स्टाफ है नहीं और एक्स्ट्रा रूट की बात

By: Jul 4th, 2019 12:01 am

एचआरटीसी की बिना प्लानिंग यात्रियों पर ‘सर्जिकल स्ट्राइक’, प्रदेश के डिपुओं में 2500 ड्राइवर-कंडक्टर की कमी

हमीरपुर – प्रदेश में पहले भी कई बार बड़े सड़क हादसे हुए हैं, जिसमें सैकड़ों लोग अपनी जान गंवा चुके हैं और हजारों जीवनभर के लिए अपाहिज हुए हैं। हादसों के बाद कुछ दिन सख्ती भी हुई, लेकिन फिर कुछ दिनों के बाद धीरे-धीरे सब भूल गए। इस बार बंजार में हुए बस हादसे के बाद प्रदेश भर में जिस तरह से सरकार द्वारा एचआरटीसी और निजी बस आपरेटरों पर एकदम सख्ती की गई है, वह रोजाना सफर करने वाले हजारों यात्रियों पर किसी सर्जिकल स्ट्राइक से कम नहीं है। अफसरशाही ने पूर्व में बिना कोई प्लानिंग किए एसी रूम्स में बैठकर निर्देश जारी कर दिए, लेकिन यह नहीं सोचा कि मात्र बसों पर आश्रित उन हजारों यात्रियों का क्या होगा, जिनके पास सफर का दूसरा कोई विकल्प नहीं है। आज यात्रियों के साथ बस आपरेटरों द्वारा किया जाने वाला मिस विहेब, चालान के डर से तपती गर्मी में यात्रियों को बीच रास्ते में उतारना, सीट न मिलने के कारण यात्रियों का बस अड्डों पर घंटों बैठे रहना सरकार की एक अनप्लांड मुहिम का नतीजा है। सरकार की ओर से कहा गया है कि प्रदेश भर में डेढ़ हजार नए बस रूट शुरू किए जाएंगे। अब सवाल उठता है कि जिस निगम में पहले से ही ड्राइवर-कंडक्टरों की भारी कमी चल रही है, वहां नए रूटों पर बसें कौन चलाएगा। कंडक्टरों की पुरानी भर्तियों के मामले न्यायालयों में चल रहे हैं। निगम के जानकारों की मानें, तो मौजूदा समय में प्रदेश भर के 27 डिपुओं में लगभग 2500 चालकों-परिचालकों की कमी चल रही है। एचआरटीसी के हमीरपुर डिपो में ही करीब 78 चालकों और 60 परिचालकों की कमी है। सूत्र बताते हैं कि बहुत सारे डिपुओं में कुछ लोकल रूट जुगाड़ से चलाए जाते हैं। हिमाचल परिवहन मजदूर संघ के अध्यक्ष जसमेर सिंह राणा ने कहा कि वर्तमान सरकार प्रयास तो कर रही है, लेकिन ये नाकाफी हो रहे हैं, क्योंकि कांग्रेस सरकार में जो परिवहन मंत्री थे, उन्होंने सारा सिस्टम डामाडोल किया है।

वक्त के साथ कम हो गई बसों में सीटें

हैरानी यह देखकर होती है कि आज से करीब 10 से 15 साल पहले प्रदेश की सड़कें आज की अपेक्षा संकरी थीं। पुल इतने अच्छे नहीं थे और सवारियों का लोड भी आज की अपेक्षा कम था, उस वक्त 52 सीटर बसें चलाई जाती थीं, लेकिन आज पहले की अपेक्षा सब ठीक है और खासकर सवारियों का लोड बढ़ा है, तो 42 सीटर व 37 सीटर बसें एचआरटीसी चला रहा है। 10 से 15 सीटें घटाकर कहा जा रहा है कि ओवरलोडिंग नहीं होनी चाहिए। कुछ दिनों से कहा जा रहा है कि 15 से 20 फीसदी सवारियां स्टेंडिंग जा सकती हैं, लेकिन आज तक कोई नोटिफिकेशन ही जारी नहीं हो पाई।

करोड़ों के ओवरटाइम

मौजूदा समय में सेवाएं दे रहे ड्राइवर-कंडक्टरों का ओवरटाइम का करोड़ों रुपया एचआरटीसी के पास देनदारी का हो गया है। इसके अलावा हजारों संडे हैं, जो न उन्हें मिले हैं न ही उसका पैसा दिया गया है। ऐसे में सवाल उठता है कि इतनी बिगड़ी व्यवस्था में नए रूट कैसे चलेंगे और नई भर्तियां कैसे होंगी।


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