गोसदन में कीचड़… ठंड से कांप रहे बेजुबान

By: Dec 19th, 2019 12:20 am

कुल्लू-गोरक्षा को लेकर सरकारी तंत्र सिर्फ राग आलापने तक  सीमित है। लेकिन धरातल की स्थिति कुछ और ही बयां करती है। मास्टर गोसदन की योजना की प्रसांगिता भी गौण होती दिखाई दे रही है। यह  कहानी जिला मुख्यालय कुल्लू की है। गोरक्षा के लिए सरकार से लेकर प्रशासन, नगर परिषद तक बैठकें कागजी पन्नों तक ही सीमित हंै। यहां बेसहारा घूम रहे पशुओं को गो सदन बनाकर छत तो दी है, लेकिन गो सदन परिसर के अलावा अंदर कीचड़ में इस भरकम ठंड में किस तरह से पशु ठंड में कांप रहे हैं, यह हाल जानने में प्रशासन और नगर परिषद शायद बेखबर है। गोसदन की देखभाल नगर परिषद कुल्लू कर रही है। गोसदन का एरिया कीचड़-कीचड़ होने से बेजुबान तो ठंड में कांप रहे हैं, लेकिन  यहां पर स्पर्श योजना के तहत तैनात तीन कर्मचारी भी वेतन नहीं मिलने से परेशान हैं। कर्मचारियों को पिछले नौ महीनों से पगार नहीं मिली है। हर दिन यह गोसदन के पास पशुओं को देख रहे हैं,  यहां बारिश के बाद हो रहे कीचड़ को रोक पाना इनके लिए असंभव है। यहां 117 से अधिक बेसहारा पशु तो रखे गए हैं, लेकिन सरकारी तंत्र की बेकद्री से यह बेजुबान कीचड़ में मुंह मारने के साथ ठंड से ठिठुर रहे हैं। परिसर में पांव रखना तक मुश्किल हो गया है। निकास नालियां न होने से गोसदन के भीतर भारी रिसाव हो रहा है।  हालांकि गोसदन का एक भवन तो ठीक है,  लेकिन दूसरा भवन चद्दरनुमा है, जिसकी चार दीवारी में जाली लगी हुई है और हल्का सा बोरियों से ढका गया है। साथ में ब्यास नदी बह रही है और ठंडी हवाएं हर समय चल रही हैं, शून्य तापमान में बेजुबान ठंड से ठिठुर रहे हैं। इसके अलावा कुल्लू शहर में गोसदन के होते हुए भी पशु घूमते-फिरते नजर आ रहे हैं। नगर परिषद भी गंभीर नहीं है। कर्मचारियों का कहना है कि पिछले वर्ष स्पर्श योजना के तहत पहले बजौरा गोसदन में आठ हजार रुपए महीने के हिसाब से तैनात किया गया था, लेकिन मार्च, 2019 तक उन्हें वेतन दिया गया, लेकिन इसके बाद आज दिन तक उन्हें वेतन नहीं मिला है। इसके बाद उन्हें कुल्लू गोसदन में पशुओं की देखभाल के लिए लाया गया। अब यह कर्मचारी पगार को दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर हैं। जिला प्रशासन कुल्लू ने बेसहारा पशुओं के संरक्षण के लिए स्पर्श योजना शुरू की थी और मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने योजना का आनी में शुभारंभ किया था, लेकिन आज स्पर्श योजना ठंडे बस्ते में पड़ गई है। कर्मचारियों का कहना है कि वेतन के लिए उन्हें आश्वासन ही मिलते आ रहे हैं, लेकिन समाधान नहीं हो रहा है। उन्होंने कहा कि  इससे पहले गोसदन का निरीक्षण करने के साथ उनका हालचाल पूछने के लिए डीसी, एसडीएम और पशुपालन विभाग के अधिकारियों के अधिकारी भी आते थे, लेकिन अब सब गायब हैं। हालांकि इस मसले पर कोई भी प्रशासनिक अधिकारी कहने को तैयार नहीं है, लेकिन गोसदन को लेकर तहसीलदार एवं नगर परिषद कुल्लू के ईओ मित्रदेव का कहना है कि गोसदन की क्षमता 100 पशुओं की है, लेकिन ठंड ज्यादा होने के कारण यहां पर 117 पशुओं को शरण दी गई। चारागाहों में भेजे गए पशुओं को भी लाया गया है, जिन्हें यहां पर शरण दी गई है। उन्होंने कहा कि जो बेसहारा पशु अभी भी शहर में घूम रहे हैं, उन्हें भी एकत्रित गोसदन में रखा जाएगा।


Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also,  Download our Android App