शक्ति की ही विजय

By: Dec 21st, 2019 12:25 am

स्वामी विवेकानंद

गतांक से आगे…

हार्वर्ड विश्वविद्यालय के ग्रीक भाषा के अध्यापत प्रोफेसर जे.एच.राइट पहले ही दिन इन युवा संन्यासी के साथ चार घंटे तक बातचीत करने के फलस्वरूप उनकी प्रतिभा से इतने मुग्ध हुए कि उन्होंने स्वामी जी को धर्म महासभा में प्रतिनिधि के रूप में प्रवेश दिलाने का भार अपने ऊपर ले लिया। उन्होंने प्रतिनिधि निर्वाचन सभा के अध्यक्ष को लिखा। ये इतने बड़े विद्वान हैं कि हमारे समस्त प्राध्यापकों को इकट्ठा करने पर भी वे सब इनकी बराबरी नहीं कर सकेंगे। इतना ही नहीं, उन्होंने स्वामी जी के लिए शिकागो तक का टिकट खरीद दिया और धर्म सम्मेलन के अधिकारियों के नाम पत्र भी लिख दिया। सब मानो पूर्वनियोजित दैवी व्यवस्था के अनुसार हुआ और स्वामी जी से कहा, आप शिकागो महासभा में हिंदू धर्म के प्रतिनिधि के रूप में जरूर जाइए। मुझे पूरा विश्वास है कि आप वेदांत प्रचार के काम में ज्यादा सफलता हासिल कर सकते हैं। स्वामी जी ने नए उत्साह के साथ शिकागो की यात्रा की। रात के समय ट्रेन वहां पहुंची। स्वामी जिस जोश व हिम्मत से वहां के लिए रवाना हुए थे, शिकागो रेलवे स्टेशन पर उतरने के साथ ही वो लुप्त हो गया। समिति के कार्यालय का पता न जाने कहां खो गया, किसी से कैसी भी मदद की उम्मीद नहीं थी। उनके सामने बहुत बड़ी समस्या आकर खड़ी हो गई थी। इतने बड़े शहर में भला डाक्टर बैरोज जिनसे उन्हें काफी सहायता मिलने की उम्मीद थी, उन्हें कहां ढूंढते। उन्होंने दो-चार लोगों से कुछ जानने की कोशिश भी की,लेकिन सबने स्वामी को देखकर घृणा से मुंह फेर लिया। यहां तक कि रात को ठहरने के लिए एक होटल भी न मिल सका। अंत में प्लेटफार्म गोदाम के सामने पड़े एक पैकिंग बाक्स में ही उन्होंने आश्रय लिया,उस वक्त वहां बर्फ गिरना शुरू हो गई थी। शीतकाल में शीतलहर व पैकिंग बाक्स का अंधेरा, उनके पास तन की रक्षा के लिए और कोई कपड़ा न था। कठिनाई के साथ रात बिताकर सुबह उम्मीद के साथ बड़े धैर्य से सड़क पर निकले। सारी रात भूखे रहने की वजह से उनका शरीर कमजोरी महसूस कर रहा था। आगे बढ़ने  में वह कमजोरी महसूस कर रहे थे। हताश होकर वह घर-घर जाकर भिक्षा मांगने लगे। उनके मैले फटे पुराने वस्त्र देखकर  किसी ने भी उन पर दया नहीं की। थक हार कर स्वामी जी सड़क किनारे जा बैठे और आंखें बंद करके गुरुदेव का स्मरण करने लगे। इसी समय सड़क के सामने विशाल मकान का दरवाजा खुला और एक खूबसूरत स्त्री मकान से बाहर निकली और स्वामी जी के सामने आकर बोली, क्या आप धर्म महासभा के एक प्रतिनिधि हैं?  स्वामी जी  बोले, हां वो तो हूं, लेकिन पता खो जाने की वजह से बड़ी परेशानी में फंस गया हूं। वो औरत बड़े आदर सम्मान के साथ उन्हें अपने साथ ले गई। स्वामी जी ने उसे पूरी परेशानी बताई। उस स्त्री ने पूरी तरह विश्राम करवाया और भरपूर आदर सम्मान किया, फिर बोली आपके लिए भोजन का इंतजाम करती हूं।  भोजन के बाद फिर आपको धर्मसभा में ले चलूंगी।                    


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