सेना में दिवाली

By: Oct 26th, 2019 12:05 am

कर्नल मनीष धीमान

स्वतंत्र लेखक

पिछले एक सप्ताह से कुछ राज्यों के विधानसभा चुनाव, उत्तर भारत में पराली जलाने से हो रहे प्रदूषण, पाकिस्तान के साथ करतारपुर कोरिडोर पर बात, भारतीय क्रिकेट को मिले नए अध्यक्ष आदि मुद्दों पर चर्चा के साथ-साथ दिवाली की तैयारी बड़े जोर-शोर से चल रही है। घर-आंगन की सफाई कर रंग-बिरंगी रंगोलियां, छत-चौबारों पर जगमगाती रोशनी, बच्चों का नए कपड़े पहन सारा दिन मस्ती एवं हुड़दंग, घर से बाहर दूर काम व नौकरी करने वाले लोग बस-ट्रेन में लदकर, मिठाई-पटाखों के साथ अपने घर-गांव को वापस लौट रहे हैं। सेना में भी दिवाली कुछ इसी तरह से कुछ खास अंदाज में मनाई जाती है। सेना में हर त्योहार पोस्टिंग लोकेशन के हिसाब से मनाया जाता है। पीस स्टेशन में दिवाली मनाने का अलग ही अंदाज होता है। दो दिन पहले दिवाली मेला लगता है, जिसमें अलग-अलग तरह की मनोरंजक खेल प्रतियोगिताएं जैसे आंखों पर पट्टी बांध मटका फोड़ना, मैरिड कपल के लिए रिक्शा दौड़ एवं सुई-धागा प्रतियोगिता आदि के साथ-साथ खाने-पीने की दुकानें सजती हैं, सूरज ढलने पर शाम को सामूहिक आतिशबाजी आयोजन के बाद मिठाई बांटना और अंत में बड़ा खाना के साथ दो पैग इशू होना। दिवाली के दौरान सेफ्टी और सिक्योरिटी का ध्यान रखने तथा रात को ताश न खेलने पर बार-बार हुक्म दिए जाते हैं, पर फिर भी कहीं न कहीं किसी बैरक में तथा मैस के कोने में सिपाही, सूबेदार एवं अधिकारियों को देर रात तक ताश के पत्तों में उलझे देखा जा सकता है। शायद यह इस त्योहार के साथ जुड़ा एक अटूट हिस्सा है। फील्ड एरिया में दिवाली मनाने का अलग ही अंदाज होता है, दिवाली आने तक मौसम बदल जाता है, पहाड़ों पर बर्फ  पड़ने से हैबिलीटेशन से दूर अंतरराष्ट्रीय सीमा पर कुछ एरिया अलग-थलग पड़ जाते हैं। जब सारा मुल्क आतिशबाजी बजा, घर- परिवार के साथ त्योहार मना रहा होता है, उस वक्त ऐसे एरिया में तैनात सैनिक, ठंड और तन्हाई से लड़ते हुए देश की सीमाओं पर चौकन्ना खड़ा रह त्योहार को खुशियों से मनाने के लिए सुरक्षा देता है। दिल ही दिल में घर-परिवार, गांव, दोस्तों के साथ मनाए इस त्योहार को याद तो करता है पर सैनिक धर्म को सर्वोपरि रख नम आंखों से कर्त्तव्यनिष्ठ रहता है। सीमा के उस तरफ  बैठा पड़ोसी मुल्क का सैनिक जो उसी तरह के मंजर से गुजर रहा होता है, शायद इस त्योहार की अहमियत को समझते हुए जानबूझ कर हवा में कुछ फायर कर देता है, जिसके जवाब में बार्डर आतिशबाजी से गूंज उठता है। दोनों तरफ  से गोलियों की दन-दन आहट, जोर-जोर से गालियों के साथ-साथ दिवाली मुबारक की आवाज सुन उस कमबख्त  को प्यार से गले लगाने का मन करता  है।


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