खुले में कूड़ा फेंकना  वनस्पति को नुकसान

By: Oct 2nd, 2019 12:15 am

जीव अनाक्षित कूड़ा गलता-सड़ता नहीं है। इससे निकले रसायन के कारण पेड़-पौधे तथा वनस्पति तक सूख जाते हैं तथा यह कचरा बीमारियों को खुला आमंत्रण देता है। ऐसा कूड़ा पर्यटन नगरी मनाली में बढ़ता ही जा रहा है। इसी को देखते हुए नार्वे सरकार ने कूड़ा निष्पादन की 1.5 करोड़ रुपए की एक योजना बनाई…

गतांक से आगे …         

मनाली में पर्यावरण की समस्या :

जीव अनाक्षित कूड़ा गलता-सड़ता नहीं है। इससे निकले रसायन के कारण पेड़-पौधे तथा वनस्पति तक सूख जाते हैं तथा यह कचरा बीमारियों को खुला आमंत्रण देता है। ऐसा कूड़ा पर्यटन नगरी मनाली में बढ़ता ही जा रहा है। इसी को देखते हुए नार्वे सरकार ने कूड़ा निष्पादन की 1.5 करोड़ रुपए की एक योजना बनाई। एक सर्वेक्षण में मनाली को प्रतिदिन होने वाली कूड़े का आकलन करने के लिए सात हिस्सों में बांटा गया। इसमें मनाली शहरी क्षेत्र , अलेऊ, रांगड़ी, प्रीणी वशिष्ट, क्लब हाऊस क्षेत्र और नग्गर व सोलंग हैं। सर्वेक्षण के दौराना पाया गया कि इन तमाम इलाकों में कुल 1416 केएलडी मल निकासी प्रतिदिन हो रही है तथा 4.94 टीपीटी नष्ट न होने वाला कचरा प्रतिदिन उत्पन्न हो रहा है।, जो कि अपने गंभीर परिणामों के बारे में स्वतः संकेत दे रहा है। मनाली बाजार में इस वक्त कुल 204 होटल हैं। (2006) इनमें  प्रतिदिन 774 केएलडी मल निकासी व 2.7 टीपीडी न होने वाला कुड़ा उत्पन्न हो रहा। इसी प्रकार अलेऊ क्षेत्र में 36 पंजीकृत होटल, जिनका कुल बिस्तर क्षमता 1033 हैं, प्रतिदिन 157 केएलडी मल एवं 0.55 टीपीडी अनाक्षित गिरा रहे हैं। मनाली का स्वागत द्वार रांगड़ी क्षेत्र में  20 पंजीकृत व चार गैर-पंजीकृत होटल हैं। यह होटल प्रतिदिन 145 केएलडी सीवरेज व 0.51 सॉलिड वेस्ट वातावरण में छोड़ रहे हैं। पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी के हिमाचली घर प्रीणी क्षेत्र में भी कुल्लू में नौ होटल कार्य कर रहे हैं।, जिनकी कुल बिस्तर क्षमता 490 है तथा वे होटल 71 केएलडी मल एवं 0.25 टीपीडी कूड़ा प्रतिदिन छोड़ रहे हैं। इसके अतिरिक्त नग्गर, सोलंग व कटराई क्षेत्र में 841 बिस्तर क्षमता वाले कुल 57 होटल हैं। इनसे प्रतिदिन 122 केएलडी सीवरेज व 0.42 टीवीडी अनक्षित कूड़ा बाहर आ रहा है। रिपोर्ट के अनुसार यहां पर्यावरण की समस्या से जुझने के लिए कोई भी विकल्प दिखाई नहीं दे रहा है। जीव अनाक्षित कूड़ा गलता-सड़ता नहीं है। इससे निकले रसायन के कारण पेड़-पौधे तथा वनस्पति तक सूख जाती तथा यह कचरा बीमारियों  को खुला आमंत्रण है। मनाली में पर्यावरण असंतुलन की इस समस्या को देखते हुए नार्वे सरकार आगे आई तथा उसकी सहायता से यहां 1.5 करोड़ रुपए की लागत से कूड़े-कचरे का निष्पादन करने के लिए परियोजना का निर्माण किया गया है।                           -क्रमशः

 


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