पड़ोसी राज्यों को खिसक जाएगी केंद्र की सौगात

By: Aug 27th, 2019 12:01 am

धर्मशाला     – केंद्र से हिमाचल को बड़ी सौगात को सरकार ने जल्द नहीं संभाला, तो यह पड़ोसी राज्यों को खिसक सकती है। केंद्र सरकार ने प्रदेश की दूसरी राजधानी धर्मशाला में 300 बेड का नेशनल स्पोर्ट्स होस्टल बनाने की करीब दो वर्ष पूर्व मंजूरी दी थी। इसके लिए लगभग सारी औपचारिकताएं भी पूरी हो चुकी हैं, लेकिन स्थानीय नेताओं और प्रदेश सरकार सहित खेल विभाग द्वारा विशेष रुचि न दिखाए जाने के कारण इस बड़ी एवं महत्त्वाकांक्षी परियोजना के लिए भूमि स्थानांतरण का काम ही पूरा नहीं हो पाया है। हालांकि इस बड़ी परियोजना से न केवल हिमाचल के खिलाडि़यों, बल्कि हिमाचल मैं देशभर से अभ्यास के लिए आने वाले खिलाडि़यों को भी सुविधा मिलेगी। हलात ऐसे हैं कि इस भवन का काम ही शुरू नहीं हो पाया है। इस भवन के निर्माण के लिए केंद्र सरकार ने करीब तीस करोड़ से अधिक की राशि भी जारी कर दी है। निर्धारित समय पर धन खर्च नहीं हो पाया, तो यह अन्य राज्यों को भेजा जा सकता है। केंद्र ऐसा कई बड़े प्रोजेक्टों में पहले कर चुका है। देश भर के नामी खिलाड़ी यहां अभ्यास के लिए आते हैं, जिन्हें राष्ट्रीय स्तर का खेल होस्टल मिल जाए, तो उनकी आवक बढ़ जाएगी, जिसका हिमाचल के खिलाडि़यों को उनके साथ मिलने और अभ्यास का मौका मिलेगा। इस नेशनल होस्टल के बनने से उन्हें ठहरने की सुविधा मिलनी है। इसके  अलावा इस होस्टल में मल्टीप्लेक्स,  फिटनेस को जिम सहित तमाम सुविधाएं मुहैया करवाई जानी हैं, जो अंतरराष्ट्रीय स्तर के खिलाडि़यों के लिए आवश्यक होती हैं। धर्मशाला देश का ऐसा सुंदर व भव्य स्थल है, जहां के सेमी हाई एल्टीट्यूड के कारण खिलाड़ी अभ्यास करने के लिए देशभर से यहां पहुंचते हैं, लेकिन उन्हें ठहरने की उचित सुविधा नहीं मिल पाती है। मौजूदा दौर में भी ओलंपिक की तैयारी करने के लिए यहां खिलाड़ी पहुंचे हुए हैं, लेकिन उन्हें महंगे होटलों में ठहरना पड़ता है। हालांकि केंद्र सरकार ने करीब दो वर्ष पूर्व इस परियोजना को हरी झंडी दे दी थी, जिसके बाद टेंडर तक की पूरी प्रक्रिया कर ली गई है। खेल विभाग द्वारा साई को दिए जाने वाली करीब 16 कनाल भूमि के लिए एमओयू साइन होना बाकी है। एमओयू साइन न होने के चलते इस परियोजना का कार्य शुरू नहीं हो पा रहा है। हालात यह है कि इस मामले पर न तो प्रदेश के नेता रुचि दिखा रहे हैं और न ही खेल विभाग। इसके चलते अब इस बड़ी एवं महत्त्वाकांक्षी परियोजना के पड़ोसी राज्यों को खिसकने का डर सताने लगा है। उधर, खेल विभाग और साई के अधिकारियों का दावा है कि अधिकतर  औपचारिकताएं पूरी कर ली हैं और जल्द ही एमओयू साइन हो जाएगा, लेकिन सरकार व प्रशासन ने इस मामले को गंभीरता से नहीं लिया, तो बड़ा नुकसान झेलना पड़ सकता है।


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