हफ्ते का खास दिन

By: Aug 28th, 2019 12:20 am

साधना

जन्मदिवस : 2 सितंबर 1941

साधना का जन्म 2 सितंबर, 1941,को कराची में हुआ था। भारतीय सिनेमा की प्रसिद्ध अभिनेत्री रही हैं। उन्होंने फिल्म ‘अबाणा’ से अपना फिल्मी सफर आरंभ किया था। साधना ने हिंदी फिल्मों से जो शोहरत पाई और जो मुकाम हासिल किया, वह किसी से छिपा नहीं है। साधना का पूरा नाम ‘साधना शिवदासानी’ बाद में नैय्यर था। वह अपने माता-पिता की एकमात्र संतान थीं। अपने बालों की स्टाइल की वजह से भी साधना प्रसिद्ध थीं, उनके बालों की कट स्टाइल ‘साधना कट’ के नाम से जानी जाती है। साधना के पिता का नाम शेवाराम और माता का नाम लालीदेवी था। माता-पिता की एकमात्र संतान होने के कारण साधना का बचपन बड़े प्यार के साथ व्यतीत हुआ था। 1947 में भारत के बंटवारे के बाद उनका परिवार कराची छोड़कर मुंबई आ गया था। इस समय साधना की आयु मात्र छः साल थी। साधना का नाम उनके पिता ने अपने समय की पसंदीदा अभिनेत्री ‘साधना बोस’ के नाम पर रखा था। साधना ने आठ वर्ष की उम्र तक अपनी शिक्षा घर पर ही पूरी की थी। यह शिक्षा उन्हें उनकी मां से प्राप्त हुई थी। रूपहले पर्दे पर अपनी दिलकश अदाकारी से घर-घर में पसंद की जाने वाली साधना का विवाह आरके नैय्यर के साथ हुआ था। जब साधना स्कूल की छात्रा थीं और नृत्य सीखने के लिए एक डांस स्कूल में जाती थीं, तभी एक दिन एक नृत्य निर्देशक उस डांस स्कूल में आए। उन्होंने बताया कि राजकपूर को अपनी फिल्म के एक ग्रुप-डांस के लिए कुछ ऐसी छात्राओं की जरूरत है, जो फिल्म के गु्रप डांस में काम कर सकें। साधना की डांस टीचर ने कुछ लड़कियों से नृत्य करवाया और जिन लड़कियों को चुना गया, उनमें से साधना भी एक थीं। इससे साधना बहुत खुश थीं, क्योंकि उन्हें फिल्म में काम करने का मौका मिल रहा था।  गाना था। ‘रमैया वस्ता वइया’। साधना शूटिंग में रोज शामिल होती थीं। नृत्य-निर्देशक जब जैसा कहते साधना वैसा ही करतीं। शूटिंग कई दिनों तक चली। लंच-चाय तो मिलते ही थे, साथ ही चलते समय नकद मेहनताना भी मिलता था।  साधना यह चाहती थीं कि वह पर्दे पर डांस करती हुई कैसी लगती हैं, उनकी सहेलियां भी देखें। सहेलियों के साथ साधना सिनेमा हाल पहुंचीं। फिल्म शुरू हुई। जैसे ही गीत ‘रमैया वस्ता वइया’ शुरू हुआ, तो साधना ने फुसफुसाते हुए सहेलियों से कहा, इस गीत को गौर से देखना, मैंने इसी में काम किया है। सभी सहेलियां आंखें गड़ाकर फिल्म देखने लगीं, लेकिन गाना समाप्त हो गया और वह कहीं भी नजर नहीं आईं। तभी सहेलियों ने पूछा, अरे तू तो कहीं भी नजर ही नहीं आई। साधना की आंखें उनकी बात सुनकर डबडबा गईं। उन्हें क्या पता था कि फिल्म के संपादन में राजकपूर उनके चेहरे को काट देंगे, लेकिन यह एक संयोग ही कहा जाएगा कि जिस राजकपूर ने साधना को उनकी पहली फिल्म में आंसू दिए थे, उन्होंने आठ साल बाद उनके साथ ‘दूल्हा-दुल्हन’ में हीरो का रोल निभाया। 25 दिसंबर 2015 को मुंबई में साधना की मृत्यु हो गई।


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