वर्तमान में कांग्रेस का संकट

By: Jul 30th, 2019 12:07 am

डा. भरत झुनझुनवाला

आर्थिक विश्लेषक

कांग्रेस की पालिसी का दूसरा हिस्सा उसी गरीब को रोटी बांटने का था, जिस रोटी को आर्थिक नीतियां छीन रही थीं। मनरेगा, खाद्य सुरक्षा एवं किसानों को ऋण माफी द्वारा किसान को राहत पहुंचाई जा रही थी, उसी तरह जैसे ईसा मसीह ने गरीबों को पनाह दी थी, लेकिन यह राहत टिकाऊ नहीं थी। यह राहत तब तक ही दी जा सकती थी, जब तक बड़ी कंपनियों द्वारा गरीबों की जीविका का भक्षण किया जाए। उनके द्वारा भारी लाभ कमाया जाए और सरकार  द्वारा उनसे टैक्स वसूला जाए। कांग्रेस की पालिसी का उसे अल्पकाल में लाभ मिला और 2004 और 2009 में कांग्रेस ने जीत हासिल की, परंतु दीर्घकाल में कांग्रेस का अधर्म सामने आया है। हाल के चुनाव में कांग्रेस की हार और इससे उपजा कांग्रेस का वर्तमान संकट इसी अधर्म का परिणाम है…

कांग्रेस पार्टी के वर्तमान संकट की जड़ें धर्म विहीन भक्ति के प्रतिपादन में दिखती हैं। किसी समय रोम का राजा सीजर यहूदियों का उत्पीड़न कर रहा था। उस समय ईसा मसीह से पूछा गया था कि सीजर को टैक्स देना उचित है या नहीं। इस पर ईसा मसीह ने जवाब दिया था कि ‘जो सीजर का है, वह उसको दो और जो भगवान का है, वह भगवान को।’ ईसा मसीह के लिए सीजर द्वारा ढाए जा रहे अन्याय का महत्त्व कम था। उनका ध्यान जनता को सीधे भगवान से जोड़ने पर था। उन्होंने कहा था कि उनका साम्राज्य इस संसार का नहीं है। अर्थ हुआ कि राजा दुराचार करे, तो मौन रहना चाहिए और अपना ध्यान ईश्वर की तरफ लगाकर उस साम्राज्य की प्राप्ति करनी चाहिए। इस विचारधारा का एक विकृत रूप ‘हार्वेस्टिंग ऑफ सोल्स’ के विचार में देखा जाता है। आरोप है कि ईसाई धर्म गरीब को गरीब बनाए रखना चाहता है, जिससे लोग परेशान हों और चर्च द्वारा उन्हें सीधे ईश्वर की ओर ले जाया जा सके। हिंदू धर्म में विशुद्ध भक्ति योग की भी लगभग ऐसी ही मान्यता है। कहा जाता है कि सांसारिक प्रपंचों से अलग रहते हुए ईश्वर की भक्ति पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। इस चिंतन से समाज में अधर्म की वृद्धि होती है। चूंकि अधर्म के विरुद्ध संघर्ष करना जरूरी नहीं रह जाता है।

मान लिया जाता है कि राजा का दुराचार ईश्वर प्रदत्त है। राजा के उसके दुराचार से संघर्ष करने के स्थान पर अपने को घर में बंद करके भजन करना ही उचित बताया गया है। इसी प्रकार चोरी करने पर निकलने से पहले चोर द्वारा मंदिर में जाकर आशीर्वाद मांगा जाता है। चोरी के अधर्म को नजरअंदाज किया जाता है। जैसे गंगा पर बांध बनाकर उसकी हत्या करने वाले उद्यमी हिंदू धर्म के महान समर्थक भी हैं। चैतन्य महाप्रभु जैसे भक्ति योग के प्रतिपादकों ने इसी चिंतन के चलते ब्रिटिश शासन का सीधा एवं प्रखर विरोध नहीं किया था। कांग्रेस द्वारा इसी चिंतन को लागू किया जा रहा था। कांग्रेस की मूल आर्थिक नीतियां गरीब विरोधी थीं। जैसे बहुराष्ट्रीय कंपनियों को खुदरा रिटेल में प्रवेश देकर छोटे व्यापारियों की जीविका छीनी जा रही थी। खनिज निकालने के लिए आदिवासियों को जंगल पर आधारित पारंपरिक जीविका से वंचित किया जा रहा था। टेक्सटाइल मिलों पर टैक्स न्यून करके हथकरघे के संपूर्ण उद्योग को चौपट किया गया था। गरीब और अमीर द्वारा बाजार से खरीदी गई वस्तुओं पर एकल दर से एक्साइज ड्यूटी लगाई जा रही थी। हाइड्रोपावर के उत्पादन के लिए आम आदमी को बालू और मछली से वंचित किया जा रहा था। इन अधर्म को कांग्रेस अनदेखी कर रही थी, उसी तरह जैसे ईसा मसीह ने सीजर के अन्याय को नजरअंदाज किया था और चैतन्य महाप्रभु ने ब्रिटिश शासन का सीधे एवं प्रखर विरोध नहीं किया था। कांग्रेस की पालिसी का दूसरा हिस्सा उसी गरीब को रोटी बांटने का था, जिस रोटी को आर्थिक नीतियां छीन रही थीं। मनरेगा, खाद्य सुरक्षा एवं किसानों को ऋण माफी द्वारा किसान को राहत पहुंचाई जा रही थी, उसी तरह जैसे ईसा मसीह ने गरीबों को पनाह दी थी, लेकिन यह राहत टिकाऊ नहीं थी। यह राहत तब तक ही दी जा सकती थी, जब तक बड़ी कंपनियों द्वारा गरीबों की जीविका का भक्षण किया जाए। उनके द्वारा भारी लाभ कमाया जाए और सरकार  द्वारा उनसे टैक्स वसूला जाए। कांग्रेस की पालिसी का उसे अल्पकाल में लाभ मिला और 2004 और 2009 में कांग्रेस ने जीत हासिल की, परंतु दीर्घकाल में कांग्रेस का अधर्म सामने आया है। हाल के चुनाव में कांग्रेस की हार और इससे उपजा कांग्रेस का वर्तमान संकट इसी अधर्म का परिणाम है। भाजपा ने 1999-2004 के अपने प्रथम काल में भी कमोबेश कांग्रेस की ही पालिसी को लागू किया था। गरीब के लिए भाजपा के प्रोग्राम में कोई स्थान नहीं था। भाजपा का मानना था कि देश के समृद्ध होने से गरीब को लाभ स्वतः मिलेगा। अर्थशास्त्री इसे ट्रिकल डाउन थ्योरी कहते हैं। इस विचारधारा में आम आदमी के हितों पर सीधे विचार करने की जरूरत नहीं समझी जाती है। भाजपा सरकार पर विश्व बैंक और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष हावी हो गए थे और आम आदमी को नजरअंदाज करते हुए केवल समृद्धि को हासिल करने वह सरकार चल पड़ी। परिणाम यह हुआ कि सूचना, प्रौद्योगिकी क्रांति, परमाणु विस्फोट, स्वर्णिम चतुर्भुज हाई-वे के माध्यम से देश समृद्ध हुआ, परंतु आम आदमी की अनदेखी करने से कांग्रेस को छिद्र मिल गया और भाजपा की पराजय हुई।

देश को केंद्र में आम आदमी को रखना होगा। ऐसी आर्थिक नीतियां बनानी होंगी कि गरीबी जड़ से ही मिट जाए। भाजपा 1999 से 2004 एवं कांग्रेस 2004 से 2014 की तरह आम आदमी को गरीब बनाकर एवं उसे सस्ता अनाज बांटने से काम नहीं चलेगा। महाभारत में कहा गया है कि राजा की एक कमी ही उसकी पराजय का कारण बन जाती है, जैसे मश्क की एक सिलाई खुली हो, तो पानी नहीं टिकता है। मेरे आकलन में 1999 में भाजपा की जीत इसलिए हुई क्योंकि कांग्रेस के आर्थिक सुधारों के लागू होने के बाद कांग्रेस की मूल आर्थिक नीतियां जन विरोधी थीं और नरसिम्हा राव के कार्यकाल में कोई कल्याणकारी कदम नहीं उठाए गए थे। सुशासन भी नहीं दिखता था, बल्कि भ्रष्टाचार के कई आरोप थे। 1999 में भाजपा की मूल नीतियां जन विरोधी थीं। कल्याणकारी कार्य भी नहीं थे, लेकिन सुशासन के आश्वासन पर भाजपा जीती थी। 2004 में कांग्रेस की मूल नीतियां जन विरोधी थीं, लेकिन आम आदमी के कल्याण के विषय को उठा कर कांग्रेस ने भाजपा को मात दी थी।

2009 में इसी क्रम में मनरेगा और ऋण माफी को लागू कर आम आदमी के कल्याण को आंशिक रूप से हासिल कर पुनः कांग्रेस ने जीत हासिल की थी। 2014 के बाद भाजपा की मूल आर्थिक नीतियां जन विरोधी रही हैं, कल्याणकारी नीतियां भी अनुपलब्ध हैं, लेकिन सुशासन के बल पर भाजपा ने जीत हासिल की है। मेरा मानना है कि कांग्रेस तथा भाजपा दोनों को ही अपनी मूल आर्थिक नीतियों को ठीक करना होगा और साथ में सुशासन उपलब्ध कराना होगा। तब ही देश को स्थायी सरकार मिल सकेगी। ईसा मसीह एवं हिंदू धर्म के भक्ति योग में समाज धर्म को जोड़ना होगा। व्यक्ति को मोक्ष परोस कर उसके द्वारा अनुभव किए जा रहे राज अधर्म को नजरअंदाज करना बंद करना होगा।

 ई-मेल : bharatjj@gmail.com


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