निचले हिमाचल को बड़ा बागबानी झटका

By: Sep 7th, 2019 12:01 am

धर्मशाला    – प्रदेश के लिए विश्व बैंक द्वारा वित्त पोषित 1200 करोड़ की बागबानी विकास परियोजना में निचले हिमाचल को बड़ा झटका लगा है। ऊपरी क्षेत्र के सेब की फसल को कुल राशि का करीब दस फीसदी मिल गया, लेकिन प्रदेश के अन्य फलदार क्षेत्रों में खुलने वाले रोजगार व स्वरोजगार द्वारा फिलहाल बंद होते दिख रहे हैं। प्रदेश के निचले हिस्से में आम, लीची, अनार, अमरूद और मालटा संतरा सहित अन्य फल तैयार होते हैं। इस परियोजना में 2014 में विश्व बैंक द्वारा 1270 करोड़ रुपए मंजूर किए गए थे और अब तक इसका लगभग 10 फीसदी हिस्सा सेब की फसल में ही लगाया गया है। सरकार ने सेब के छोटे पौधे लगाए हैं, जिनमें अधिक फल और पौधे का आकार कम होता है, लेकिन इस परियोजना में सरकार द्वारा अब तक किसी भी अन्य फलों की फसल, विशेष रूप से आम और संतरा की ऐसी छोटी किस्मों की खरीद नहीं की गई है, जिसमें छोटे-छोटे पौधों में अधिक पैदावार से बागबान मालामाला हो सकते थे, जिस तरह सेब की पैदावार वाले बागबान लाभान्वित हो रहे हैं। हिमाचल के निचले इलाकों सहित कांगड़ा, हमीरपुर, ऊना और बिलासपुर में इस बागबानी क्रांति में लगभग कमी आई है। हिमाचल प्रदेश सरकार ने इन क्षेत्रों को एचपी बागबानी विकास परियोजना से हटा दिया है। इस राज्य के निचले क्षेत्र के अधिकांश नेता इस परियोजना का लाभ पाने के लिए किसानों के समूह भी नहीं बनवा पाए हैं। कांगड़ा जिला के नूरपुर विस क्षेत्र के छोड़ कर अन्य नेताओं ने भी न तो इस मामले को गंभीरता से लिया और न ही इस महत्त्वाकांक्षी परियोजना पर काम किया, जिसका नतीजा यह हुआ कि इस क्षेत्र में जिन किसानों एवं बागबानों को लाभ मिलना था, वह इससे वंचित रह सकते हैं। कांगड़ा जिला से नूरपुर क्षेत्र में संबंधित परियोजना पर समितियां गठित हुई हैं। इस संबंध में जब संबंधित विधायक से बात की, तो उन्होंने बताया कि नूरपुर में उन्होंने स्वयं प्रयास किए हैं। उनके क्षेत्र को इस परियोजना में शामिल किया गया है। उन्होंने इस परियोजना का लाभ पाने के लिए किसानों के लगभग नौ समूहों का गठन किया है। यह राज्य के इस हिस्से के नेताओं द्वारा प्रयासों की कमी है अन्यथा हिमाचल प्रदेश के निचले क्षेत्रों सहित कांगड़ा, ऊना, बिलासपुर और हमीरपुर जिलों को विश्व बैंक द्वारा वित्त पोषित एचपी बागबानी विकास परियोजना के तहत लगभग 800 करोड़ रुपए मिलने थे।

परियोजना पर 2016 में हुए थे प्रयास

परियोजना के लिए तैयार समझौते पर अक्तूबर, 2016 में हस्ताक्षर किए गए थे। परियोजना को राज्य के सभी 12 जिलों में लागू किया जाना था। इस परियोजना के तहत राज्य को तीन क्षेत्रों निचली पहाडि़यों, मध्य पहाडि़यों और ऊंचे व समतल क्षेत्रों में विभाजित किया गया था। अब निचली और मध्यम क्षेत्रों को परियोजना से हटा दिया गया है और क्षेत्र के लोग बागबानी क्रांति से वंचित रह सकते हैं।


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