कविता : मम्मी देखो न

By: Aug 7th, 2019 12:20 am

मम्मी देखो न

ये चांद टुकुर- टुकुर कर देखता है।

मुंह से  तो वह कुछ न बोले

पर मन ही मन ये हंसता है।

चैन से मुझको ये सोने नहीं देता

खुद सारी रात चलता है।

मम्मी देखो न ये चांद टुकुर- टुकुर कर देखता है।


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