प्याज मांग कर जलील न हों

By: Dec 18th, 2019 12:05 am

अशोक गौतम

ashokgautam001@Ugmail.com

प्याज मांग कर प्लीज जलील न हों! अपने तमाम पड़ोसियों को यह सूचित करते हुए मुझे अपने मरने से भी अधिक दुख हो रहा है कि मैंने जो चार महीने पहले सस्ता होने के चलते जो पांच किलो प्याज खरीदा था, वह अब खत्म हो गया है। इसलिए अपने तमाम छोटे-बड़े पड़ोसियों को वैधानिक चेतावनी दी जाती है कि अब वे मेरे घर कृपया गलती से भी प्याज मांगने न आएं। मेरे घर में प्याज तो क्या, अब प्याज के छिलके भी नहीं बचे हैं। जो बचे थे उन्हें मैंने पीस पास कर कल शाम दाल में डाल दिया है। इस कड़ी वैधानिक चेतावनी देने के बावजूद जो मेरे किसी भी पड़ोसी से इसे गंभीरता से न लेते हुए अन्यथा लिया तो उसे मेरे घर प्याज मांगने आने पर जो कुछ भी जलील होना पड़ेगा, उसकी सारी की सारी जिम्मेदारी प्याज मांगने आने वाले की ही होगी। मैं उसके लिए कतई जिम्मेदार नहीं होउंगा। फिर मत कहना कि बंदे ने उसके द्वारा उसे जलील होने से पहले सावधान नहीं किया। हे मेरे पड़ोसियों! मैं यह भली भांति जानता हूं कि मैं महीने में पच्चीस दिन आपसे ही कुछ न कुछ मांग कर अपना उदार भरता रहा हूं। मैं आपसे रोज कुछ न कुछ इसलिए नहीं मांगता रहता हूं कि मुझमें कुछ खरीदने की शक्ति नहीं। अपितु मैं तो अपने प्यारे पड़ोसियों से रोज कुछ न कुछ मांगने उनके द्वार पर जा अड़ता हूं ताकि इस बहाने कम से कम मैं उनका हाल-चाल जान सकूं। हालचाल पूछने मेरा मुख्य उद्देश्य होता है। मांगना तो बस एक माध्यम होता है। इस बहाने पता चल जाता है कि पड़ोस में कौन स्वस्थ चल रहा है तो कौन अस्वस्थ। हे मेरे पड़ोसियों! तुम मेरे लिए खुदा से भी बढ़कर हो। खुदा से मांगने के लिए उसके द्वार तक जाना पड़ता है। पर तुमसे मांगने के लिए खिड़की से ही हाथ आगे बढ़ा बात बन जाती है। खुदा करे! अगले जन्म में मैं जो गलती से आदमी ही बनूं तो इसी मुहल्ले में मेरा तुम्हारा जन्म हो। और फिर मैं यों ही दिल खोलकर भाईचारे को बढ़ावा देने के नाते आपसे रोज कुछ न कुछ मांगता रहूं और आप मुस्कुराते हुए, मन ही मन मुझे गालियां देते देते कुछ न कु छ देते रहो। हे मेरे पड़ोसियों! तुम मेरे घर आटा मांगने आओ तो मैं हंस कर जितना चाहो तुम्हें आटा दे दूंगा। तुम मेरे घर दाल मांगने आओ तो जितनी चाहो तुम्हें दाल मिलेगी। मर जाए जो घर में दाल का दाना रहने तक दाल देने से इनकार करे। तुम मेरे घर से जितना मन करे चावल ले जा सकते हो। तुम अगर दिल भी मांगों तो मैं तुम्हें हंसकर अपना दिल तक दे सकता हूं अपने आप अपने हाथों सब्जी काटने वाली छुरी से सीना चीर कर उससे दिल निकाल कर। दिल तो क्या, तुम्हारे लिए मेरी जान तक हाजिर है। मर जाए जो तुम्हें जान देने के बाद मरने के बाद भी तुमसे अपनी जान की भीख मांगे। पर प्याज ! राम ! राम!! प्याज आज की डेट में भगवान के घर भी जो लेन जाओ तो वह भी दरवाजा फेर दे। इसलिए कि उसने डालर तक को शर्मिंदा कर दिया है। हमारे रुपए की तो प्याज के आगे बिसात ही क्या! प्याज के आगे तो आजकल डालर तक मुंह छिपाए अगल- बगल हो रहा है। इसलिए हे मेरे अति समझदार पड़ोसियों! आपकी मेरी इज्जत आपके हाथ है। मेरे घर हंसते हुए कुछ भी मांगने पूरी बेशर्मी से आइए, पर प्लीज! इनदिनों प्याज मांगने गलती से भी न आइए। इस गुस्ताखी के लिए अपने पड़ोसियों से दोनों हाथ जोड़ माफी चाहता हूं। आशा है मेरे पड़ोसी मेरी प्याज की कीमतों से जन्मी शर्मिंदगियों को ध्यान में रखते हुए न तो खुद शर्मिंदा होंगे और न ही मुझे शर्मिंदगी उठाने का अवसर देंगे।


Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also,  Download our Android App