हिमाचल में खुलेगी वैटरिनरी यूनिवर्सिटी, जयराम सरकार ने दिए संकेत

By: Nov 17th, 2019 12:05 am

हिमाचल में लगभग हर परिवार पशुपालन से किसी न किसी तरह जुड़ा हुआ है। कोई व्यवसाय के लिए, तो कोई शौक के लिए पशु पालता है। लोगों की इसी जरूरत को भांपकर प्रदेश की जयराम सरकार यहां  वैटरिनरी यूनिवर्सिटी अलग से खोलने की सोच रही है। अगर ऐसा होता है, तो पशुपालन में हिमाचल पूरे देश के लिए रोल माडल साबित हो सकता है।  चंद रोज पहले पशुपालन मंत्री विरेंद्र कंवर भारतीय मांस विज्ञान संघ द्वारा आयोजित संगोष्ठी में पहुंचे थे। इस दौरान उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार गंभीरता से इस मसले पर विचार कर रही है।  कंवर ने कहा कि पिछले कुछ समय के दौरान प्रदेश में गौवंश की संख्या में कमी दर्ज की गई है, लेकिन बकरी पालन को काफी प्रोत्साहन मिला है। कंवर ने वैज्ञानिकों से शोध कार्यों को जनता तक पहुंचाने का आह्वान किया। खैर, अगर वेटरिनरी यूनिवर्सिटी खुलती है, तो पशुपालन के जरिए परिवार पालने वाले लाखों लोगों के अलावा स्टूडेंट्स को भी रोजगार के नए द्वार खुलेंगे।

घर से 244 फल- सब्जियों की मार्केटिंग कर पाएंगे किसान, प्राइवेट यार्ड बनवाएगी सरकार

अगले माह यानी दिसंबर में इस पर काम शुरू होने वाला है। यह योजना हिमाचल  स्टेट एग्रीकल्चरल मार्किटिंग बोर्ड की ओर से चलाई जाएगी।  सरकार का प्रयास है कि इसमें  हर्बल, फ्लोरीकल्चर सहित अन्य क्षेत्रों के उत्पादों को इसमें शामिल किया जाए…

कृषि मंत्री रामलाल मार्कंडेय

फल-सब्जियों और जड़ी बूटियों को अब किसान मनचाहे दामों पर बेच सकेंगे। प्रदेश सरकार अब किसानों के लिए प्राइवेट मार्केटिंग यार्ड बनवाने जा रही है। इन यार्ड के जरिए किसान भाई घर बैठै अपने उत्पादों की मार्केटिंग कर पाएंगे। इस बेहद अहम योजना के दायरे में कुल 244 उत्पादों को लाया जा रहा है। अगले माह यानी दिसंबर में इस पर काम शुरू होने वाला है। यह योजना हिमाचल स्टेट एग्रीकल्चरल मार्किटिंग बोर्ड की ओर से चलाई जाएगी।  सरकार का प्रयास है कि इसमें हर्बल, फ्लोरीकल्चर सहित अन्य क्षेत्रों के उत्पादों को इसमें शामिल किया जाए। किसानों को अपने घर में प्राइवेट यार्ड बनाने में मदद दी जाएगी। इसके बाद एपीएमसी की ओर से उन्हें आसान शर्तों पर लाइसेंस प्रदान किया जाएगा। इसके तहत निजी यार्ड बनाने को भी प्रोत्साहित किया जाएगा और लोग घर से ही काम कर पाएंगे, जिसके लिए लाइसेंस दिया जाएगा। फिर वे काम शुरू कर पाएंगे। सरकार की इस योजना को लेकर अपनी माटी टीम ने कृषि मंत्री रामलाल मार्कंडेय से बात की। उन्होंने बताया कि दिसंबर से इस योजना पर हर हाल में काम शुरू किया जाएगा।

-रिपोर्ट जयदीप रिहान, पालमपुर

मालेगांव से दबोचा लाख के सेब का ठग

132 करोड़  के सेब खरीद कर आढ़तियों को चूना लगाने वाले मास्टरमाइंड को एसआईटी ने गिरफ्तार कर लिया है। एसआईटी शातिर को महाराष्ट्र के मालेगांव से गिरफ्तार कर सोलन लेकर आई है। शातिर की पहचान मोहम्मद यूसुफ के तौर पर हुई है। एसआईटी को पूछताछ में इस बात का भी पता चला है कि शातिर पर महाराष्ट्र के सोलापुर में भी ठगी का केस चला हुआ है। शातिर की गैंग ने सोलन के एक आढ़ती से सीजन के दौरान 1 करोड़ 32 लाख रुपए का सेब खरीदा गया। इनमें से कुछ पेमेंट तो कर दी, लेकिन 80 लाख रुपए अभी भी बकाया है।

-रिपोटः सुरेंद्र ममटा,सोलन  

धर्मशाला के पास्सू में महामंडी

कांगड़ा और धर्मशाला मंडी को इकट्ठा कर महामंडी बनाने की कवायद तेज हो गई है। हाल ही में विपणन बोर्ड के चेयरमैन बलदेव सिंह भंडारी ने पास्सू (धर्मशाला) स्थित निर्माणाधीन मंडी का दौरा किया और जरूरी दिशा-निर्देश कृषि उपज मंडी समिति जिला कांगड़ा को दिए। परिणामस्वरूप  कृषि उपज मंडी समिति जिला कांगड़ा के सचिव राजकुमार भारद्वाज व आढ़ती एसोसिएशन पंजीकृत कांगड़ा के प्रधान इंद्रजीत सिंह की मौजूदगी में धर्मशाला व कांगड़ा मंडी के आढ़तियों ने पास्सू स्थित सब्जी मंडी का मौका मुआयना करने के बाद  यहां महामंडी बनाने की सहमति प्रदान की है। कृषि उपज मंडी समिति के पास यंहा 43 कनाल का भूखंड मौजूद है, जहां की सब्जी मंडी का निर्माण किया जा रहा है। कांगड़ा और धर्मशाला सब्जी मंडी के आढ़तियों ने मौके पर बताया कि यहां एक आधुनिक मंडी का निर्माण कर दिया जाए, जहां दुकानें, प्लेटफॉर्म, कोल्ड स्टोर, विश्राम गृह व कैंटीन की जरूरतें पूरी हों। आढ़तियों का मानना है कि खुले में प्लेटफार्म बनाकर के आसपास दुकानों का निर्माण किया जाए तथा अन्य सुविधाएं मुहैया करवाई जाएं।

-राकेश कथूरिया कांगड़ा

गिरिपार में मटर उगाकर पछता रहे किसान, कौडि़यों में बिक रही फसल

हिमाचली मटर अपनी मिठास के लिए देश भर से अलग माना जाता है। खासकर मंडी- कुल्लू, सोलन और सिरमौर के गिरिपार इलाके में होने वाले हरे मटर की खूब डिमांड रहती है,लेकिन इस बार सिरमौर के हरिपुरधार इलाके में मायूसी पसरी हुई है। किसानों का सबसे बड़ा दर्द यह है कि इस इलाके में उन्हें सब्जी मंडी ही नहीं है। ऐसे में उन्हें नाहन,सोलन,अंबाला या फिर दिल्ली की मार्केट जाना पड़ता है। अब आप ही सोचिए हरिपुरधार से सोलन की दूरी 102 किलोमीटर है,तो नाहन का फासला 90 किलोमीटर। दिल्ली और अंबाला के तो कहने ही क्या। अब आते हैं रेट पर, इस बार दूरवर्ती मंडियों में जूते घिसने के बावजूद उनका मटर 40 रुपए किलो बिक रहा है,जबकि परचून में दाम हैं 100 रूपए में एक किलो। किसानों ने बताया कि इस बार पहले राउंड में बीजा गया मटर खराब हो गया था। दूसरी बार बिजाई के बाद मुश्किल से फसल तैयार हुई है,तो कई किलोमीटर खर्च करने पर मंडियों में दलालों के हाथों प्रताडि़त होना पड़ रहा है। दुखी किसानों ने जयराम सरकार में कृषि मंत्री रामलाल मारकंडेय से गुहार लगाई है कृपा करके उनके लिए इस क्षेत्र में उस  सब्जी मंडी को  खुलवा दें,जिसकी सरकार ने एक साल पहले नींव रखवाई थी।

बैल पालकों को हर माह दो हजार रुपए देगी सरकार

हिमाचल गो सेवा समिति का राज्य स्तरीय सम्मेलन गसोता महादेव मंदिर में आयोजित किया गया। इस दौरान प्रदेश के आठ जिलोें के गौशाला संचालकों सहित अन्य ने शिरकत की। गो सेवा समिति के अध्यक्ष रसील मनकोटिया ने सम्मेलन की रूप रेखा प्रस्तुत की। इसमें उन्होंने बताया कि तीन दिवसीय अभ्यास में गोशाला को आत्मनिर्भर बनाना, सड़कों में घूम रही लावारिस गऊंए कैसे कृषक के खूंटे में आएं। उक्त विषय पर चिंतन किया गया। मंडी एसपीसीए की ओर से उपनिदेशक पशु पालन विभाग विशाल शर्मा के आदेशानुसार भारतीय जीव-जंतु कल्याण बोर्ड से मनोनित पशु कल्याण अधिकारी मदन लाल पटियाल व राष्ट्रपति अवार्डी पर्यावरणविद सीता राम वर्मा ने भाग लिया। इस दौरान मदन लाल पटियाल ने गो वंश पर आ ेरही क्रूरता पर चिंता प्रकट की। उन्होंने समस्त भक्तों को पशु क्रूरता रोकने के लिए सहयोग की अपील की। समापन समारोह के दौरान मुख्यातिथि के रूप में पशु पालन, ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री वीरेंद्र कंवर ने शिरकत की। इस दौरान सीता राम वर्मा ने मुख्यातिथि के समक्ष मांगे रखी। इसमें उन्होंने मांग की कि प्रदेश के जिला व उपमंडल स्तर के पशु चिकित्सालयों में ऑपरेशन थियेटर का निर्माण किया जाए। प्रदेश की गोशालाओं में सेवारत सेवादारों को मनरेगा से जोड़ने का प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजा जाए। बैल से खेती करने के लिए बैल पालकों को दो हजार रुपए प्रति माह दिया जाए। मंडी जिला की मुरारी देवी व बालीचौकी में गो अभयारण्य खोलने की प्रक्रिया शीघ्र की जाए। प्रदेश के विभिन्न प्रवेश द्वारों में आयातित मैनु फैक्चारिंग दूध का परीक्षण किया जाए, ताकि गुणवता युक्त दूध ही भावी नौनिहालों को मिल सके। मुख्यातिथि ने समस्त मांगों का जल्द पूरा करने का आश्वासन दिया। इस अवसर पर कार्यक्रम में हिमाचल गो सेवा आयोग के राजेंद्र राणा, दिनेश शास्त्री, आयुष मंत्रालय निदेशक अशोक शर्मा, विशेषज्ञ प्राकतिक खेती डा. नरेश चौहान, गो सेवा आयोग महेश गिरि सहित अन्य उपस्थित रहे।                     

रिपोट : मंडी

क्या कम होगा बंदरों का आतंक

बंदरों की समस्या से जूझ रहे हिमाचल प्रदेश का मॉडल अपनाने के लिए कर्नाटक का एक उच्च स्तरीय दल यहां पहुंचा है। कर्नाटक सरकार ने इस दल को हिमाचल प्रदेश में वानरों की समस्या से निपटने के लिए किए गए प्रयासों का अध्ययन करने के लिए कहा है। इस आधार पर कर्नाटक बंदरों की समस्या से निजात पाने की तैयारी में है। हालांकि हिमाचल में यह अभियान नसबंदी से आगे नहीं बढ़ पाया है। इस कारण प्रदेश की फसल योग्य भूमि बंजर बन गई है।

पहाड़ से लाकर गोसदन में पहुंचा बेसहारा पशु

गोरक्षा पर हर कोई लंबा चौड़ा भाषण झाड़ जाता है, लेकिन सड़कों पर घूम रहे लावारिस गोवंश पर बड़ी-बड़ी जुबानों पर ताला लग जाता है। खैर इस सबके बीच कुछ संगठन या संस्थाएं ऐसी भी हैं, जो दिल से गो माता का संरक्षण कर रहे हैं। इन्हीं में से बड़ा उदाहरण बनकर सामने आई है कुल्लू नगर परिषद। इस नगर परिषद ने हाल ही में दोहरानाला और पाहनाला क्षेत्र से होकर पहाड़ में ठंड से कांप रहे बेसहारा पशुओं को पहले एक जगह इकटठा किया। उसके बाद उन्हें कुल्लू गोसदन में उन्हें शरण दी।  सुपरवाइजर प्रेम चंद शर्मा की अगवाई में 10 सदस्यीय टीम ने मंडी और कुल्लू  को जोड़ने वाले मुंजल जोत से 180 बेसहारा पशुओं को गोसदन पहुंचाकर उन सैकड़ों नेताओं और संगठनों के लिए मिसाल कायम की है,जो सिर्फ आए दिन सिर्फ बाते करते हैं। इससे पहले भी नगर परिषद ने ऐसी ही मुहिम छेड़ी थी।

स्क्रॉल

हिमाचल की सड़कों पर घूम रहे 24 हजार पशु

जयराम सरकार ने बनवाया था गोसेवा आयोग

रिपोर्ट : कुल्लू

हर दिन 31 किसानों ने दी जान

करीब दो साल की देरी के बाद आखिरकार राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) ने साल 2016 में किसान आत्महत्या से जुड़े आंकड़े जारी कर दिए हैं। रिपोर्ट के मुताबिक साल 2016 में किसान आत्महत्या से जुड़े 11,370 मामले सामने आए। इसका औसत निकाले तो हर दिन 31 से ज्यादा किसानों ने आत्महत्या की। किसान आत्महत्या के मामले में महाराष्ट्र चोटी पर रहा। साल 2016 में खेतिहर मजदूरों, भूस्वामियों और काश्तकारों द्वारा की गई 11,379 आत्महत्याओं में से 3,661 आत्महत्याएं महाराष्ट्र से थीं। अपनी पिछली रिपोर्टों में एनसीआरबी ने किसानों की आत्महत्याओं के कारणों को फसल नुकसान, कर्ज, कृषि संकट, पारिवारिक समस्याओं, बीमारियों आदि के तहत बताई थीं। हालांकि हाल ही में जारी आंकड़ों में एनसीआरबी ने आत्महत्याओं के पीछे के कारणों का उल्लेख नहीं किया है।  एनसीआरबी ने जारी बयान में कहा है कि  आत्महत्या की सबसे बड़ी वजहों में विवाह से इतर पारिवारिक समस्याएं रहीं।

सीधे खेत से

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