ट्रिब्यूनल बंद करने पर आखिरी मुहर
विधानसभा में विरोध के बाद भी विधेयक पारित, 21 हजार केस हाई कोर्ट ट्रांसफर
शिमला – प्रशासनिक ट्रिब्यूनल बंद किए जाने पर गुरुवार को आखिरी मुहर लग गई। विधानसभा में ट्रिब्यूनल के फैसलों को हाई कोर्ट के लिए स्थानांतरित करने के विधेयक को विपक्ष के विरोध के बावजूद पारित कर दिया गया। सत्तापक्ष के बहुमत से पारित हुए इस विधेयक पर मुख्यमंत्री ने साफ कहा कि कर्मचारियों को अब जल्द न्याय मिलेगा। सीएम ने कहा कि ट्रिब्यूनल में 21 हजार मामले लंबित थे, जिससे साफ है कि कर्मचारियों को शीघ्र न्याय नहीं मिल पा रहा था, लिहाजा उनसे सलाह करने पर ही ट्रिब्यूनल को बंद किया गया है।
न्याय की उम्मीद कैसे कर सकते हैं
कांग्रेस के हर्षवर्धन चौहान ने कहा कि हाई कोर्ट के पास ही 39 हजार मामले अभी लंबित पड़े हैं, जिस पर अब 21 हजार से ज्यादा मामले ट्रिब्यूनल के उनको जाएंगे। ऐसी स्थिति में शीघ न्याय की उम्मीद कैसी की जा सकती है। उन्होंने कहा कि हरियाणा राज्य ने भी ट्रिब्यूनल को खोला है, जबकि हिमाचल में बंद किया जा रहा है।
क्यों लाए अध्यादेश
माकपा नेता राकेश सिंघा ने कहा कि जब विधानसभा का सत्र आने वाला था, तो सरकार ने अध्यादेश क्यों लाया। हाई कोर्ट में पहले से पेंडिंसी चल रही है, लिहाजा अब और मामले जाने से न्याय मिलने में देरी होगी यह तय है। विधायक राकेश सिंघा ने कहा कि सरकार पहले ही इसे बंद कर चुकी है तो अब लकीर पीटने से कोई फायदा नहीं है। सब ट्रिब्यूनल बैंच से चंबा जैसे दूरदराज के क्षेत्रों के कर्मचारियों को राहत मिल जाती थी। अब ऐसा नहीं हो पाएगा।
विज्ञापन क्यों दिया
सुखविंदर सुक्खू ने कहा कि इस सरकार की कर्मचारियों के प्रति कोई संवेदनशीलता नहीं है। हमारी सरकार ने इसे वापस खोलकर कर्मचारी हितैषी होने का सुबूत दिया था। ट्रिब्यूनल के दो पद खाली थे, जिन्हें भरने के लिए दो महीने पहले ही पद विज्ञापित किए गए। जब सरकार ने इसे बंद करना था तो विज्ञापन क्यों किया।
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