दिल्ली गए प्रबोध सक्सेना मीटिंग… या मामला और!

By: Aug 24th, 2019 12:01 am

शिमला – पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री पी. चिदंबरम के केस में फंसे हिमाचल के वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी प्रबोध सक्सेना के दिल्ली जाने की सूचना है। सूत्रों के अनुसार शुक्रवार सुबह ही प्रबोध सक्सेना दिल्ली गए हैं। हालांकि दिल्ली में उनकी बीबीएमबी के मसले पर एक महत्त्वपूर्ण बैठक होने की बात कही जा रही है, लेकिन उनके दिल्ली जाने को दूसरे मामले से भी जोड़कर देखा जा रहा है। गौर हो कि सीबीआई द्वारा पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री  पी. चिदंबरम को हिरासत में लिया गया है। ताजा घटनाक्रम के बाद सीबीआई की किसी भी समय हिमाचल के आईएएस अधिकारी प्रबोध सक्सेना पर कार्रवाई संभव है। इस आशंका के चलते प्रबोध सक्सेना भी अग्रिम जमानत के लिए आवेदन कर सकते हैं। इसी बीच वह शुक्रवार को दिल्ली चले गए हैं। जाहिर है कि वर्ष 1990 बैच के आईएएस अफसर प्रबोध सक्सेना के खिलाफ चिदंबरम मामले में सेंट्रल विजिलेंस कमीशन ने केस चलाने की सिफारिश की है। सीवीसी ने अपनी सिफारिश में कहा है कि मामले की गंभीरता को देखते हुए इस केस के आरोपी अधिकारियों के खिलाफ प्रोसिक्यूशन मंजूरी दी जानी चाहिए। सेंट्रल विजिलेंस कमीशन ने आर्थिक मंत्रालय को दी गई रिकमंडेशन में कहा है कि इस केस में रिटायर्ड अधिकारियों तथा हिमाचल काडर के आईएएस अफसर प्रबोध सक्सेना के खिलाफ केस बनता है। इन सिफारिशों के बाद अब केंद्रीय कार्मिक मंत्रालय भी आरोपी अधिकारियों के खिलाफ केस चलाने की मंजूरी प्रदान कर सकता है। अब जबकि पी. चिदंबरम को हिरासत में ले लिया गया है, तो इस मामले से जुड़े दूसरे लोगों पर भी सीबीआई का शिकंजा कसेगा। ऐसे में अधिकारियों को अग्रिम जमानत लेना जरूरी है। उनके कार्यालय से संपर्क करने पर पता चला है कि वह दिल्ली में बीबीएमबी के मामले में होने वाली बैठक में हिस्सा लेने के लिए गए हैं, मगर उनके दौरे को दूसरे मामले से जोड़कर भी देखा जा रहा है।

क्या है पूरा मामला

हिमाचल के सीनियर ब्यूरोक्रेट प्रबोध सक्सेना पूर्व में विदेशी निवेश संवर्द्धन बोर्ड (एफआईपीबी) की ब्रांच के हैड थे। आरोप है कि उस दौरान आईएनएक्स मीडिया को 305 करोड़ रुपए की विदेशी धनराशि प्राप्त करने के लिए एफआईपीबी की मंजूरी दिलाने के लिए जमकर अनियमितताएं बरती गई थीं। इसके चलते सीबीआई ने वर्ष 1990 बैच के हिमाचली आईएएस अफसर प्रबोध सक्सेना के खिलाफ सरकार से केस चलाने की अनुमति मांगी थी। बता दें कि सेंट्रल विजिलेंस कमीशन की सिफारिशों के बाद केंद्रीय कार्मिक मंत्रालय को आरोपी आईएएस अधिकारियों के खिलाफ केस चलाने की अनुमति देनी पड़ती है।


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