धवाला की राणा को ललकार
संगठन मंत्री धर्मशाला से उपचुनाव लड़कर दिखाएं, मैं मदद करूंगा
शिमला – जयराम सरकार में योजना बोर्ड के उपाध्यक्ष रमेश धवाला ने एक बार फिर से तेवर कडे़ कर दिए हैं। हालांकि सरकार और संगठन के बीच अहम बैठक के दौरान नाराजगी पर मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर डैमेज कंट्रोल कर चुके हैं, लेकिन पार्टी के संगठन मंत्री पवन राणा के एक बयान पर रमेश धवाला ने राणा के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। धवाला ने पवन राणा को धर्मशाला से उपचुनाव लड़ने की खुली चुनौती दी है। उन्होंने कहा कि चाहे तो पवन राणा ज्वालामुखी से भी चुनाव लड़ सकते हैं, जिसमें मैं पूरा सहयोग दूंगा। रमेश धवाला ने पवन राणा के उस बयान पर पलटवार किया है, जिसमें राणा ने कहा था कि रमेश धवाला को मंत्री फोबिया हो गया है। रमेश धवाला ने कहा कि उन दिनों मंत्री की कुर्सी के लिए केंद्र और राज्य में नेता लॉबिंग करते थे, लेकिन मैं अपने घर पर रहता था। सूत्रों के मुताबिक जिला कांगड़ा से पूर्व मंत्री किशन कपूर के सांसद बनने के बाद रमेश धवाला मंत्री पद के लिए भितरी खाते जोर लगा रहे हैं। यही नहीं, बल्कि मंडी जिला से भी एक मंत्री पद खाली चल रहा है। ऐसे में जयराम सरकार में दो मंत्रियों के पद खाली चल रहे हैं। इसे देखते हुए रमेश धवाला को मंत्री की आस जगी है। हालांकि मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर पहले ही कह चुके हैं कि मंत्रिमंडल में विस्तार दो उपचुनाव के बाद ही होगा।
भाजपा नेता बोले, धोखे से ले गए थे शिमला
ज्वालामुखी—विधानसभा क्षेत्र ज्वालामुखी के भाजपा नेताओं दुनी चंद पूर्व प्रधान, ओबीसी नेता अशोक कुमार, ओम प्रकाश, बलवंत सिंह, कमलेश कुमारी प्रधान जरूंडी ने जारी प्रेस बयान में कहा कि 18 जुलाई को भाजपा से ताल्लुकरखने वाले क्षेत्र केएकनेता व ठेकेदार ने उनको सूचित किया कि क्षेत्र के विकास कार्यों को गति प्रदान करने के लिये शिमला चलना ह,ै वहां रमेश धवाला विधायक को साथ लेकर मुख्यमंत्री से अपने क्षेत्र के विकास के लिए बात करेंगे। जब शिमला पहुंचे तो वहां पर तो कुछ और ही सियासी ड्रामा रचा जा रहा था। धवाला की अनुपस्थिति में उनके खिलाफ दुष्प्रचार हो रहा था, तो हम वहां से दबे पांव लौट आए।
गुरु शांता कुमार की चुप्पी से धवाला नाराज
ज्वालामुखी – सत्ता केगलियारों में ज्वालामुखी विधानसभा क्षेत्र व राज्य योजना बोर्ड के उपाध्यक्ष सुर्खियां बन कर छाए हुए हैं। जो दिक्कतें ज्वालामुखी में आई हैं, वह किसी से छिपी नहीं हैं। हालांकि रमेश धवाला आला नेताओं के समक्ष अपनी पीड़ा बयान कर आए हैं और सब कुछ मुख्यमंत्री व आला नेताओं पर छोड़ कर ज्वालामुखी लौटे हैं, परंतु उनके राजनीतिक गुरू शांता कुमार की इस मामले में चुप्पी से खुद धवाला व उनके समर्थक खासे नाराज दिख रहे हैं। किसी भी मामले या घटना पर शांता की त्वरित टिप्पणी उनके सियासी चेले रमेश धवाला की अस्तित्व की लड़ाई में कुंद क्यों पड़ जाती है, इसका जवाब ज्वालामुखी की जनता जानना चाहती है। लोगों ने इस मामले में शांता कुमार से आग्रह किया है कि वह हमेशा अपने चेले रमेश धवाला को इमानदार नेता व भद्र पुरुष होने के तगमे तो देते हैं, परंतु संकट की घड़ी में रमेश धवाला को अकेले छोड़ गए हैं। बात चाहे मंत्रिमंडल में रमेश धवाला को जगह न मिलने की हो या राज्य योजना बोर्ड के उपाध्यक्ष बनाने की बात हो, शांता ज्वालामुखी और रमेश ध्वाला के मामले में गुम हो जाते हैं।
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