अब नहीं बनेगी मिलते-जुलते नाम की दवा

By: Nov 11th, 2019 12:02 am

 केंद्र सरकार ने नियमों में किया संशोधन, कंपनियों के लिए नया प्रावधान तत्काल प्रभाव से लागू

बीबीएन –दवा कंपनियां अब किसी प्रचलित ब्रांड से मिलते-जुलते नाम वाली नई दवाएं बाजार में नहीं उतार सकेंगी। केंद्र सरकार ने मरीजों को गलत दवा के सेवन से बचाने के लिए नियमों में संशोधन कर दिया है। इसके तहत केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने औषधि और प्रसाधन सामग्री नियमों में नया प्रावधान शामिल किया गया है, जिसमें दवा के लिए मंजूरी लेते समय दवा कंपनियों को एक शपथपत्र देना होगा। इसमें यह स्पष्ट करना होगा कि जिस दवा की अनुमति मांगी जा रही है, उस नाम की या उससे मिलते-जुलते नाम की दवा पहले से बाजार में नहीं है। बतातें चलें प्रतिस्पर्धा के चलते कई कंपनियों ने मिलते जुलते नामों वाली ब्रांडेड दवाएं बाजार में उतार रखी हैं, जिससे केमिस्ट मरीजों को गलत दवा दे देते हैं। इसी कड़ी में अब मरीजों को भ्रमित करने वाली एक जैसे नाम की दवाओं पर लगाम लगाने के लिए केंद्र सरकार ने एहतियातन यह कदम उठाया है। जानकारी के मुताबिक केंद्रीय केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के संयुक्त सचिव डा मंदीप के भंडारी के हवाले से यह अधिसूचना जारी की गई है, जिसमें औषधि और प्रसाधन सामग्री (13वां संशोधन) नियम 2019 के नाम से प्रकाशित इन नए नियमों में कहा गया है कि दवा विपणन की अनुमति मांगते वक्त दवा कंपनियों को एक घोषणा पत्र देना होगा। इसमें यह उल्लेख करना होगा कि उन्होंने दवा का ब्रांड नेम तय करने से पहले ट्रेडमार्क रजिस्ट्री, ब्रांड नेम का केंद्रीय डाटा बेस, केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन के पास मौजूद दवाओं के ट्रेड नेम, संदर्भ पुस्तकों में मौजूद ड्रग फॉर्मूलेशन के नाम और इंटरनेट पर मौजूद दवाओं के नाम को खंगाला है। इसके अलावा यह भी बताना होगा कि दवा कंपनी की ओर से  प्रस्तावित दवा का नाम या कोई मिलता-जुलता नाम पहले से मौजूद नहीं है और इससे बाजार में किसी प्रकार के भ्रम या धोखे की स्थिति नहीं बनेगी।

भ्रम से बचेगी जनता

मौजूदा समय में बाजार में मिलते-जुलते या एक जैसे नाम पर वाली तमाम दवाएं बाजार में हैं। उदाहरण के तौर पर एल्लॉक्स एंटीबायोटिक है और एल्फॉक्स एक मिर्गी की दवा है।

पांच फीसदी का ट्रेडमार्क

देश में मौजूद दवाओं में से पांच फीसदी दवाओं के ही ट्रेड मार्क रजिस्टर है। इसके अलावा दस हजार से भी ज्यादा ऐसी दवाएं बाजार में हैं, जिनके नाम मिलते-जुलते हैं। इसकी जद में करीब 25 फीसद दवा बाजार है।


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