चितकारा में गांवों को संवारने का मंत्र

By: Aug 9th, 2019 12:19 am

यूनिवर्सिटी में दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन, भूटान के निर्माण और मानव निपटान मंत्री ने बताए अपने देश के काम

बीबीएन -चितकारा यूनिवर्सिटी हिमाचल प्रदेश में आयोजित दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन के दौरान भूटान के निर्माण और मानव निपटान मंत्रालय मंत्री दोर्जिशरिंग ने अपने अभिभाषण में बताया कि किस तरह से भूटान की सरकार ने गांवों में सस्टेनेबल डिवेल्पमेंट के क्षेत्र में काम किया है। उन्होंने सिविल इंजीनियरिंग टेक्नोलॉजी और भविष्य में विकास में स्थिरता को अपनाने के लिए उत्पादों के बारे में भी चर्चा की और कहा कि भूटान सरकार का लक्ष्य उन सभी लोगों को एक मंच प्रदान करना है जो ग्रामीण नवाचारों पर काम कर रहे हैं। बतातें चलें कि इस आठवें अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन के आयोजन का मुख्य उद्देश्य सस्टेंनेबल सिविल इंजीनियरिंग प्रेक्टिसेस को उपयोग में लाना था जिससे की आने वाले समय में प्राकृतिक संसाधनों, औद्योगिक उत्पादों, प्रभावशाली वेस्ट और मटेरियल मैनेजमेंट जैसी मानव की जरूरतों को पूरा किया जा सके तथा पर्यावरण की गुणवत्ता और प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण और सुरक्षा हो सके । चितकारा यूनिवर्सिटी की प्रो. चांसलर डाक्टर मधु चितकारा ने अपने संबोधन में संसाधनों की कमी और पर्यावरण पर इसके प्रतिकूल प्रभावों के प्रति चिंता जाहिर की। उन्होंने निर्माण से होने वाले हानिकारक प्रभावों से बचने के लिए वैज्ञानिक अनुसंधान द्वारा समर्थित स्थायी निर्माण विधियों की प्रथाओं को अपनाने के साथ-साथ दुनिया भर में जागरूकता व निर्माण में सिविल इंजीनियरिंग की भूमिका के बारे में भी बात की। चितकारा यूनिवर्सिटी के वाईस चांसलर डा. वीरेंद्र एस कंवर ने अपने संबोधन में कहा कि पर्यावरण और पारिस्थितिक तंत्र पर मानव निर्मित हस्तक्षेपों का प्रभाव पूरे ग्रह पर बड़े संसाधन संकट के रूप में पड़ा है। उन्होंने बताया कि इस कांफ्रेंस में देश विदेश के 150 से ज्यादा प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया इसमें करीब 25 रिसर्च पेपर प्राकृतिक संसधानों को बचाने के तरीकों व मटेरियल के बारे में प्रस्तुत किए गए। एडिथ कोवान विश्वविद्यालय आस्ट्रेलिया के प्रोफेसर डाक्टर संजय कुमार शुक्ला ने सिविल इंजीयिनरिंग की भूमिका पर जोर डाला और कहा कि समाज की समग्र सुरक्षा, ग्रामीण इंजीनियरिंग, राजमार्गों का निर्माण, पुलों और सुरंगों के निर्माण में सिविल इंजीनियरों की अहम भूमिका है। उन्होंने भूकंप रोधी स्लोप्स के डिजाइन के बार में भी प्रजेटेंशन दी जो कि हिमाचल जैसे राज्यों के लिए प्रासंगिक है। कान्फ्रेंस का समापन पेक चंडीगढ के प्रोफेसर सिबी जोन व एनआईटीटीआर के प्रोफेसर संजय कुमार शर्मा के लेक्चर के साथ हुआ। समापन समारोह के मौकों पर मौजूदा संसाधनों के सही इस्तेमाल करने पर जोर दिया गया और उनके लिए रणनीति तैयार की गई। इन प्रस्तावों व सिफारिशों को उपयुक्त अथारिटीज के सामने पेश किया जाएगा।


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