निवेश से आएगी कश्मीर में खुशहाली

By: Sep 2nd, 2019 12:06 am

डा. जयंतीलाल भंडारी

विख्यात अर्थशास्त्री

जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 के हटाए जाने के बाद जम्मू-कश्मीर की सबसे पहली आवश्यकता जम्मू-कश्मीर के युवाओं के लिए रोजगार और स्वरोजगार के नए मौके निर्मित करना है। ऐसे रोजगार और स्वरोजगार के नए मौके निर्मित करने के परिप्रेक्ष्य में विगत 13 अगस्त को केंद्र सरकार ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में पहला वैश्विक निवेशक सम्मेलन 12 से 14 अक्तूबर तक आयोजित किया जाएगा…

हाल ही में 28 अगस्त को जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने कहा है कि जम्मू-कश्मीर में आगामी 2-3 माह में 50 हजार से अधिक रिक्त सरकारी पदों को भरा जाएगा। साथ ही सेब खरीदने के लिए पांच हजार करोड़ रुपए का वित्त प्रबंधन सुनिश्चित किया गया है। गौरतलब है कि देश और दुनिया के अर्थ विशेषज्ञ यह कहते हुए दिखाई दे रहे हैं कि जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 के हटाए जाने के बाद जम्मू-कश्मीर की सबसे पहली आवश्यकता जम्मू-कश्मीर के युवाओं के लिए रोजगार और स्वरोजगार के नए  मौके निर्मित करना है। ऐसे रोजगार और स्वरोजगार के नए मौके निर्मित करने के परिप्रेक्ष्य में विगत 13 अगस्त को केंद्र सरकार ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में पहला वैश्विक निवेशक सम्मेलन 12 से 14 अक्तूबर तक आयोजित किया जाएगा। यह वैश्विक निवेशक सम्मेलन श्रीनगर से जम्मू तक आयोजित किया जाएगा। इस निवेशक सम्मेलन के माध्यम से स्थानीय संसाधनों के उपयोग और स्थानीय लोगों के लिए अधिक रोजगार पर ध्यान दिया जाएगा।

निश्चित रूप से जम्मू-कश्मीर के विकास के लिए वैश्विक निवेशक सम्मेलन अहमियत रखता है। इससे इस प्रदेश की अर्थव्यवस्था की संरचना को भी बदला जा सकेगा। राज्य का राजकोषीय घाटा 9673 करोड़ रुपए था, जो कि राज्य जीडीपी का 61 प्रतिशत था। कृषि क्षेत्र में 2018-19 में 68 प्रतिशत की वृद्धि रही। मैन्युफेक्चरिंग बिजली, जल आपूर्ति, निर्माण और खनन क्षेत्र में छह प्रतिशत की वृद्धि रही। सेवा क्षेत्र जम्मू-कश्मीर राज्य की अर्थव्यवस्था में महत्त्वपूर्ण रूप से योगदान प्रदान करता है। इसमें व्यापार, पर्यटन, रियल एस्टेट, ब्रॉडकास्टिंग और वित्तीय सेवाएं शामिल हैं। वर्ष 2018-19 में इस क्षेत्र का योगदान 56 प्रतिशत रहा था। जम्मू-कश्मीर के कुल राजस्व का 50 प्रतिशत भाग अनुदान के तौर पर केंद्र से आता रहा है।

ऐसे में अब अनुच्छेद 370 के हटने के बाद राजस्व के नए साधनों से जम्मू-कश्मीर की अर्थव्यवस्था को मजबूती मिल सकेगी। वस्तुतः जम्मू-कश्मीर के विकास की रणनीति में कृषि और पर्यटन को फोकस किया जाना होगा। अब तक जम्मू-कश्मीर के अधिकांश लोग कृषि और पर्यटन की आय तक सीमित रहे हैं, लेकिन अब अनुच्छेद 370 खत्म होने के बाद इन दोनों क्षेत्रों के साथ-साथ जम्मू-कश्मीर में उद्योग-व्यापार की नई संभावनाएं उत्पन्न होंगी। उल्लेखनीय है कि जम्मू-कश्मीर के अधिकांश लोग जीवन निर्वाह के लिए कृषि कार्य में लगे हुए हैं। लेकिन उनकी कृषि में परंपरागत साधनों का ही उपयोग किया जा रहा है। कश्मीरी लोग चावल, मक्का, गेहूं, जौ, दालें, तिलहन तथा तंबाकू आदि उत्पादित करते हैं। कश्मीर की घाटी भारतीय उपमहाद्वीप के लिए एकमात्र केसर उत्पादक है। कश्मीर में बड़े-बड़े बागों में सेब, नाशपाती, आडू, शहतूत, अखरोट और बादाम उगाए जाते हैं। लेकिन इन सबकी उत्पादकता बहुत कम है। इसमें कोई दोमत नहीं है कि जम्मू-कश्मीर सरकार की तमाम कोशिशों के बावजूद कश्मीर की ओर देशी और विदेशी टूरिस्टों का रुख बहुत कम होने का परिणाम यह है कि जम्मू-कश्मीर की अर्थव्यवस्था में वह सुधार नहीं हो पाया है जिसकी उम्मीद की जा रही थी। गौरतलब है कि हस्तशिल्प जम्मू-कश्मीर का परंपरागत उद्योग है।

जम्मू-कश्मीर के प्रमुख हस्तशिल्प उत्पादों में कागज की लुगदी से बनी वस्तुएं, लकड़ी पर नक्काशी, कालीन, शाल और कशीदाकारी का सामान आदि शामिल हैं। कश्मीर के प्रसिद्ध पश्मीना का उत्पादन यहीं पाली जाने वाली बकरियों से होता है। रेशम पालन भी कश्मीर में बहुत प्रचलित है। जम्मू-कश्मीर की अर्थव्यवस्था काफी हद तक हस्तकला उद्योगों पर निर्भर है। हस्तशिल्प उद्योग से काफी मात्रा में विदेशी मुद्रा अर्जित होती है। इसके साथ ही परिशुद्धता की जांच करने वाले उपकरण, धातु के बरतन, खेल का सामान, फर्नीचर, माचिस और राल व तारपीन जम्मू-कश्मीर के मुख्य औद्योगिक उत्पादन हैं। अब अनुच्छेद 370 हटने के बाद देश के अन्य क्षेत्रों से इन छोटे उद्योगों एवं हस्तशिल्प क्षेत्र में नई पूंजी प्राप्त हो सकेगी जिससे ये उद्योग आगे बढ़ सकेंगे। निश्चित रूप से नए निवेश जम्मू-कश्मीर की अर्थव्यवस्था में नई जान फूंक देंगे। जम्मू-कश्मीर में व्यापार और उद्योग आएगा तो उत्पादन भी बढ़ेगा, जिसका असर राज्य की जीडीपी पर सकारात्मक रूप से पड़ेगा। इसका फायदा वहां के लोगों को सीधे तौर पर होगा। इंडस्ट्री और व्यापार आने से जम्मू-कश्मीर के स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसर मिलेंगे। उन्हें अपने घर को छोड़कर दूसरे राज्यों में नौकरी के लिए नहीं जाना होगा। वहां के लोगों की प्रति व्यक्ति आय में इजाफा होगा और जीवनशैली में सुधार होगा।

चूंकि अनुच्छेद 370 के रहने से दूसरे राज्यों के लोग कश्मीर में कोई व्यवसाय नहीं कर सकते थे, इसलिए वहां के बाजार में प्रतिस्पर्द्धा ज्यादा नहीं थी। अनुच्छेद 370 हटने से देश के अन्य भागों से जम्मू-कश्मीर में निवेश आएगा तथा बाजार में स्वस्थ प्रतिस्पर्द्धा का विकास भी होगा। गौरतलब है कि  इस समय जम्मू-कश्मीर में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, स्वास्थ्य सुविधाओं तथा बुनियादी ढांचे की बहुत कमी है। अब नई निवेश नीति से नया देशी-विदेशी निवेश आने से बुनियादी ढांचे, शिक्षा सुविधाओं तथा स्वास्थ्य सुविधाएं में इजाफा होगा तथा जम्मू-कश्मीर में आर्थिक-सामाजिक खुशहाली आएगी। मौजूदा समय में कश्मीर में प्रॉपर्टी के दाम बहुत कम  हैं। अनुच्छेद 370 हटने से कश्मीर में प्रॉपर्टी के दामों में उछाल देखने को मिलेगा। जिसका लाभ जम्मू-कश्मीर के लोगों को मिलेगा। हम आशा करें कि अब अनुच्छेद 370 की समाप्ति के बाद जम्मू-कश्मीर में सरकार कुछ महत्त्वपूर्ण उपायों की डगर पर आगे बढ़ते हुए दिखाई देगी।

जम्मू-कश्मीर के युवाओं को अधिक से अधिक नौकरी और रोजगार देने के लिए प्रयास किए जाएं। जम्मू-कश्मीर में आईटी सेक्टर को प्रोत्साहन देने के लिए नए कॉल सेंटर स्थापित किए जाएं। बुनियादी ढांचे के तहत पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए स्की सेंटर शुरू किए जाएं। जिस तरह से देश के विभिन्न प्रदेशों में स्थानीय लोगों को रोजगार में विशेष आरक्षण दिया जा रहा है, उसी तरह के विशेष रोजगार आरक्षण की व्यवस्था जम्मू-कश्मीर में भी की जाए। हम आशा करें कि 28 अगस्त को जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने 50 हजार रिक्त सरकारी पदों को 2-3 माह में भरने का जो ऐलान किया है, उसके क्रियान्वयन के लिए सरकार त्वरित कदम उठाएगी। हम आशा करें कि जम्मू-कश्मीर में 12 से 14 अक्तूबर तक आयोजित होने वाले पहले वैश्विक निवेशक सम्मेलन को सफल बनाने के लिए कारगर प्रयास किए जाएंगे।


Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also,  Download our Android App