धूप सफेद क्यों नजर आती है

By: Sep 11th, 2019 12:05 am

प्राथमिक रंग दो प्रकार के होते हैं। एक तो वे जो प्रकाश के रंग होते हैं लाल, हरा और नीला और दूसरे वे जो पिगमेंट्स यानी पदार्थों के रंग होते हैं। यानी वे जिनका प्रयोग हम पेंटिंग आदि में करते हैं। ये हैं लाल, नीला और पीला, इन दोनों में मोटे तौर पर फर्क गुणों का है। एक में जुडऩे का गुण होता है, तो दूसरे में घटने का जो प्रकाश के प्राथमिक रंग होते हैं वे एडीटिव यानी योगात्मक रंग कहलाते हैं और पिगमेंट्स के रंग सब्सट्रैक्टिव यानी व्यकलात्मक रंग कहलाते हैं। अब इन दोनों का अंतर समझ लें। पिगमेंट्स यानी पदार्थ के रूप में उपलब्ध रंगों की खास बात यह होती है कि वह प्रकाश पडऩे पर सारे रंगों को अवशोषित कर लेती है और सिर्फ उसी रंग को परावर्तित करती है जिस रंग की होती है। जैसे कि आसमान सिर्फ नीले रंग को परावर्तित करता है और इसलिए वह नीला दिखाई पड़ता है। साफ है कि पदार्थ के रंगों की प्रवृत्ति यह होती है कि वह वस्तु के रंग को छोड़कर बाकी रंगों को हटा देता है। इसलिए वे कहलाते हैं सब्सट्रैक्टिव यानी व्यकलात्मक रंग। दूसरी ओर प्रकाश के रंगों की प्रवृति दूसरे तरह की होती है। इसकी खासियत यह है कि वह जैसा है वैसा दिखाई पड़ता है। लाल रंग का प्रकाश है तो लाल रंग है यदि हरा है तो हरा है, लेकिन यदि कोई दो रंग एक साथ आ जाएं तो वे घुलमिल जाते हैं। जैसे लाल और हरा रंग एक साथ मिल जाए तो दिखेगा पीला। यानी प्रकाश के रंगों में जुडऩे का गुण होता है। इसलिए वे एडीटिव या योगात्मक रंग कहलाते हैं। सूरज की रोशनी हमें सफेद दिखाई पड़ती है , लेकिन वह होती है सारे प्राथमिक रंगों का मिश्रण यह है एडीटिव होने की खासियत, लेकिन अगर आप चाहें कि पदार्थों वाले प्राथमिक रंग मिलाकर सफेद रंग बना लें तो यह संभव नहीं है।


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