‘पत्थर की दीवार मैं शीशे से तोड़ दूं‘

By: Jul 21st, 2019 12:05 am

ददाहू पंचायत घर में मुशायरे में युवा कवि ने बांधा समा

श्रीरेणुकाजी -पंचायत घर ददाहू में शनिवार को एक मुशायरे का आयोजन किया गया। स्थानीय युवा कवि अन्नंत आलोक ने दावत ए सुखन नाम से इस मुशायरे को आयोजित किया, जिसमें क्षेत्र में जिला से जुड़े कवियों व साहित्यकारों ने अलग-अलग अंदाजों में इस मुशायरे की शोभा बढ़ाई। मुशायरे की अध्यक्षता प्रसिद्ध शायर मुकेश आलम ने की, जबकि मंच का संचालन स्वयं कवि अन्नंत आलोक ने किया। अर्चना शर्मा ने रोज करती हूं कीमत अदा एक नहीं जर्रा जर्रा हूं बिखरी हुई मैं यहां इसी तरह। इसी तरह चिरआनंद ने पत्थर की दीवार में शीशे से तोड़ दूं सारे जहां के दर्द मंै पी लंू निचोड़ दूं। इसी तरह जावेद उल्फत ने इस मुल्क को अवाम की फितरत ही खा ना ले चीखते भी हैं और घर से निकलते भी नहीं हम। इसी तरह पंकज तन्हा ने शहर में शुरू कैसी नई दास्तान हो गई सच बेजुबां हुआ झूठ की जुबान हो गई। इसी तरह नासिर युसूफजई ने इसको ही जहां वाले कहते हैं जुनून शायद आयात मोहब्बत की हर वक्त लिखा करना। इसी तरह सुमित राज ने देख रखा है यह जहां मैंने अब मुझे चाहे तू जहां रख दो। इसी तरह मुकेश आलम ने हम पीयादों को सहूलत है शहीदों वाली मर तो सकते हैं मगर मात नहीं हो सकती। इसी तरह श्रीकांत अकेला ने कितना मजबूर था सितम सहना पड़ा पत्थरों के शहर में रहना पड़ा पेश की। इस अवसर पर डीएलओ नाहन अनिल हारटा भी विशेष रूप से उपस्थित थे। अन्नंत आलोक ने सभी शायरों व कवियों का आभार प्रकट किया।


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