आवाज : जेन कहानियां

By: Oct 19th, 2019 12:13 am

जेन गुरु शुइची के एक आंख नहीं थी, मगर वे एक ज्ञानदीप्त गुरु थे। वे एक आश्रम में शिष्यों को जेन की दीक्षा दिया करते थे। आश्रम में सन्नाटा पसरा रहता। कहीं कोई आवाज नहीं। सब कुछ वेआवाज। यहां तक कि शुइची ने आश्रम में सूत्रों के पाठ पर भी पाबंदी लगा रखी थी। शुइची के शिष्यों के पास ध्यान करने के सिवाय कोई काम नहीं था।  एक दिन आश्रम की पड़ोसन वृद्धा स्त्री को पहले घंटियों की टन-टन और इसके पीछे-पीछे सूत्रों के पाठ कार स्वर सुनाई दिया। उसने इस आवाज को सुनकर ही जान लिया कि शुइची अब संसार में नहीं रहे।

 


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