शिक्षा विभाग को एक हफ्ते का अल्टीमेटम

By: Jul 21st, 2019 12:01 am

मानव संसाधान विकास मंत्रालय ने पूछा, प्राथमिक स्कूलों को फोरेस्ट क्लीयरेंस में देरी क्यों

शिमला – प्रदेश के प्राथमिक स्कूलों को फोरेस्ट क्लीयरेंस न दिलाने के मामले पर केंद्र सरकार ने शिक्षा विभाग को फटकार लगाई है। राज्य के  407 सरकारी स्कूल ऐसे हैं, जहां पर भवन नहीं बन पाए हैं। कई स्कूलों के भवन तैयार होने के बाद भी विभाग फोरेस्ट क्लीयरेंस दिलाने में नाकाम रहा है। शिक्षा विभाग की इस देरी से केंद्रीय मानव संसाधान मंत्रालय ने कई सवाल खड़े किए हैं, वहीं कहा है कि फोरेस्ट क्लीयरेंस को दस से पद्रंह साल से विभाग अभी तक क्यों नहीं क्लियर कर पा रहा है। सूत्रों की मानें तो केंद्र सरकार ने एक हफ्ते के भीतर शिक्षा विभाग से रिपोर्ट मांगी है।  जवाब मांगा गया है कि अभी तक इतने सारे स्कूलों को उनके भवन क्यों नहीं मिल पाए हैं।  इस समय प्रदेश में 407 प्राथमिक स्कूलों के पास अपने भवन नहीं हैं। इनमें से कई स्कूलों के भवन एफसीए में फंसे हैं। इसके अलावा कई स्कूल या तो किराए के कमरों में चल रहें हैं या फिर दूसरे विभागों के भवनों में। इनमें ज्यादातर स्कूल जनजातीय व  दूरदराज क्षेत्रों के हैं। इसके अलावा चंबा, मंडी, शिमला, सिरमौर, हमीरपुर, कांगड़ा, कुल्लू, सोलन और बिलासपुर में प्राथमिक स्कूल किराए के भवनों में ही चल रहें हैं। हांलाकि विभाग की मानें तो इनमें से लगभग 110 स्कूलों को भवन निर्माण करने के लिए करोड़ों की राशि जारी की जा चुकी है, लेकिन अभी कई जिलों में स्कूलों के लिए जमीन के मामले लटके पड़े हुए हैं।

केस क्लियर करवाने के निर्देश

शिक्षा मंत्री ने विभाग को सभी मामले एफसीए और एफआरए से क्लियर करवाने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने बताया कि सरकार प्रयास कर रही है कि प्राथमिक स्कूलों को अपने भवन मिलें और इनमें बिजली, पानी की उचित व्यवस्था हो। सरकार अगले वर्ष स्कूलों में बच्चों के लिए आरओ का पानी भी उपलब्ध करवाएगी।

विभाग के पास बजट का ब्यौरा नहीं

राज्य सरकार की और से राज्य के विभिन्न जिलों को स्कूलों के नए भवनों के लिए करोड़ो का बजट अलग-अलग दिया गया है। हैरत तो यह है कि शिक्षा विभाग ने स्कूलों को बजट तो दे दिया, लेकिन विभाग के पास अभी तक स्कूलों को दिए बजट का कोई ब्यौरा उपलब्ध नहीं है।


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