उम्दा सेवाओं के बाद आज रिटायर होंगे दो दिग्गज

By: Dec 31st, 2019 12:01 am

मुख्य सचिव डा. श्रीकांत बाल्दी का सफर शानदार

34 साल की प्रशासनिक सेवा में हिमाचल को बुलंदियों तक पहुंचाने का कामयाब प्रयास

शिमला – वर्ष 1985 बैच के आईएएस एवं हिमाचल सरकार के मुख्य सचिव श्रीकांत बाल्दी मंगलवार को सेवानिवृत हो जाएंगे। पिछले 35 वर्षों से सेवाएं दे रहे डा. श्रीकांत बाल्दी ने हिमाचल को बुलंदियों तक पहुंचाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। हमेशा से ही विवादों से दूर रहे डा. बाल्दी ने प्रदेश की सभी सरकारों के साथ बेहतरीन सेवाएं दीं। उनकी बेजोड़ कार्यशैली ने सबको अपना मुरीद भी बनाया। सचिव, प्रधान सचिव, अतिरिक्त मुख्य सचिव के बाद पिछले चार महीने से मुख्य सचिव के पद पर सेवाएं दे चुके डा. श्रीकांत बाल्दी ने अपने छोटे से कार्यकाल में प्रदेश सरकार के विकास कार्यों का रोडमैप बनाने से लेकर कई महत्त्वपूर्ण रोडमैप तैयार करने में भूमिका रही। भले ही वह मुख्य सचिव के पद पर मात्र चार महीने तक ही सेवाएं दी हों, मगर उनकी ईमानदार छवि और प्रशासनिक पकड़ को देखेत हुए जयराम सरकार ने महत्त्वपूर्ण कुर्सी दी।

सफल इन्वेस्टर्स मीट का तमगा, अब संभालेंगे रेरा

बताया जाता है कि मुख्य सचिव डा. श्रीकांत बाल्दी ने ही मुख्यमंत्री संकल्प सेवा हेल्पलाइन शुरू करने तथा इन्वेस्टर्स मीट जैसे कार्यक्रमों का सफल आयोजन करवाने के लिए खाका तैयार किया। डा. श्रीकांत बाल्दी पहली जनवरी से रेरा यानी रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथारिटी में चेयरमैन की कुर्सी भी संभालेंगे।

धूमल सरकार में संभाली शिक्षा की जिम्मेदारी

तत्कालीन धूमल सरकार के कार्यकाल के दौरान डा. बाल्दी के पास शिक्षा विभाग की जिम्मेदारी थी। उसके बाद पूर्व की कांग्रेस सरकार के समय प्रधान सचिव वित्त का जिम्मा था। दिसंबर, 2017 में जयराम सरकार बनी तो अतिरिक्त मुख्य सचिव वित्त के पद पर सेवाएं दी। उसके कुछ कहीने के बाद डा. बाल्दी को मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव का दायित्व सौंपा गया था। उसके बाद पहली सितंबर, 2019 से 31 दिसंबर, 2019 तक मुख्य सचिव के पद पर सेवाएं दीं।

ईएनसी पीडब्ल्यूडी आरके वर्मा के 35 साल उपलब्ध्यों से भरे

नाम :  ईं. आरके वर्मा 

जन्म :  31 दिसंबर, 1961, भयारटा, बल्ह (मंडी)

शिक्षा  : मैट्रिक की पढ़ाई कल्पा। पटियाला से इंजीनियरिंग। चंडीगढ़ से पोस्ट ग्रेजुएशन।

पहली तैनाती :  26 फरवरी, 1985 एसडीओ नूरपुर।

शिमला  – पीडब्ल्यूडी में बतौर ईएनसी ईं. आरके वर्मा  छोटी सी पारी में कई बड़े काम कर विकास को पंख दे गए। महज सात महीने पहले पीडब्ल्यूडी के मुखिया बनें ईं. वर्मा ने कई लटकी परियोजनाओं को जमीन पर उतारा। उनके छोटे  से कार्यकाल में पीएमजीएसवाई से लेकर मेंटेनेंस बजट तक हर पैकेज में हिमाचल को केंद्र से खुशियों की सौगात मिली। अहम है कि अपने जन्मदिन के दिन पर ही वह सरकारी सेवा से 31 दिसंबर को रिटायर हो रहे हैं। लोक निर्माण विभाग हमेशा उनकी बेमिसाल छवि और कार्यशैली को याद रखेगा। लोक निर्माण विभाग में 35 साल की उनकी बेहतरीन सेवाएं रही हैं। एसडीओ के पद से सेवाएं देना शुरू करने के बाद ई.आरके वर्मा विभाग के मुखिया के पद पर पहुंचे, जिनके नाम कई महत्त्वपूर्ण प्रोजेक्ट हैं, जो प्रदेश में मील का पत्थर साबित हुए हैं। 31 दिसंबर, 1961 को मंडी जिला की बल्ह वैली के भयारटा गांव में जन्मे ईं. वर्मा की प्राथमिक शिक्षा किन्नौर जिला के कल्पा से हुई। उन्होंने कल्पा स्कूल से मैट्रिक की। इसके बाद उन्होंने इंजीनियरिंग की पढ़ाई पटियाला में की और पोस्ट ग्रेजुएशन  चंडीगढ़ से। 26 फरवरी, 1985 को उन्होंने बतौर एसडीओ नूरपूर लोक निर्माण विभाग में काम शुरू किया था। लक्ष्य था प्रदेश के विकास से जुड़ने का, जिसमें उनका अहम योगदान रहा। वह जहां पर भी रहे वहां ऐसा मील पत्थर छोड़ा, जो प्रदेश के विकास से जुड़ा है। यही वजह रही कि पहले ईएनसी प्रोजेक्ट और बाद में सरकार ने उन्हें विभाग प्रमुख के पद पर तैनात किया। पैंतीस साल के अपने करियर में ई. वर्मा ने एक्सईएन के पद पर हमीरपुर, टौणीदेवी, रामपुर व पीजीआई चंडीगढ़ में अपनी सेवाएं दी हैं। इसी दौरान उन्होंने हाई-वेज में पोस्ट गे्रजुएशन किया, जिसके बाद वह एसई बिलासपुर सर्किल में तैनात हुए। चीफ इंजीनियर रहते हुए वह एचपीआरआईडीसी में सेवाएं दे चुके हैं, जिसके बाद उन्होंने चीफ इंजीनियर मंडी सर्किल, चीफ इंजीनियर साउथ जोन के अहम पदों पर सेवाएं प्रदान कीं। विभाग के लिए उनकी बहुमूल्य सेवाएं हमेशा याद रखी जाएंगी। ईएनसी प्रोजेक्ट और फिर ईएनसी लोक निर्माण विभाग के पद पर रहते हुए राज्य में नई सड़कों के निर्माण में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है।

अब तक का सफर

एक्सईएन हमीरपुर, टौणीदेवी, रामपुर। एसई बिलासपुर सर्किल। चीफ इंजीनियर एचपीआरआईडीसी, चीफ इंजीनियर मंडी सर्किल, चीफ इंजीनियर साउथ जोन। ईएनसी प्रोजेक्ट और फिर ईएनसी पीडब्ल्यूडी।

ये काम याद रहेंगे

ई. वर्मा के नाम पर जो महत्त्वपूर्ण परियोजनाएं हैं, उनमें वर्ल्ड बैंक का स्टेट रोड प्रोजेक्ट। इसी तरह से बागथन पुल के निर्माण में उनका सहयोग रहा, वहीं किन्नौर में सोल्डिंग पुल का निर्माण उनके नाम है। अवाहदेवी माता का मारवल का मंदिर उन्होंने बनवाया। कुल 66 फुट ऊंचे इस मंदिर को रिकार्ड नौ महीने में बनाकर तैयार किया। ऐसी कई उपलब्धियां उनके नाम पर दर्ज हैं, जिनसे हिमाचल के लोगों को आवागमन की बेहतर सुविधा मिल पाई।


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