मछली के स्वाद को 15 दिन और इंतजार

By: Jul 12th, 2019 12:01 am

बिलासपुर – इस बार भी मत्स्य आखेट पर प्रतिबंध की अवधि 15 दिन और बढ़ेगी। मछुआरों की ओर से आ रही डिमांड और मछली की ब्रीडिंग भी सही न होने के चलते मत्स्य विभाग ने विचार शुरू कर दिया है। जल्द ही इस पर निर्णय लिया जाएगा। ऐसे में इस बार 16 अगस्त को मत्स्य आखेट पर लगा बैन हटाया जाएगा। जानकारी के मुताबिक पहली जून से 31 जुलाई तक मछली शिकार पर पूर्ण प्रतिबंध रहता है। दो माह के प्रतिबंधकाल में गोबिंदसागर, पौंग डैम, चमेरा, रणजीत सागर डैम और कोलडैम के साथ ही अन्य सभी जलाशयों में मछली शिकार पर प्रतिबंध रहता है। किसी भी प्रकार की मच्छली के बिक्री और मच्छली के व्यंजन तैयार कर विक्रय करने के अतिरिक्त मत्स्य परिवहन पर भी पूर्ण प्रतिबंध होता है। नियमों का उल्लंघन व्यक्ति का अपराध गैरजमानती है और उल्लंघनकर्ता को तीन वर्ष की कैद और पांच हजार रुपए जुर्माना या एक साथ दोनों सजाएं भी हो सकती हैं। गोबिंदसागर और पौंग डैम जलाशयों के विस्तृत क्षेत्र पर पूर्ण चौकसी रखने के लिए अति संवेदनशील स्थानों पर विभाग की ओर से निगरानी शिविर लगाए गए हैं और विभागीय कर्मचारी दिन-रात गश्त पर रहते हैं। इसके अतिरिक्त एक उड़नदस्ते का भी गठन किया गया है, जो अचानक छापामारी करता है। जलाशयों में दो दो मोटरबोटें भी गश्त के लिए तैनाती की गई है। इसके अतिरिक्त विभाग अच्छी किस्म की मच्छलियों का बीज भी संग्रहण करता है, इसलिए इस अवधि में मछली के शिकार पर पूर्ण प्रतिबंध रहता है और दो माह के इस प्रतिबंधकाल के लिए प्रदेश भरके जलाशयों में कार्यरत पांच हजार से ज्यादा मछुआरों को विभाग की ओर से बंद सीजन सहायता भत्ता भी प्रदान किया जाता है। दरअसल, इस बार अभी तक कम मानसून और मछली की भी ब्रीडिंग सही नहीं हो पाई, जिसके चलते मछुआरों व सोसायटियों की ओर से प्रजननकाल बढ़ाए जाने की मांग की जा रही है। उधर, इस संदर्भ में मत्स्य निदेशक सतपाल मेहता ने बताया कि प्रतिबंधकाल की अवधि 15 दिन और बढ़ाने के लिए डिमांड आ रही है। जल्द ही इस पर निर्णय लिया जाएगा। इसके तहत पहली अगस्त से लेकर 15 अगस्त तक प्रतिबंध रहेगा और 16 अगस्त से मत्स्य आखेट शुरू होगा।


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