परमाणु परीक्षण विरोधी अंतरराष्ट्रीय दिवस 

By: Aug 28th, 2019 12:19 am

परमाणु परीक्षण विरोधी अंतरराष्ट्रीय दिवस प्रत्येक वर्ष 29 अगस्त, को मनाया जाता है। इसका उद्देश्य लोगों में परमाणु हथियारों से होने वाले नुकसान एवं उनके दुष्प्रभावों के बारे में उन्हें जागरूक करना है। 2 दिसंबर, 2009 को संयुक्त राष्ट्र महासभा के 64वें सत्र में 29 अगस्त को परमाणु परीक्षण विरोधी अंतरराष्ट्रीय दिवस के रूप में घोषित किया गया था। यह पहली बार वर्ष 2010 में मनाया गया था। कजाखिस्तान द्वारा सेमीपलातिन्स्क में 29 अगस्त, 1991 को किए गएपरमाणु परीक्षण के खिलाफ  प्रस्ताव लाया गया था, जिसे अन्य देशों ने भी समर्थन प्रदान किया। यह दिवस संयुक्त राष्ट्र के सदस्य राष्ट्रों, अंतर सरकारी और गैर-सरकारी संगठनों और मीडिया को सूचित, शिक्षित और परमाणु हथियार परीक्षण पर प्रतिबंध लगाने की आवश्यकता पर बल देता है। प्रत्येक वर्ष इस अवसर पर विभिन्न सभाएं, सम्मेलन, प्रदर्शनियां एवं प्रतियोगिताएं आयोजित कराई जाती हैं।

विश्व भर में परमाणु परीक्षण

बीसवीं सदी में कई देशों ने परमाणु परीक्षण किए थे। पहला परमाणु परीक्षण अमरीका ने 16 जुलाई, 1945 में किया था, जिसमें 20 किलोटन का परीक्षण किया गया था। अब तक का सबसे बड़ा परमाणु परीक्षण सोवियत रूस में अक्तूबर, 1961 को किया गया था, जिसमें 50 मेगाटन के हथियार का परीक्षण किया गया था। 2009 में उत्तरी कोरिया ने परमाणु परीक्षण किया थाए जिसे विश्व के अधिकांश देशों ने निंदनीय बताया। विश्व के परमाणु शक्ति संपन्न राष्ट्रों ने अब तक कम से कम 2000 परमाणु परीक्षण किए हैं।

परमाणु अप्रसार संधि

परमाणु अप्रसार संधि नॉन प्रॉलिफरेशन ट्रीटी, को एनपीटी के नाम से जाना जाता है। इसका उद्देश्य विश्व भर में परमाणु हथियारों के प्रसार को रोकने के साथ-साथ परमाणु परीक्षण पर अंकुश लगाना है। 1 जुलाई, 1968 से इस समझौते पर हस्ताक्षर होना शुरू हुआ। अभी इस संधि पर हस्ताक्षर कर चुके देशों की संख्या 190 है। जिसमें पांच के पास आण्विक हथियार हैं। ये देश हैं. अमरीका, ब्रिटेन, फ्रास, रूस और चीन। सिर्फ  चार संप्रभुता संपन्न देश इसके सदस्य नहीं हैं। यह हैं भारत, इजरायल,पाकिस्तान और उत्तरी कोरिया। एनपीटी के तहत भारत को परमाणु संपन्न देश की मान्यता नहीं दी गई है। जो इसके दोहरे मापदंड को प्रदर्शित करती है। इस संधि का प्रस्ताव आयरलैंड ने रखा था और सबसे पहले हस्ताक्षर करने वाला राष्ट्र फिनलैंड था। इस संधि के तहत परमाणु शक्ति संपन्न राष्ट्र उसे ही माना गया है, जिसने 1 जनवरी, 1967 से पहले परमाणु हथियारों का निर्माण और परीक्षण कर लिया हो। इस आधार पर ही भारत को यह दर्जा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नहीं प्राप्त है।


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