युद्ध से डूबेगी पाक अर्थव्यवस्था

By: Sep 30th, 2019 12:08 am

डा. जयंतीलाल भंडारी

विख्यात अर्थशास्त्री

अर्थविशेषज्ञों का कहना है कि किसी भी युद्ध से कर्ज में डूबी पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था तबाह हो जाएगी। गौरतलब है कि पिछले दिनों 14 सितंबर को दुनिया भर के देशों की आर्थिक स्थिति पर नजर रखने वाली एजेंसी मूडीज क्रेडिट रेटिंग ने अपनी नई अध्ययन रिपोर्ट में कहा है कि पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था कर्ज में डूबती जा रही है। रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान की विदेशी कर्ज पर बढ़ती निर्भरता और कर्ज भुगतान की घटती क्षमता से वित्तीय संकट पैदा हो गया है…

हाल ही में 27 सितंबर को संयुक्त राष्ट्र महासभा में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने कश्मीर पर जहर उगलते हुए भारत पर परमाणु हमले की धमकी दी। इससे पहले भी जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने के बाद से अब तक इमरान और पाकिस्तान के सभी नेता बार-बार भारत को युद्ध की धमकी देते आ रहे हैं। ऐसे में दुनिया के अर्थविशेषज्ञों का कहना है कि किसी भी युद्ध से कर्ज में डूबी पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था तबाह हो जाएगी। गौरतलब है कि पिछले दिनों 14 सितंबर को दुनिया भर के देशों की आर्थिक स्थिति पर नजर रखने वाली एजेंसी मूडीज क्रेडिट रेटिंग ने अपनी नई अध्ययन रिपोर्ट में कहा है कि पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था कर्ज में डूबती जा रही है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान की विदेशी कर्ज पर बढ़ती निर्भरता और कर्ज भुगतान की घटती क्षमता से वित्तीय संकट पैदा हो गया है। मूडीज ने पाकिस्तान को उन देशों की सूची में शामिल किया है जिनकी कर्ज भुगतान की क्षमता बेहद खराब होती जा रही है। पाकिस्तान की रेटिंग बी-3 नेगेटिव है जो बेहद निराशाजनक है। इस समय वैश्विक स्तर पर भारत और पाकिस्तान की अर्थव्यवस्थाओं की तुलनाओं पर आधारित जो विवेचनाएं प्रकाशित हो रही हैं, इनमें यह कहा जा रहा है कि यद्यपि भारत की अर्थव्यवस्था में भी सुस्ती है, लेकिन पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था में भारी मंदी की स्थिति है।

पिछले माह 23 अगस्त को ऑस्ट्रेलिया के कैनबरा में आयोजित आतंकी गतिविधियों के लिए धन मुहैया कराने व धन शोधन करने वाले देशों पर निगरानी रखने वाली अंतरराष्ट्रीय एजेंसी फाइनांशियल एक्शन टास्क फोर्स ‘एफएटीएफ’ की एशिया प्रशांत इकाई ने पाकिस्तान को काली सूची में डाल दिया है। अब इस पर अंतिम निर्णय लेने के लिए संभवतया अक्तूबर 2019 में एफएटीएफ की बैठक होगी जो पाकिस्तान के लिए गंभीर संकट की आहट है। यदि पाकिस्तान को काली सूची में डालने का अंतिम निर्णय ले लिया जाएगा तो पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति और गंभीर हो जाएगी।

स्थिति यह है कि एफएटीएफ के एशिया प्रशांत समूह ने पाया कि पाक ने मनी लांड्रिंग और आतंकवाद के वित्त पोषण संबंधी कुल 40 मानकों में से 32 का अनुपालन नहीं किया। ऐसे में खस्ताहाल अर्थव्यवस्था से जूझ रहे पाक को अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष, विश्व बैंक और यूरोपीय संघ आदि से मदद लेना अब मुश्किल हो जाएगा। इतना ही नहीं मूडीज व स्टैंडर्ड एंड पूअर्स जैसी वैश्विक वित्तीय एजेंसियां भी पाक की रेटिंग गिरा देंगी। दरअसल, यह रेटिंग तय करती है कि किस देश में निवेश किया जा सकता है। वैश्विक निवेश रुकने से पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था की कमर टूट सकती है।

अमरीका ने केरी लूगर बर्मन एक्ट के तहत पाकिस्तान को ऊर्जा एवं जल संकट से निपटने के लिए दी जाने वाली प्रस्तावित मदद में 44 करोड़ डालर की कमी कर दी है। इसमें कोई  दोमत नहीं है कि भारतीय अर्थव्यवस्था पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था से 9 गुना बड़ी है और विकास दर, विदेशी मुद्रा भंडार तथा महंगाई नियंत्रण के मामले में भारतीय अर्थव्यवस्था पाकिस्तान की तुलना में बहुत अच्छी स्थिति में है। पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था की मुश्किलें लगातार बढ़ती जा रही हैं। पिछले माह 11 अगस्त को पाकिस्तान ब्यूरो ऑफ  स्टैटिस्टिक्स के द्वारा जारी किए गए महंगाई के आंकड़ों के अनुसार पाकिस्तान में महंगाई छलांगे लगाकर बढ़ रही है।

जुलाई 2019 में पाकिस्तान में महंगाई दर 10.34 फीसदी रही है, जो कि पिछले साल जुलाई 2018 में 5.86 फीसदी थी। जबकि भारत में महंगाई कम बढ़ी है। 13 अगस्त को प्रकाशित आंकड़ों के अनुसार भारत में खुदरा महंगाई दर 3.52 फीसदी ही है। पाकिस्तान में दूध की कीमत करीब 150 रुपए प्रति लीटर हो गई है, जो पेट्रोल की कीमत से भी अधिक है। वस्तुतः भारत के साथ कारोबार संबंध तोड़ना पाकिस्तान के लिए महंगाई बढ़ाने का बड़ा कारण बना है, कोई एक माह पहले जिस पाकिस्तान ने भारत के साथ व्यापार पर रोक लगा दी थी, उसी पाकिस्तान ने भारत के साथ व्यापार को आंशिक तौर पर बहाल करते हुए तीन सितंबर को भारत से जीवन रक्षक दवाइयों के आयात की अनुमति दी है।

निःसंदेह इस समय पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था भारी मुश्किल में है पाकिस्तान का कर्ज छह अरब डालर तक पहुंच गया है और दिवालिया जैसी स्थिति में है। पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान का कहना है कि पाकिस्तान के पास कर्ज की किस्त चुकाने के लिए डालर नहीं बचे हैं। पाकिस्तान की विकास दर नौ साल के निचले स्तर पर चार फीसदी पर पहुंच गई है और विदेशी मुद्रा भंडार 13 अरब डालर से भी कम है। पाकिस्तान की मुद्रा एशिया की सबसे कमजोर मुद्रा है। डालर के मुकाबले पाकिस्तान का रुपया 150 के पार चला गया है। जबकि दूसरी ओर भारत की अर्थव्यवस्था पाकिस्तान से बहुत बेहतर स्थिति में है। भारत से निर्यात पाकिस्तान की तुलना में करीब 10 गुना अधिक है।

भारत में विदेशी निवेश बढ़ रहे हैं। इस समय जहां भारत के विदेशी मुद्रा कोष में 430 अरब डांलर संचित हैं, वहीं साढ़े छह फीसदी से अधिक विकास दर के साथ भारत दुनिया का तेज विकास दर वाला देश है। उल्लेखनीय है कि भारत के द्वारा पाकिस्तान की आर्थिक मुश्किलें बढ़ाने के लिए नदियों के पानी को भी आर्थिक प्रहार का औजार बनाया जा सकता है। वर्ष 1960 में हुए सिंधु जल समझौते के कारण पाकिस्तान को जो लाभ हो रहे हैं, उन्हें भी भारत के द्वारा रोका जा सकता है । यदि भारत सिंधु जल समझौते को तोड़ दे तो पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था बुरी तरह प्रभावित होगी। इन सबके अलावा भारत पाकिस्तान रहित एशियन एसोसिएशन फॉर रीजनल कोऑपरेशन ‘सार्क’ के साथ-साथ पाकिस्तान रहित साउथ एशियन फ्री ट्रेड एरिया ‘साफ्टा’ को नया रूप देकर पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था के लिए नई आर्थिक चुनौती खड़ी कर सकता है।

स्पष्ट है कि यदि पाकिस्तान भारत के साथ किसी युद्ध के लिए आगे बढ़ेगा तो पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था चौपट हो जाएगी । ऐसे में पाकिस्तानी अर्थव्यवस्था को संभालने के लिए पाकिस्तान के लिए जरूरी है कि वह पाकिस्तान में भारत के प्रति शत्रुतापूर्ण तथा विदेश का माहौल नियंत्रित करके, पाकिस्तानी अर्थव्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए काम करे साथ ही भारत के साथ कारोबार संबंध फिर से बहाल करे।  


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