शिक्षा की लौ जलाता नाहन

By: Nov 11th, 2019 12:10 am

बेहतर कल के लिए हाईटेक शिक्षा की पटरी पर दौड़ रहा सिरमौर जिला का नाहन शहर एजुकेशन हब बनकर उभरा है। लाखों छात्रों का भविष्य संवारने में अहम योगदान दे रहे नाहन के स्कूलों ने ऐसी क्रांति लाई कि शिक्षा के साथ-साथ खुले रोजगार के दरवाजों से प्रदेश ने तरक्की की राह पकड़ ली। हिमाचली ही नहीं, बल्कि देश-विदेश के होनहारों का कल संवार रहे ऊना में क्या है शिक्षा की कहानी, बता रहे हैं

हमारे संवाददाता  सूरत पुंडीर

 

हिमाचल प्रदेश में शिक्षा के केंद्र के रूप में उभर रहे सिरमौर जिला के मुख्यालय नाहन शहर में वर्तमान में करीब एक दर्जन निजी क्षेत्र के स्कूल जहां शिक्षा की लो जगा रहे हैं, तो वहीं सरकारी क्षेत्र के भी करीब आधा दर्जन स्कूल नाहन शहर में निजी स्कूलों को कड़ी टक्कर देने का प्रयास कर रहे हैं। समस्त सिरमौर जिला की बात करें तो जिला सिरमौर में 1039 राजकीय प्राथमिक, 189 मिडल, 95 हाई स्कूल व 154 सीनियर सेकेंडरी स्कूल शिक्षा प्रदान कर रहे हैं। सिरमौर जिला में शिक्षा का विस्तार समय के साथ-साथ बढ़ रहा है। वर्तमान में जिला सिरमौर में निजी क्षेत्र के स्कूल भी सिरमौर जिला की शिक्षा में अहम भूमिका निभा रहे हैं। जिला के विभिन्न कस्बों और ग्रामीण क्षेत्रों मे 176 निजी क्षेत्र के स्कूल सरकारी स्कूलों के साथ-साथ छात्रों के लिए एक बेहतरीन शिक्षा की बुनियाद तैयार करने का कार्य कर रहे हैं। अब शहर में हालात ये हैं कि अभिभावकों के लिए चंडीगढ़, देहरादून, अंबाला व अन्य शहरों में भेजने की आवश्यकता महसूस नहीं हो रही। नाहन के समीपवर्ती करीब 15 किलोमीटर दूर स्थित औद्योगिक क्षेत्र कालाअंब में हिमालयन प्रोफेशनल शिक्षण संस्थान न केवल हिमाचल प्रदेश के, बल्कि अन्य राज्यों के विद्यार्थियों को बीटेक, लॉ, बीएड, नर्सिंग व एमबीए जैसी व्यवसायिक शिक्षा प्रदान कर रहा है।

बेसिक से नौकरी तक के लिए तैयार कर रहे संस्थान

नाहन शहर के अन्य प्रतिष्ठित स्कूलों मे सिल्वर बेल्स स्कूल नाहन, न्यू ईरा अकादमी नाहन, सिरमोर हिल्स पब्लिक स्कूल, कंवर हरनाम सिंह मेमोरियल के अलावा अरिहंत इंटरनेशनल स्कूल नाहन शिक्षा के क्षेत्र में छात्रों की बुनियाद रख रहे हैं। अरिहंत इंटरनेशनल स्कूल नाहन ने शहर के उन छात्रों के लिए शिक्षा के नए द्वार खोल दिए हैं, जो कि साधारण पढ़ाई के साथ-साथ इंजीनियरिंग एवं मेडिकल की पढ़ाई के लिए भारी भरकम फीस अदा कर बाहरी राज्यों मे जाते थे। इसके अलावा नाहन शहर में बीआरसी संस्थान करीब एक दशक से अधिक समय से छात्रों को मेडिकल और इंजीनियरिंग के साथ एनडीए की परीक्षा की तैयारी करवा कर रहा है। नाहन शहर का हॉली हार्ट पब्लिक सीनियर सेकेंडरी स्कूल छात्रों में भारतीय संस्कृति के अलावा गुणात्मक शिक्षा के क्षेत्र में नए आयाम स्थापित कर रहा है।

शमशेर स्कूल से निकले हिमाचल निर्माता

जिला मुख्यालय नाहन की पहचान रियासतकाल के समय से स्थापित करीब 225 वर्ष पुराने राजकीय शमशेर वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय के रूप में भी जानी जाती है। प्रदेश को हिमाचल निर्माता डा. वाईएस परमार जैसी शख्सियत देने वाले शमशेर स्कूल का इतिहास प्रदेश में किसी परिचय का मोहताज नहीं है। प्रदेश सरकार के पूर्व मुख्य सचिव एसएस परमार के अलावा प्रदेश पुलिस के पूर्व डीजीपी एवं सीबीआई के पूर्व निदेशक तथा नागालैंड के पूर्व राज्यपाल अश्वनी कुमार भी इसी स्कूल की देन हैं। इसके अलावा दर्जनों भारतीय प्रशासनिक सेवा एवं भारतीय पुलिस सेवा के अलावा हिमाचल प्रशासनिक सेवा व मेडिकल तथा इंजीनियरिंग के क्षेत्र मे असंख्य डाक्टर और इंजीनियर पैदा कर चुका शमशेर स्कूल नाहन आज भी शिक्षा का केंद्र है।

और भी बहुत कुछ खास

दो दशक से नाहन व जिला सिरमौर के छात्रों को कोचिंग के माध्यम से मेडिकल ओर इंजीनियरिंग की परीक्षा के साथ-साथ एनडीए, सीए व प्रशासनिक सेवाओं की तैयारियां करवा रही करियर अकादमी ने स्कूल के क्षेत्र में प्रवेश कर लिया है। वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला नाहन ने वर्ष 2002-03 के सत्र से स्कूल मे भी प्रवेश कर लिया है। नाहन शहर की पहचान यहां के सबसे पुराने स्कूलों में शुमार डीएवी पब्लिक स्कूल नाहन और आर्मी पब्लिक स्कूल नाहन की वजह से भी खास है। डीएवी एवं आर्मी स्कूल में शिक्षा की गुणवत्ता पर विशेष ध्यान दिया जाता है।

गर्ल्ज स्कूल ने दीं सीता गोसाई

नाहन स्थित कन्या वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला भी रियासतकाल से सिरमौर के शिक्षा के क्षेत्र में अपनी पहचान रखता है। कन्या वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला नाहन से जहां जानमानी हॉकी खिलाड़ी एवं अर्जुन अवार्डी तथा भारतीय महिला हॉकी टीम की पूर्व कप्तान सीता गोसाई के अलावा ऐसे दर्जनों प्रशासनिक और पुलिस अधिकारी के अलावा अन्य क्षेत्रों मे यहां की छात्राओं ने प्रतिभा का लोहा मनवाया है। नाहन शहर के अलावा आसपास के क्षेत्रों मे करीब दो दर्जन निजी क्षेत्रों में शिक्षा का योगदान स्कूल दे रहे हैं।

मेडिकल कालेज ने देश विदेश में दिलाई पहचान

तीन साल से डा. वाईएस परमार मेडिकल कालेज एवं अस्पताल के खुलने से न केवल हिमाचल प्रदेश, बल्कि देश के अन्य राज्यों में भी नाहन शहर सुर्खियों में आ गया है। नाहन शहर में दशकों से राज्य स्तरीय शैक्षणिक संस्थान की दरकार थी, जो 2016 में आखिरकार पूरी हो गई है। वर्तमान में मेडिकल कालेज नाहन में एमबीबीएस के चार बैच आरंभ हो चुके हैं, वहीं चार सौ से अधिक प्रशिक्षु चिकित्सक यहां मेडिकल की पढ़ाई कर बतौर चिकित्सक अपना भविष्य बना रहे हैं।

40 साल पूरे कर चुका एवीएन स्कूल

सिरमौर जिला ही नहीं, बल्कि राज्य भर में नाम कमा चुके आदर्श विद्या निकेतन सीनियर सेकेंडरी स्कूल नाहन प्रदेश स्तर पर जाना-माना शिक्षण संस्थान बन चुका है। एवीएन स्कूल में नर्सरी से जमा दो कक्षा तक की शिक्षा प्रदान की जा रही है। 31 मार्च, 2019 को स्थापना के चालीस वर्ष पूरे कर चुके एवीएन नाहन के छात्र न सिर्फ मेडिकल और इंजीनियरिंग के क्षेत्र में पहचान बना चुके हैं, बल्कि प्रशासनिक क्षेत्र में भी छात्र सेवाएं दे रहे हैं।

2 1974 से शिक्षा की लो जगा रहा एसवीएन

नाहन शहर में साढ़े चार दशक से शिक्षा के क्षेत्र में अहम नाम कमा चुके शिशु विद्या निकेतन नाहन में सीनियर सेकेंडरी स्कूल बन चुका है। वर्ष 2016 से एसवीएन स्कूल नाहन में जमा दो की शिक्षा दी जा रही है। एसवीएन स्कूल आदर्शों और संस्कारों के लिए जाना जाता है। पांच से छह साल के परीक्षा परिणामों पर नजर दौड़ाई जाए, तो एसवीएन नाहन के बच्चों ने शिक्षा बोर्ड की मैरिट सूची में नाम कमाया हैं। एसवीएन स्कूल के पिं्रसीपल कुंदन ठाकुर का कहना है कि उनके स्कूल में गुणवात्मक और संस्कारित शिक्षा प्रदान की जाए, इस दिशा में लगातार प्रयास किए जाते हैं।

करियर अकादमी के छात्र नासा तक पहुंचे

सिरमौर जिला के नाहन स्थित करियर अकादमी दो दशक से नाहन ही नहीं, बल्कि प्रदेश भर के छात्रों को मेडिकल ओर इंजीनियरिंग की शिक्षा प्रदान कर रहा है। वर्ष 2012 से करियर अकादमी ने स्कूल के क्षेत्र मे उतरकर प्रदेश में नए आयाम स्थापित कर चुका है। करियर अकादमी ने पब्लिक सीनियर सेकेंडरी स्कूल नाहन स्थापित कर सात साल में लगातार यह कीर्तिमान स्थापित किया है कि यहां के विद्यार्थी विज्ञान और कॉमर्स संकाय मे प्रतिवर्ष मैरिट में स्थान अर्जित कर रहे हैं। करियर अकादमी की स्थापना वर्ष 2002-03 में समाजसेवी एसएस राठी ने की थी। प्रदेश के विभिन्न जिलों के छात्रों को जेईई, एनईईटी, एनडीए ओर मेडिकल की परीक्षा के लिए बेहद ही उचित दरों मे कोचिंग का ट्रेड सिरमौर में शुरू किया। वर्ष 2012 में करियर अकादमी ने स्कूल की शुरुआत की है। वर्तमान में इस स्कूल में कक्षा छह से जमा दो तक करीब 700 छात्र शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। इसी स्कूल के छात्र कार्तिकेय ठाकुर एक सप्ताह के लिए नासा के लिए वर्ष 2018 में चयनित हो चुके हैं।

सरकारी संस्थानों के स्तर से खुश नहीं अभिभावक

गवर्नमेंट स्कूलों में सुविधाएं बढ़ाए सरकार

प्रदेश सरकार को चाहिए कि राज्य के सरकारी स्कूलों की मूलभूत संरचना में सुधार करे, तभी सरकारी स्कूलों में छात्रों का आंकड़ा बढ़ सकता है। इसके अलावा सरकारी स्कूलों में शिक्षकों के पद रिक्त नहीं होने चाहिए तथा शिक्षकों को शैक्षणिक कार्यों के अलावा अन्य कार्य नहीं दिया जाना चाहिए

            सुरेंद्र हिंदूस्तानी, अभिभावक

निजी स्कूलों में आगे निकलने का कंपीटीशन

निजी स्कूलों में छात्रों के लिए सरकारी स्कूलों की तुलना में अच्छी सुविधाएं मिलती हैं। निजी स्कूलों में छात्रों में अधिक आत्मविश्वास भरा जाता है। प्रतिस्पर्धा के दौर में निजी स्कूल बेहतरीन परिणाम देने का प्रयास करते हैं, ताकि अन्य स्कूलों को मुकाबला दिया जा सके        शालू दत्त, अभिभावक

गवर्नमेंट स्कूलों पर काम करे सरकार

सरकारी स्कूलों मे छात्रों का आंकड़ा लगातार सिकुड़ रहा है। इस दिशा में सरकार और विभाग को गंभीर प्रयास करने होंगे, ताकि निजी क्षेत्र की तुलना में सरकारी स्कूलों के छात्रों को भी महसूस हो सके कि वे भी निजी स्कूल से कम नहीं हैं      

धीरज गर्ग, अभिभावक

प्राइवेट स्कूलों का प्रतियोगिता पर भी फोकस

निजी स्कूलों में नियमित आधुनिक शिक्षा एवं प्रतियोगी गतिविधियों को बढ़ावा दिया जाता है, जिसके चलते स्कूलों में छात्रों का मानसिक और बौद्धिक स्तर बढ़ता है। वर्तमान में स्थिति यह है कि निजी स्कूल के छात्रों में सरकारी स्कूल के छात्रों की तुलना में अधिक आत्मविश्वास महसूस किया जा रहा है

            निर्मल परमार, अभिभावक

सरकार के स्कूलों में सिमट रहे छात्र

आज सरकारी क्षेत्र के स्कूलों की हालत यह है कि यहां छात्रों का आंकड़ा दिन-प्रतिदिन सिमट रहा है। निजी स्कूलों को टक्कर देने के लिए सरकारी स्कूलों में भी निजी स्कूलों की तर्ज पर मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध करवाने की आवश्यकता है। सरकारी स्कूलों के छात्रों के लिए भी निजी स्कूलों की तर्ज पर माहौल तैयार करने की जरूरत है

            भरत भूषण मोहिल, अभिभावक

शिक्षकों पर किसी काम का बोझ नहीं

नाहन शहर में शिक्षा प्रदान करने की दिशा में निजी स्कूल अहम भूमिका निभा रहे हैं। निजी स्कूलों में छात्रों को बेहतरीन सुविधाएं प्रदान की जाती हैं। इसके अलावा शिक्षकों को केवल शैक्षणिक कार्य ही दिया जाता है। शिक्षा के विस्तार में निजी क्षेत्र के स्कूलों मे अहम योगदान है। हालात यह है कि सरकारी क्षेत्र के कर्मचारी भी अपने बच्चों को बेहतरीन सुविधाओं के चलते निजी स्कूलों मे पढ़ाना पसंद करते हैं                                                        केके चंदोला, शिक्षाविद

कोचिंग में भी आगे है शहर

निजी स्कूल बेहतरीन मूलभूत सुविधाओं के साथ-साथ बच्चों को कोचिंग की व्यवस्था भी प्रदान कर रहे हैं, ताकि छात्रों को प्रतिस्पर्धा के दौर में कंपीटीटिव परीक्षा की तैयारियां करवाई जा सकें। इससे अभिभावकों और बच्चों को अपने ही शहर में ही बेहतरीन शिक्षा का माहौल मिल रहा है

सचिन जैन, सचिव, माता

पद्मावती एजुकेशन सोसायटी एक्स्ट्रा एक्टीविटीज़ में आगे

सर्वप्रथम सरकारी स्कूलों में अनुशासन कायम रखना होगा। छात्रों को अपने पसंदीदा विषय पढ़ने का अवसर सभी स्कूलों मे मिलना चाहिए। सरकारी स्कूलों में शिक्षकों के सभी पद भरे हों। इसके अलावा स्कूल गतिविधि केंद्रित होने चाहिएं, ताकि छात्रों का सर्वांगीण विकास हो सके                                           डा. संजीव अत्री, शिक्षाविद

बेहतर रिजल्ट की कोशिश

प्रतिस्पर्धा के दौर में निजी स्कूलों में कुशल स्टाफ को तरजीह दी जाती है, ताकि उनके स्कूलों का परीक्षा परिणाम बेहतर रहे। यही कारण है कि आज अभिभावक निजी स्कूलों को अधिक प्राथमिकता दे रहे हैं। वर्तमान में नाहन शहर में निजी स्कूल बेहतरीन शिक्षा प्रदान कर रहे हैं          नरेंद्र तोमर, समाजसेवी

शिक्षकों की कमी न हो

जब तक शैक्षणिक संस्थानों में शिक्षा का बेहतरीन माहौल व मूलभूत सुविधाएं विकसित नहीं होंगी, तब तक बेहतरीन शिक्षा की उम्मीद करना मुश्किल है। नाहन व आसपास के क्षेत्रों के स्कूलों में सर्वप्रथम शिक्षकों के पद भरने होंगे। शिक्षकों को गैर शैक्षणिक काम से पूर्णरूप से मुक्त करना होगा। तभी सरकारी स्कूलों के छात्रों में भी निजी स्कूलों के छात्रों की तर्ज पर आत्म विश्वास व मनोबल बढे़गा                  डा. सुरेश जोशी, शिक्षाविद


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