चंडीगढ़ में बढ़ेंगे पानी के रेट
चंडीगढ़ – शहर में पानी के रेट बढ़ाने के प्रस्ताव पर नगर निगम कमिश्नर केके यादव ने मुहर लगा दी है। ऐसे में अब यह प्रस्ताव 30 दिसंबर को होने वाली सदन की बैठक में मंथन के लिए पेश किया जाएगा। इस बार जनस्वास्थ्य विभाग ने रेट बढ़ाने का दबाव बनाया हुआ है। प्रोपोजल चीफ इंजीनियर शेलेंद्र सिंह की ओर से कमिश्नर केके यादव को पिछले सप्ताह सौंपा गया था। प्रस्ताव के अनुसार जो नए रेट बढ़ाने का प्रस्ताव तैयार किया गया है उसके लिए पंचकूला, मोहाली और दिल्ली में लागू होने वाले रेट भी स्टडी किए हैं। उन्हें भी प्रस्ताव के साथ जानकारी के लिए जोड़ा गया है। प्रस्ताव में पानी के रेट बढ़ाने के पीछे नगर निगम ने तीन अहम कारण बताए हैं। इनमें पेट्रोल-डीजल और बिजली के रेट बढ़ने का अलावा तीसरा कारण वाटर सप्लाई नेटवर्क के रखरखाव का खर्चा बढ़ना बताया गया है। नगर निगम का अंदरूनी ऑडिट विभाग पहले ही लगातार हर साल हो रहे घाटे को लेकर आपत्ति जता चुका है। ऑडिट विभाग कमिश्नर को तुरंत प्रभाव से रेट्स रिवाइज करने की सिफारिश कर चुका है। विभाग के अनुसार दो नए फेज से पानी शहर तक पहुंचाने में हर माह दो करोड़ रुपये का खर्चा बढ़ गया है। इसी मिटिंग मे स्ल्लम डिवेलमेंट कमेटी ने 2011 से पानी के टेंपरेरी कनेक्शन के दो गुना रेट के हिसाब लोगों से चार्ज किए जा रहे है।
सप्लाई से सालाना घाटा सौ करोड़ पहुंचा
जनस्वास्थ्य विभाग ने पानी का रेट 60 से 90 प्रतिशत तक बढ़ाने का प्रस्ताव तैयार किया है। साल 2011 के बाद से अब तक पानी के रेट नहीं बढ़े हैं। नगर निगम के अनुसार अमरूत स्कीम के तहत हर साल पानी के रेट में 7 से 10 प्रतिशत का इजाफा होना चाहिए। पिछले साल भी पानी के रेट बढ़ाने का प्रस्ताव आया था लेकिन उस समय सदन ने पानी के रेट न बढ़ाकर पानी के बिल में 30 प्रतिशत सीवरेज सेस लगाने का फैसला लिया था जोकि अब लागू है। जबकि उससे पहले प्रति टायलेट की सीट का प्रति माह के हिसाब से मात्र 10 रु. ही चार्ज किया जाता था। विभाग के अनुसार अब पानी की सप्लाई से होने वाला सलाना घाटा 80 करोड़ से बढ़कर 100 करोड़ हो गया है।
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