर वर्तमान युग की सुपर सोनिक रफ्तार का मुकाबला करना चाह रहे हैं। बहुत से लोग अमीर होते हैं, पर वे अमीर नहीं दिखते। बहुत से लोग गरीब होते हैं, पर वे गरीब नहीं दिखते और बहुत से मध्यवर्गीय लोग वास्तविक अमीरी को जाने बिना अमीर दिखने की कोशिश में जुट जाते हैं तथा इस कोशिश में अकसर कर्ज के जाल में फंस जाते हैं। ऐसे लोग यदि प्रोमोशन हो जाए या ज्यादा बढि़या तनख्वाह वाली नई नौकरी मिल जाए या अपना बिजनेस अच्छा चल जाए, तो आपको विलासिता की वस्तुएं जुटाने और अमीर दिखने के बजाय ऐसे निवेश करने चाहिएं, जो आपके लिए अतिरिक्त आय का स्रोत बन सकें। यहां निवेश से मेरा आशय म्यूचुअल फंड या शेयरों की खरीदारी से नहीं है। यदि आपको इनकी बारीक जानकारी नहीं है, तो मैं आपको म्यूचुअल फंड या शेयर बाजार में निवेश की सलाह नहीं दूंगा। यह निवेश ऐसे काम में होना चाहिए, जहां आपकी व्यक्तिगत उपस्थिति आवश्यक न हो।

आप कोई घर खरीद कर किराए पर दे सकते हैं, रिक्शा, ऑटो रिक्शा, कार आदि खरीद कर किराए पर दे सकते हैं। कोई ऐसा व्यवसाय कर सकते हैं, जहां आपके कर्मचारी ही सारा काम संभाल लें और आपको उस व्यवसाय से होने वाला लाभ मिलता रहे। पुस्तकें लिख सकते हैं, जिसकी रायल्टी मिलती रहे, मकान या दुकान पर मोबाइल कंपनी का टावर लगवा सकते हैं, जिसका किराया आता रहे। इससे होने वाली आय पेंशन की तरह है, जहां काम भी नहीं करना पड़ता और लगातार आय का साधन भी बन जाता है। यह आपकी समृद्धि की ओर पहला कदम है। धीरे-धीरे योजनाबद्ध ढंग से ऐसे निवेश बढ़ाते रहेंगे, तो आपकी आय इतनी बढ़ जाएगी कि इस बढ़ी आय से कार, मकान या छुट्टियों पर किए जाने वाले खर्च के लिए आपको बैंक से कर्ज नहीं लेना पड़ेगा, कर्ज पर ब्याज नहीं देना पड़ेगा और कर्ज न चुका पाने का डर भी नहीं सताएगा। जब समस्याएं नई हों, तो समाधान भी नए होने चाहिएं, पुराने विचारों से चिपके रहकर हम नई समस्याओं का समाधान नहीं कर सकते। दुनिया बदल गई है और हर पल बदल रही है। इसके लिए हमें नए विचारों का स्वागत करना होगा। समस्याओं का हल नए सिरे से खोजना होगा और स्वयं को शिक्षित करना होगा।

यह परिवर्तन की एक ऐसी मानसिक यात्रा है, जिस पर हम खुद ही आगे बढ़ेंगे। याद रखिए कि परिवर्तन दिमाग से शुरू होते हैं। हम इक्कीसवीं सदी में प्रवेश कर चुके हैं और सत्रहवीं सदी की मानसिकता से हम देश का विकास नहीं कर सकते। यदि हमें गरीबी से पार पाना है, तो हमें इस मानसिक यात्रा में भागीदार होना पड़ेगा, जहां हम नए विचारों को आत्मसात कर सकें और जमाने के साथ कदम से कदम मिलाकर चल सकें। इस योजना पर काम करने से आप सिर्फ अमीर दिखेंगे ही नहीं, सचमुच के अमीर हो जाएंगे। यदि आपको लॉटरी, ‘कौन बनेगा करोड़पति’ जैसे किसी शो, अमीर जीवनसाथी से विवाह से या किसी अमीर रिश्तेदार की विरासत मिलने की उम्मीद नहीं है, तो असली अमीरी और स्थायी समृद्धि के लिए आपको इसी योजना पर काम करना चाहिए। स्थायी समृद्धि का यही एक मंत्र है, जो विश्वसनीय भी है और अनुकरणीय भी। अंगूर खट्टे नहीं हैं, सिर्फ हाथ बढ़ाने की जरूरत है।

ई-मेलः indiatotal.features@gmail


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