रिश्तों में विश्वास जरूरी
शशि राणा, रक्कड़
नाजुक होती है वैवाहिक रिश्तों की डोर, जरा संभलकर चलें जनाब। भारतीय समाज में विवाह को एक जन्म का नहीं बल्कि सात जन्मों का पवित्र बंधन भी माना जाता है। किंतु वर्तमान में यह रिश्ता बेहद कमजोर होता जा रहा है। यहां हम बात कर रहे हैं वर्तमान में वैवाहिक जीवन में कमजोर होती रिश्तों की डोर। यहां हमारा अभिप्राय प्रेम विवाह या पारंपरिक विवाह का समर्थन या विरोध करना नहीं है, बल्कि इस विषय पर जरा सोच-समझ कर देखें कि आखिर क्या कारण हैं कि वैवाहिक जीवन में रिश्तों की डोर आज के दौर में कमजोर होती जा रही है। यदि गंभीरता से इस विषय पर चर्चा की जाए तो यह एक ऐसी समस्या बनती जा रही है जो आने वाले समय में समाज और परिवारों की तबाही का बड़ा कारण बन सकती है। सुखी गृहस्थ जीवन के लिए भाई-बहन में अटूट प्रेम, पिता-पुत्र में गहन आत्मीयता, पति-पत्नी के बीच पूर्ण एकता और विश्वास होना आवश्यक है। अगर रिश्तों में ये सब हैं तो स्वर्ग इसी धरती पर है, इसे ढूंढ़ने के लिए कहीं और जाने की आवश्यकता नहीं है।
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