नेशनल टीचर अवार्ड में हिमाचल फिसड्डी

By: Sep 2nd, 2019 12:30 am

तीन में से एक ही शिक्षक ले पाया पुरस्कार, शिक्षा में दूसरे स्थान पर रहने वाले प्रदेश में नहीं मिल रहे परफॉर्मर

शिमला –शिक्षा के क्षेत्र में देश भर में दूसरे स्थान पर रहने वाले हिमाचल के पास राष्ट्रीय अवार्ड के लिए शिक्षकों की कमी खलने लगी है। हैरानी है कि इस बार एक ही शिक्षक को पांच सितंबर को यह अवार्ड मिलने जा रहा है, जबकि केंद्र सरकार ने तीन अवार्ड हिमाचल में शिक्षकों के नाम किए थे। सूत्रों की मानें, तो इस बार नेशनल टीचर अवार्ड के लिए शिक्षा विभाग का प्रोसेस भी सही रूप से नहीं चल पाया। विभागीय सूत्र बताते हैं कि  कई जिलों में राष्ट्रीय शिक्षक अवार्ड के लिए चयन प्रक्रिया ही नहीं हुई। वहीं कई जगह इस प्रकिं्रया में उपनिदेशकों को भी जांच अधिकारी नहीं बनाया गया था। सवाल यह है कि हिमाचल में एक लाख से ज्यादा शिक्षकों में से शिक्षा विभाग तीन शिक्षकों को भी सिलेक्ट नहीं कर पाया। बता दें कि हिमाचल में कई ऐसे शिक्षकों ने मिसाल पेश की है, जिन्होंने एक कमरे से शुरू की शिक्षा को आज इतना बेहतर बना दिया है कि निजी स्कूलों के छात्र भी उसी स्कूल में दाखिला ले रहे हैं। साल भर शिक्षा विभाग में ऐसे शिक्षक चमकते हैं, लेकिन जब राष्ट्रीय स्तरीय अवार्ड की बात होती है, तो सही मायनों में शिक्षा की लौ जलाने वाले शिक्षक ही गायब हो जाते हैं। इस बार भी शिक्षा विभाग की राष्ट्रीय टीचर अवार्ड की चयन प्रक्रिया पर कई शिक्षकों ने अंदरखाते विरोध करना शुरू कर दिया है। अवार्ड से वंचित किए गए शिक्षकों को राज्य शिक्षक पुरस्कार के लिए विभाग के अपने मनोनयन में शामिल तक नहीं किया जा रहा है, जिससे निराश एक शिक्षक ने यह मामला हाई कोर्ट में दायर करने का भी मन बना लिया है। राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार के लिए प्रदेश के 25 से अधिक शिक्षकों ने आवेदन किए थे, लेकिन शिक्षा विभाग की लापरवाही का यह आलम है कि इनमें से जो शिक्षक नेशनल अवार्ड के हकदार थे, उनको प्रेजेंटेशन के लिए राज्य स्तर पर भी नहीं बुलाया गया। मानव संसाधन मंत्रालय ने स्पष्ट रूप से जिला स्तरीय चयन समिति में डिप्टी डायरेक्टर का होना अनिवार्य बनाया है। हैरत है कि इस बार शिमला से दो व्यक्ति भेजकर खानापूर्ति करते हुए यह प्रक्रिया की गई।

नवाचारी शिक्षकों का नाम भी नहीं

समग्र शिक्षा के तहत जिन शिक्षकों को दो सालों से नवाचारी घोषित किया गया है, वह भी राष्ट्रीय अवार्ड के लिए पात्र नहीं हो पाए हैं। इन शिक्षकों में से कई ऐसे शिक्षक हैं, जिन्होंने अपने लेवल पर सरकारी स्कूलों में अंग्रेजी विषय की पढ़ाई शुरू की है।


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