फिजाओं में अमन का आगाज
जगदीश बाली
स्वतंत्र लेखक
मैं उसी कश्मीर की बात कर रहा हूं, जिसकी खूबसूरती का दीदार होते ही कभी शहंशाह जहांगीर ने कहा था- अगर धरती पर स्वर्ग है, तो वह यहीं है, यहीं है, यहीं है। मगर अफसोस! यह वही कश्मीर है, जहां केसर की खुशबू हिंसा व दहशत के अंधेरे में गुम होकर रह गई। जहां की सर्द हवाओं में न जाने कितने मोहब्बत के गाने, तराने व कसमे-वादे घुले हैं, उसे अस्त्र बना कर जन्नत-ए-कश्मीर को पाकिस्तान की नापाक हरकतों ने दोजक कर दिया। अकसर स्कूल, कालेज व विश्वविद्यालय में कई बार दोस्तों से अनुच्छेद 370 और कश्मीर पर बहस या बातचीत होती थी। हर बार यह सवाल हमेशा अनुत्तरित ही रहता कि कश्मीर अगर भारत का एक राज्य है, तो धारा 370 क्यों? अगर धारा 370 है, तो भारत का यह कैसा राज्य? आखिर बाकी राज्यों की तुलना में तीन गुना ज्यादा आर्थिक पैकेज कश्मीर को देकर भारत को क्या हासिल हुआ? भारत को हासिल हुआ आतंकवाद। भारत को हासिल हुआ कदम-कदम पर पड़ोसी का दगा व पीठ पर खंजर। भारत को मिले अलगाववादी पत्थरबाज, जिन्होंने हमारे सैनिकों को परेशान करने में कोई कसर न छोड़ी, परंतु आखिर अब सूरज देश व कश्मीर के लिए एक नई सुबह ले कर आया है। भारत सरकार ने नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में संसद में एक ऐतिहासिक घोषणा की। साहस व राजनीतिक इच्छाशक्ति का उदाहरण पेश करते हुए सरकार ने कश्मीर को केंद्र शासित प्रदेश घोषित कर दिया। उधर लद्दाख को भी अलग केंद्र शासित प्रदेश बना दिया गया। घाटी में आतंकवाद की गुर्राहट के नीचे यह क्षेत्र हाशिए पर चला गया था और यहां की आवाम की आवाज दब कर रह गई थी। कश्मीर और लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश बनाने की घोषणा सुनते ही हिंदोस्तान का आम नागरिक बाग-बाग हो उठा। इस निर्णय का विरोध करने वाले राजनीतिक दलों की मालूम नहीं क्या सियासी मजबूरियां होंगी, परंतु सच पूछो तो देश का हर आम नागरिक खुशी से झूम उठा। यह बात भी किसी से छिपी नहीं कि कश्मीर के मुफ्ती, अब्दुल्ला व लोन जैसे कुछ नेता अलगाववादियों व पत्थरबाजों से सहानुभूति रखते आए हैं। भारत सरकार के इस फैसले से उनका सियासी खेल समाप्त हो गया। अत: उनका दर्द समझा जा सकता है। इधर ऐसे भी नेता हैं, जो पाकिस्तान के सियासी आकाओं से भारत के प्रधानमंत्री मोदी को हटाने की गुहार भी लगा चुके हैं। उनसे उम्मीद ही क्या की जा सकती है। घर में बैठे पाक व आतंकियों के हिमायतियों के चलते कश्मीर में अमन की स्थापना निस्संदेह मुश्किल हो रहा था। अब सरकार का यह फैसला गौरव, साहस व इच्छाशक्ति से भरा है, परंतु कश्मीर को उसकी पुरानी आभा लौटाना सरकार का मुख्य उद्देश्य होना चाहिए। उम्मीद है कि फिर से गुल बनेगा, गुलशन बनेगा, कश्मीर अमन का अब गुलफाम बनेगा।
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