ठंड नहीं, कपड़ों की कमी से मरते हैं लोग

By: Nov 1st, 2019 12:01 am

सोलन – प्राकृतिक आपदाओं के कारण मरने वालों की तुलना में उचित कपड़ों की कमी के कारण अधिक लोग मारे जाते हैं। ठंड लोगों को नहीं मारती है। अगर ऐसा होता, तो कोई भी बच नहीं पाता। ये शब्द विश्व भर में ‘क्लॉथिंग मैन’ के रूप में विख्यात एवं मैगसेसे पुरस्कार विजेता अंशु गुप्ता ने गुरुवार को शूलिनी यूनिवर्सिटी के छात्रों और शिक्षकों से कही। उन्होंने कहा कि यह उचित कपड़ों की कमी है, जो लोगों की जान लेती है, जिसको काफी हद तक रोका जा सकता है, लेकिन फिर भी इसके बारे में कोई नहीं बोलता है। हर साल लाखों लोग इससे पीडि़त होते हैं और फिर भी यह सुर्खियों में नहीं आता है। श्री गुप्ता ने कहा कि उन्हें ‘चैरिटी’ और ‘दान’ जैसे शब्दों से नफरत है। उन्होंने कहा कि रिसीवर सर्वोपरि हैं। उन्होंने कहा कि दानदाताओं को इस विचार को छोड़ देना चाहिए कि वे कोई एहसान कर रहे हैं या दान कर किसी पर उपकार कर रहे हैं। अंशु गुप्ता एनजीओ गूंज के संस्थापक भी हैं। उन्होंने कहा कि गूंज का ध्यान दाता के गौरव के बजाय रिसीवर की गरिमा पर केंद्रित रहता है। उन्होंने कहा कि गूंज, सैकड़ों ग्रामीण विकास गतिविधियों के लिए पुरानी सामग्री को एक संसाधन के रूप में बदलने पर काम करता है। इससे पहले विवि के वाइस चांसलर पीके खोसला और यूनिवर्सिटी के अन्य सीनियर फैकल्टी सदस्यों द्वारा उनका स्वागत किया गया। उन्होंने यूनिवर्सिटी के छात्रों और कर्मचारियों द्वारा एकत्र किए गए कपड़ों और अन्य वस्तुओं को ले जाने वाले एक मिनी ट्रक को भी हरी झंडी दिखाई।


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