इस रोजगार को समझिए

By: Oct 24th, 2019 12:05 am

अति उत्तम रोजगार की खोज में हिमाचल अपने मानव संसाधन का निर्यात कर रहा है, जबकि प्रदेश में रोजगार वृद्धि का प्रत्यक्ष-परोक्ष फायदा नहीं हो रहा है। प्रदेश में रोजगार के अवसर अगर भवन निर्माण क्षेत्र में पैदा हुए भी, तो इसका सीधा लाभ प्रवासी मजदूरों को मिला। सरकार के पास सभी तरह के पंजीकृत मजदूरों का आंकड़ा आठ लाख के करीब है, जबकि वस्तु स्थिति इससे कहीं भिन्न है। बीबीएन में हिमाचल की सबसे बड़ी रोजगार मंडी अगर सजती है, तो वहां उत्तम रोजगार की युवा इच्छा पूरी नहीं होती। हालांकि करीब साढ़े चार लाख के करीब वर्कफोर्स में आंकड़ों की पूर्ति में सत्तर फीसदी हिमाचली चेहरों की शिनाख्त होती है, फिर भी वास्तविकता कुछ और है। इसमें भी आधे के करीब कौशलविहीन मजदूरों की संख्या अपने आप में रोजगार का ऐसा उपयोग है, जो प्रदेश के लिए कोई मायने नहीं रखता। कमोबेश हर शहर से गांव तक फैलते रोजगार में हम मजदूरों का आयातित टीला देख सकते हैं। गांव में कौशल विकास के मायने नदारद हैं, क्योंकि बढ़ई से मोटर मेकेनिक तक और मिस्त्री से मशीन आपरेटर तक सभी तरह के कामकाज में गैर हिमाचली व्यस्त हैं। इस दौरान रोजगार कार्यालयों में बैठे करीब नौ लाख युवा केवल उत्तम रोजगार की उम्मीद में सरकारी नौकरी का इंतजार कर रहे हैं और इस पर भी तुर्रा यह कि 45 वर्ष की आयु तक सरकारी नौकरी की आशा बंधी रहेगी। आश्चर्य यह भी कि हिमाचल की मांग और आपूर्ति से हमारे स्वाभाविक रोजगार की क्षमता का विकास नहीं हो रहा। प्रदेश की दुध, अंडों तथा बेकरी की मांग में खासा इजाफा हुआ है, लेकिन इनमें बहुतायत उत्पाद पड़ोसी राज्यों से ही आ रहे हैं। पूरे भारत में नोटबंदी के बाद पुनः कृषि में रोजगार ढूंढा जा रहा है, लेकिन आम हिमाचली इससे किनारा कर रहा है। कमोबेश इसी तरह शहद, जड़ी-बूटियों तथा फूलोत्पादन में गिरावट आई है। एक समय में मशरूम उत्पादन में तेजी आई थी, लेकिन इस क्षेत्र को अपनाने में भी बाजार हार गया। बेशक हिमाचल में उपभोक्ता मांग निरंतर बढ़ रही है, लेकिन इससे न तो खेत, न स्वरोजगार, न लघु उद्योग, न कौशल और न ही ग्रामीण रोजगार में बढ़ावा हुआ है। पूरे देश की तरह हिमाचल में भी रोजगार के नाम पर अल्प कौशल या कौशलविहीन लोगों के लिए अवसर बढ़े हैं, लेकिन इसके विपरीत स्थानीय युवा या तो सरकारी नौकरी के लिए खुद को तैयार कर रहा है या उत्तम रोजगार के लिए प्रदेश के बाहर प्रस्थान कर रहा है। प्रदेश के कुल 4195 सरकारी संस्थानों में 272141 सरकारी कर्मचारियों के मुकाबले निजी क्षेत्र के 1724 संस्थानों में 145921 कर्मचारी 2014 तक के आंकड़ों के अनुरूप कार्यरत बताए जाते हैं, लेकिन यह संख्या काफी बढ़ी है। निजी क्षेत्र में रोजगार हासिल करने की क्षमता, कौशल व दक्षता हासिल करने के लिए त्वरित प्रभाव से शिक्षा के उच्चारण बदलने होंगे, जबकि युवाओं की परवरिश अब नए दौर की चुनौतियों के मद्देनजर करनी होगी। हिमाचल में इन्वेस्टर मीट के अपने लक्ष्य हो सकते हैं, लेकिन गैर सरकारी रोजगार पर अध्ययन की जरूरत इसलिए बढ़ जाती है ताकि मानव संसाधन की दिशा तय की जा सके। इन्वेस्टर मीट के जिस हिस्से में रोजगार-स्वरोजगार का हिसाब होगा, वहीं वास्तविक तस्वीर दिखेगी। इसी के साथ हिमाचल की निवेश क्षमता का आकलन और मूल्यांकन भी आवश्यक है। महामहिम दलाईलामा की हिमाचल में मौजूदगी या यहां के देव संस्कृति से परिपूर्ण मंदिरों को अगर संभावनाओं से देखा और विकसित किया जाए, तो रोजगार की क्षमता में नित नया निखार आएगा।


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