निवेशकों को बेहतर सुविधाएं दी जाएं

By: Jul 1st, 2019 12:05 am

कर्म सिंह ठाकुर

लेखक, सुंदरनगर से हैं

 

औद्योगिक निवेश से प्रदेश की अर्थव्यवस्था में नई ऊर्जा का संचार होगा, लेकिन निवेशकों को बेहतर सुविधाएं मुहैया करवाना भी पहाड़ जैसी बड़ी जिम्मेदारी से कम नहीं है। निवेशकों को भूमि मुहैया करवाने में धारा 118 तथा अन्य कानूनी औपचारिकताओं से छेड़छाड़ प्रदेश की जनता को नहीं भाती है। विपक्ष भी जयराम सरकार के हर दांव-पेंच पर कड़ी नजरें गड़ाए हुए है। यदि निवेशकों को भूमि चयन, बिजली, पानी तथा सड़क मार्ग इत्यादि बुनियादी सुविधाओं में ही समस्याओं का सामना करना पड़ेगा, तो कोई भी निवेशक प्रदेश में दिलचस्पी नहीं दिखाएगा…

हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने जर्मनी, नीदरलैंड तथा दुबई में नवंबर 2019 में धर्मशाला में प्रस्तावित औद्योगिक निवेश के लिए विदेश यात्राएं की। मुख्यमंत्री के साथ उद्योग मंत्री तथा अन्य अधिकारियों ने भी कड़ी मेहनत की तथा विभिन्न तरह के एमओयू के माध्यम से निवेशकों को आकर्षित करने में सफल हुए। प्रदेश को प्रकृति से अपार संपदा उपहार स्वरूप मिली है। इनका प्रदेशवासियों की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए वैज्ञानिक दृष्टि से दोहन करना प्रदेश का हक है। प्रदेश में बेरोजगारों का आंकड़ा नौ लाख तक पहुंच गया है। बेरोजगारों को रोजगार मुहैया करवाने के लिए प्रदेश में विदेशी तथा स्वदेशी निवेश की अत्यंत जरूरत है। शायद इसी सोच को चरितार्थ करने के लिए प्रदेश का अधिकारी तथा राजनीतिक नेतृत्व विदेशों तथा देश के बड़े-बड़े औद्योगिक घरानों को प्रदेश में निवेश करने के लिए प्रोत्साहित कर रहा है। पर्यटन, मेन्युफैक्चरिंग, शिक्षा, स्वास्थ्य तथा परिवहन के क्षेत्र में निवेश से प्रदेश के बाजारों में नई रौनक देखने को मिलेगी।

अर्थशास्त्रियों का भी यह मानना है कि जब किसी राज्य में निवेश बढ़ता है, तो वहां पर विभिन्न तरह के सामान की जरूरतें भी बढ़ जाती हैं, जिससे मुद्रा का आवागमन शुरू हो जाता है तथा रोजगार के नवीन साधन भी सृजित होते हैं। हिमाचल प्रदेश भौगोलिक दृष्टि से विविधताओं वाला राज्य है। गगनचुंबी पहाड़ी पर्वत मालाएं, समृद्ध तथा मनमोहक नदियों का प्रवाह, हरियाली, खुशहाली तथा प्रदेश की जनता का भोलापन विश्व विख्यात है। यही कारण है कि प्रदेश में विदेशी तथा स्वदेशी औद्योगिक घराने निवेश करने के इच्छुक हैं। वैश्विक पटल पर प्रदेश की छवि शांत, ईमानदार तथा तीव्र गति से विकसित राज्यों में की जाती है। 15 अप्रैल, 1948 को प्रदेश महज चार जिलों महासू, सिरमौर, मंडी तथा चंबा के रूप में अभ्युदय हुआ। उस समय प्रदेश में शैक्षणिक संस्थान, स्वास्थ्य सुविधाएं, आवागमन के साधन शून्य थे। पूरा भारत हिमाचल प्रदेश की तरफ इस दृष्टि से देखता था कि यह राज्य कब असफल होगा तथा इसका विलय पंजाब में कब होगा। प्रदेश के राजनीतिक नेतृत्व के सामने अनेक प्रकार की चुनौतियां पैदा हुईं, लेकिन प्रदेश की जनता ने ईमानदारी तथा मेहनत के मार्ग को चुना, अनेक मुसीबतों में भी घुटने नहीं टेके, कभी केंद्र से भीख नहीं मांगी, सिर्फ अपने अधिकारों के लिए पैरवी की। इसी का नतीजा यह हुआ कि आज हिमाचल प्रदेश उत्तरी भारत में अनेक भौगोलिक समस्याओं के कारण भी तीव्र गति से विकास तथा बेहतर जीवनशैली मुहैया करवाने वाला राज्य बन गया है। औद्योगिक निवेश से प्रदेश की अर्थव्यवस्था में नई ऊर्जा का संचार होगा, लेकिन निवेशकों को बेहतर सुविधाएं मुहैया करवाना भी पहाड़ जैसी बड़ी जिम्मेदारी से कम नहीं है। निवेशकों को भूमि मुहैया करवाने में धारा 118 तथा अन्य कानूनी औपचारिकताओं से छेड़छाड़ प्रदेश की जनता को नहीं भाती है। विपक्ष भी जयराम सरकार के हर दांव-पेंच पर कड़ी नजरें गड़ाए हुए है। यदि निवेशकों को भूमि चयन, बिजली, पानी तथा सड़क मार्ग इत्यादि बुनियादी सुविधाओं में ही समस्याओं का सामना करना पड़ेगा, तो कोई भी निवेशक प्रदेश में दिलचस्पी नहीं दिखाएगा। इतिहास इसका गवाह है कि निवेशक प्रदेश में निवेश तो करना चाहते हैं, लेकिन कानून के झमेले में पड़ कर अपना समय बर्बाद नहीं करना चाहते। वर्तमान समय में प्रदेश की सड़कों की हालत भी अच्छी नहीं है और प्रदेश में आवागमन का मुख्य मार्ग सड़कें ही हैं। निवेशकों को भी सड़क मार्ग से गुजर कर ही अपने उद्योगों को स्थापित करना होगा। जयराम सरकार को सबसे पहले सड़कों के जाल को सुदृढ़ करना होगा तथा अधिकारी वर्ग से भी सचेत रहना होगा।

अधिकारी वर्ग भी निवेशकों की फाइलों को टेबल-टू-टेबल इस तरह से घुमाता है कि निवेशक को नानी याद आ जाती है। उसके बाद विपक्ष को प्रदेश के विकास में साझेदार बनाने का भरसक प्रयास करना होगा। वर्तमान समय में सोशल मीडिया पर भ्रामक खबरों की भी भरमार छाई हुई है। धारा 118 पर सोशल मीडिया पर फैली भ्रामक खबरों ने मुख्यमंत्री को भी चौंका दिया था। इससे भी जयराम सरकार को बचना होगा, तभी औद्योगिक निवेश की धरातलीय पहुंच सुनिश्चित हो पाएगी। ऐतिहासिक पृष्ठभूमि में देखें, तो भाजपा के नेता शांता कुमार पानी के मुख्यमंत्री तथा प्रेम कुमार धूमल सड़क के मुख्यमंत्री के नाम से जाने जाते हैं। अब भाजपा के तीसरे मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर को प्रदेश की जनता ने प्रचंड बहुमत देकर सत्तासीन किया है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि जयराम किस मुख्यमंत्री की उपमा से प्रसिद्ध होते हैं। वर्ष 2017 में जब जयराम सरकार अस्तित्व में आई थी, तो ‘राम राज्य’ की स्थापना का सपना प्रदेश की जनता देख रही थी, लेकिन पिछले कुछ समय से प्रदेश में सड़क दुर्घटनाएं, नशाखोरी, हुड़दंग तथा गुंडागर्दी, मासूमों के साथ दुराचार तथा निर्मम हत्याएं थमने का नाम नहीं ले रही हैं। ये सब घटनाएं प्रदेश की छवि को वैश्विक पटल पर शर्मसार कर रही हैं।

जयराम सरकार को कानून व्यवस्था को भी सुदृढ़ करना होगा, ताकि प्रदेश की जनता यूपी, बिहार जैसे राज्यों की तरह बनने से बच जाए। निवेशकों से जिस तरह से मुख्यमंत्री को आश्वासन व प्रोत्साहन मिला है, यह प्रदेश के भविष्य के लिए एक सकारात्मक दृष्टिकोण है। प्रदेश की जनता भी इस पुनीत कार्य में अपना भरपूर योगदान देने के लिए वचनबद्ध हो, तो प्रदेश आने वाले समय में भारत में ही नहीं, वैश्विक पटल पर एक समृद्ध तथा विकसित राज्य के रूप में अपनी भूमिका सुनिश्चित करने का मार्ग प्रशस्त कर सकता है।


Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also,  Download our Android App