प्रदूषण से बचने के उपाय

By: Nov 8th, 2019 12:07 am

प्रो. एनके सिंह

अंतरराष्ट्रीय प्रबंधन सलाहकार

आज दिल्ली से एयरलाइंस की 32 उड़ानों को डायवर्ट किया गया क्योंकि खराब दृश्यता के कारण ये उतर नहीं सकी। मैंने याद किया कि जब मैंने चार साल पहले दो विश्वविद्यालयों के निमंत्रण पर चीन का दौरा किया था तो चीन में भयावह कम दृश्यता और प्रदूषण की समस्या थी। मुझे ट्रेन में शंघाई से बीजिंग ले जाया गया क्योंकि मेरा मेजबान उड़ानों के रद्द होने का जोखिम नहीं उठाना चाहता था। मैंने पहले भी चीन की इस पर्यावरणीय आपदा का अनुमान लगाया था, क्योंकि मेरा बेटा, जो एक पायलट है, चीन गया और कई बार उसे बीजिंग में भी औद्योगिक क्षेत्र के प्रदूषण के कारण समस्याओं का सामना करना पड़ा…

मैं एक दिन सुबह सोकर उठा तो पूर्ण उज्ज्वल सूरज और नीला आसमान लिए धौलाधर मेरे सामने झिलमिला उठा। बर्फ  से ढकी चोटियां विज्ञापनों में एक साफ पॉलिश वाले दांतों की छवि की तरह थीं। जब मैंने हिमाचल के स्वास्थ्यप्रद वातावरण को देखा तो मुझे दिल्ली के एक मित्र ने एक अजीब सा झटका दिया, जिसने मुझे मास्क पहने एक तस्वीर भेजी जो स्क्रीन पर भयंकर लग रही थी। पहले उसने मुझे झटका दिया क्योंकि वह एक आतंकवादी की तरह लग रहा था, लेकिन बाद में मैंने नेट और टेलीविजन पर कई और खोज की, जो अपने चेहरों को मुखौटों से ढक रहे थे और अपने सबसे प्यारे शहर दिल्ली की सड़कों पर चल रहे थे जहां मैं बड़ा हुआ और जिसे मैंने दस साल पहले अपने आप को हिमाचल के हरे-भरे जंगलों के बीच स्थानांतरित करने के लिए छोड़ दिया था। इसी तरह शहरों से गांवों की ओर लोग क्यों नहीं आते तथा शहरों के बढ़ते प्रदूषण से बचते क्यों नहीं, विशेषतः तब जब उनके पास अपनी पारियां होती हैं। मैंने उस उर्दू कवि को उद्धृत किया जिन्होंने लिखा है ‘बडे़ शहरों में डर लगने लगा है, चलो अब लौट चलें जगलों में’। आज दिल्ली से एयरलाइंस की 32 उड़ानों को डायवर्ट किया गया क्योंकि खराब दृश्यता के कारण ये उतर नहीं सकी। मैंने याद किया कि जब मैंने चार साल पहले दो विश्वविद्यालयों के निमंत्रण पर चीन का दौरा किया था तो चीन में भयावह कम दृश्यता और प्रदूषण की समस्या थी। मुझे ट्रेन में शंघाई से बीजिंग ले जाया गया क्योंकि मेरा मेजबान उड़ानों के रद्द होने का जोखिम नहीं उठाना चाहता था।

मैंने पहले भी चीन की इस पर्यावरणीय आपदा का अनुमान लगाया था, क्योंकि मेरा बेटा, जो एक पायलट है, चीन गया और कई बार उसे बीजिंग में भी औद्योगिक क्षेत्र के प्रदूषण के कारण समस्याओं का सामना करना पड़ा। इसे बदसूरत बनाने के मुख्य कारणों में से एक कारण स्पेशल इकॉनामिक जोन (सेज) के माध्यम से लापरवाह और बेलगाम औद्योगिक विकास था। उन्होंने नुकसान को रोकने के लिए त्वरित और प्रभावी कदम उठाए हैं। दिल्ली ही नहीं, रिपोर्टों के मुताबिक, आधा भारत इस तरह की जहरीली गैसों की चपेट में है, जबकि सरकार के पास कई विकल्प थे जिन पर वह विचार कर सकती थी। लेकिन इस लेख में मैं जिस विकल्प की वकालत कर रहा हूं वह है ऐसे लोगों को प्रेरित करना जो अब सेवानिवृत्त हो चुके हैं या पूर्णकालिक काम करने की स्थिति में नहीं हैं, वे ग्रामीण या भीतरी क्षेत्रों में जा सकते हैं। अब चूंकि इंटरनेट उपलब्ध है और सभी गांवों को जोड़ने और बिजली देने के लिए मोदी के नजरिए को कार्यान्वित किया जा रहा है, इसलिए पूरे भारत को जोड़ने योग्य बनाने और सेवाओं की पेशकश करने के लिए युद्ध स्तर पर प्रयास होने चाहिएं। दो क्षेत्रों- कार्य और स्वास्थ्य, को उद्योग में स्थानांतरित करने और रोजगार-व्यवसाय के अवसरों को विकसित करने या ग्रामीण आबादी को रोजगार देने के लिए विकास केंद्रों पर गंभीरता से विचार करना चाहिए। अपने अनुभव से मुझे सबसे बड़ा डिसइनसेंटिव यह लगता है कि बड़े शहरों से बाहर जाने में आनाकानी का मुख्य कारण स्वास्थ्य सुविधाओं का अभाव है।

जब मैं दिल्ली छोड़ रहा था और हिमाचल में रहने के लिए आ रहा था तो मेरे पूर्व बॉस ने मुझसे उस जगह के बारे में पूछा और केवल एक ही राय मुझे दी, ‘ऐसी जगह मत चुनो जहां कोई अच्छी स्वास्थ्य सुविधा न हो।’ मैंने उनकी सलाह को बड़ी लापरवाही से टाल दिया और जीने के लिए जंगल चुना, लेकिन हिमाचल स्वास्थ्य सुविधाओं के अभाव के लिए कुख्यात है, जबकि इसके पास रोजगार देने और राजस्व अर्जित करने के लिए एक बेहतर पर्यावरण, प्राकृतिक संसाधन और अंतरराष्ट्रीय स्वास्थ्य रिसॉर्ट का सहारा है। जब भी आप पड़ोसी राज्य में जाते हैं और वहां के अस्पतालों पर नजर डालते हैं तो हिमाचल के निवासियों की भीड़ को देखकर मेरा दिल दहल उठता है। वे अच्छा चिकित्सा उपचार प्राप्त करने के लिए पहाड़ी इलाकों से लंबी यात्रा करते हैं। मुझे यकीन है कि दर्जनों निजी बड़े व्यवसाय मैक्स या फोर्टिस या इस तरह के अन्य समूह यहां रिसॉर्ट स्थापित करना चाहते हैं, लेकिन हम हिमाचल में ऐसे अंतरराष्ट्रीय मानक वाले अस्पतालों को बनाने या आकर्षित करने में असमर्थ हैं। हमारे पास टांडा मेडिकल कालेज में उत्कृष्ट बुनियादी ढांचा भवन है, लेकिन इसके लिए विश्व स्तर की सुविधाएं, सर्वश्रेष्ठ विशेषज्ञ और प्रबंधन की आवश्यकता है। कोई भी इसे राष्ट्रीय स्तर या विश्वस्तरीय बनाने के लिए दिलचस्पी नहीं ले रहा है। हमीरपुर, चंबा, भरवाईं और मंडी में भी इसी तरह की आधुनिक सुविधाएं होनी चाहिएं। इसके लिए मोदी की आवश्यकता थी, जिन्होंने राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा का नया विजन दिया। अब उनकी जरूरत हिमाचल को भी है। हिमाचल को भारत का बेहतर स्वास्थ्य हब बनाने के लिए यहां अंतरराष्ट्रीय स्तर के स्वास्थ्य संस्थान लाए जाने चाहिएं। मैं इस जापानी कहावत को पसंद करता हूं कि जहां समस्या है, वहां व्यापार है। यह सच है। यह लोगों को शहरों से ग्रामीण इलाकों में स्थानांतरित करने के लिए प्रेरित करने के लिए काफी नहीं है, लेकिन गांवों में भी ऐसी स्वास्थ्य सुविधाएं होनी चाहिएं ताकि शहरों के लोग गांवों की ओर जाना पसंद करने लगें। मैं चाहता हूं कि देश भर के लोग हिमाचल में स्वास्थ्य सुविधाएं प्राप्त करने के लिए आएं, बजाय इसके कि हिमाचल के लोग स्वास्थ्य सुविधाएं पाने के लिए दूसरे राज्यों में दौड़ लगाते फिरें।

ई-मेलः singhnk7@gmail.com

 


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