अंतरराष्ट्रीय पैनल में अंपायर वीरेंद्र शर्मा

By: Jan 31st, 2020 12:06 am

भूपिंदर सिंह

राष्ट्रीय एथलेटिक्स प्रशिक्षक

11 सितंबर 1971 को हमीरपुर जिला के  ककड़ क्षेत्र के गांव पुरली में पिता स्वर्गीय रुलिया राम शर्मा व माता शकुंतला देवी शर्मा के घर जन्मे वीरेंद्र शर्मा का पालन-पोषण व शिक्षा दिल्ली में ही हुई। उनका परिवार, पिता की नौकरी व कारोबार दिल्ली में होने के कारण यहीं दिल्ली में रहता आया है। वीरेंद्र की स्कूली शिक्षा भी दिल्ली में ही हुई है। दिल्ली विश्वविद्यालय से अंग्रेजी साहित्य में स्नातक डिग्री पास की है। वाईएमसीए के प्रबंधन संस्थान से मानव संसाधन विकास में एमबीए की डिग्री करने के बाद वीरेंद्र शर्मा खेल प्रबंधन में एमफिल भी हैं। वीरेंद्र शर्मा आज कल पत्नी सारिका शर्मा व बेटी विरोनिका शर्मा के साथ दिल्ली में ही रहते हैं…

इस बर्फ के प्रदेश की संतानें बहुत कम सुविधाओं में भी कला, साहित्य व खेल आदि विभिन्न क्षेत्रों में राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी प्रतिभा का डंका बजा रही हैं। क्रिकेट खेल का भारत महाद्वीप में अपना ही रोमांच है। हर भारतीय क्रिकेट खेलने वाले किशोर व युवा का सपना होता है कि वह देश का अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिनिधित्व करे। इसके लिए सैकड़ों उभरते खिलाड़ी महानगरों का रुख करते हैं। दिल्ली में ही उतर भारत के हजारों किशोर व युवा हर वर्ष क्रिकेट खिलाड़ी बनने के लिए आते हैं। दिल्ली में ही पले-बड़े वीरेंद्र को क्रिकेट प्रशिक्षण घर के नजदीक ही मिल गया था। क्रिकेट प्रशिक्षक तारक सिन्हा के प्रशिक्षण कार्यक्रम में वीरेंद्र शर्मा ने अपनी क्रिकेट प्रैक्टिस शुरू की। सोनवैट व यंग फे्रंड़ज क्लब की तरफ  से विरेंद्र शर्मा ने क्रिकेट खेली है। वीरू उपनाम मशहूर वीरेंद्र शर्मा का काफी समय क्रिकेट खेलने के कारण हिमाचल में खासकर हमीरपुर में बीता है। अंतर राज्य क्रिकेट में वीरू हमीरपुर जिले का प्रतिनिधित्व करता था। 1987 में पहली बार विजय हजारे  अंडर 17 वर्ष आयु वर्ग राष्ट्रीय ट्रॉफी में अपने मूल राज्य हिमाचल प्रदेश का प्रतिनिधित्व किया। 1990 में अंडर 19 वर्ष आयु वर्ग के लिए राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित कूच बिहार ट्रॉफी में भी शिरकत की। 1991 में पहली बार क्रिकेट की वरिष्ठ राष्ट्रीय प्रतियोगिता रणजी ट्रॉफी में हिमाचल प्रदेश का प्रतिनिधित्व किया। हिमाचल प्रदेश की तरफ  से खेलते हुए लगभग 50 मैचों में भाग लिया। 2001-2002 हिमाचल प्रदेश का रणजी ट्रॉफी में नेतृत्व भी किया। 2007 में जब पहली बार रणजी ट्रॉफी की प्लेट ट्रॉफी हिमाचल प्रदेश ने जीती तो वीरेंद्र शर्मा यहां भी हिमाचल प्रदेश की टीम के सदस्य थे। दो दशक तक हिमाचल प्रदेश का पहले कनिष्ठ व फिर वरिष्ठ राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में प्रतिनिधित्व व कई बार नेतृत्व भी किया। क्रिकेट को जीवन भर अपना प्रोफेशन बनाने के लिए वीरेंद्र ने 2007 में ही एचपीसीए के अंपायर पैनल में स्थान पाने के लिए अंपायर की परीक्षा पास की। किसी भी खेल का तकनीकी अधिकारी यानी अंपायर, रैफरी व निर्णायक बनने के लिए बहुत ही कठिन परीक्षा से गुजरना पड़ता है। इस परीक्षा में जहां खेल के नियमों को कंठस्थ करना होता है वहीं पर उन नियमों की सही व्याख्या भी बहुत जरूरी हो जाती है।

अंपायर बनने वाले प्रतिभागियों को पहले किसी स्तर का खिलाड़ी होना भी जरूरी होता है। बहुत चरणों में चलने वाली इस परीक्षा में लिखित के साथ-साथ मैदान पर काफी प्रैक्टिकल होता है इस सबको नब्बे प्रतिशत से भी अधिक अंकों पास कर के ही अंपायर बन सकते हैं। वीरेंद्र ने अंपायरिंग की पहले स्तर की परीक्षा पास कर 2008 से अंपायरिंग शुरू कर दी। 75 प्रथम श्रेणी मैचों में अंपायर रहने के बाद  2019 में बीसीसीआई ने घरेलू अंपायर के रूप में वीरेंद्र को पहला रैंक दिया है। 2015 से आईपीएल में थर्ड अंपायर की भूमिका शुरू की और 30 मैचों में अंपायरिंग की। 2017-2018 में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अंपायर एक्सचेंज प्रोग्राम के अंतर्गत इंग्लैंड व दक्षिण अफ्रीका का दौरा किया तथा फरवरी 2020 में आस्ट्रेलिया के लिए होने वाले दौरे की अंपायरिंग सूची में वीरेंद्र का नाम है। वर्ष 2019 के लिए वीरेंद्र शर्मा को बीसीसीआई के सर्वश्रेष्ठ अंपायर के खिताब से नवाजा गया है। 2019 में ही विरेंद्र शर्मा ने अपने कठिन परिश्रम व क्रिकेट के प्रति समर्पण के बल पर आईसीसी अंपायरिंग की कठिन परीक्षा को उत्तीर्ण कर पैनल में स्थान बना लिया है। शीर्ष पर पहुंचे यह व्यक्ति की तमन्ना होता है क्रिकेट अंपायरिंग में अंतरराष्ट्रीय मैचों में अंपायरिंग करना इस फिल्ड का सब ऊंचा मुकाम है। जनवरी 2020 में आयोजित भारत-श्रीलंका टी-20 सीरीज तथा भारत व आस्ट्रेलिया के बीच एकदिवसीय सीरीज में अंपायरिंग की है। 11 सितंबर 1971 को हमीरपुर जिला के  ककड़ क्षेत्र के गांव पुरली में पिता स्वर्गीय रुलिया राम शर्मा व माता शकुंतला देवी शर्मा के घर जन्में वीरेंद्र शर्मा का पालन पोषण व शिक्षा दिल्ली में ही हुई। उनका परिवार, पिता की नौकरी व कारोबार दिल्ली में होने के कारण यहीं दिल्ली में रहता आया है। वीरेंद्र की स्कूली शिक्षा भी दिल्ली में ही हुई है। दिल्ली विश्वविद्यालय से अंग्रेजी साहित्य में स्नातक डिग्री पास की है। वाईएमसीए के प्रबंधन संस्थान से मानव संसाधन विकास में एमबीए की डिग्री करने के बाद वीरेंद्र शर्मा खेल प्रबंधन में एमफिल भी हैं। वीरेंद्र शर्मा आज कल पत्नी सारिका शर्मा व बेटी विरोनिका शर्मा के साथ दिल्ली में ही रहते हैं। इंजीनियर इंडिया लिमिटेड कंपनी के मानव संसाधन कल्याण व खेल विभाग में 1997 से नौकरी में कार्यरत हैं। माता-पिता व गुरुजनों के आशीर्वाद व पत्नी के सहयोग के साथ-साथ वीरेंद्र इस मुकाम तक पहुंचने के लिए अपने मानिटर पूर्व बीसीसीआई अध्यक्ष व वर्तमान में केंद्रीय राज्य वित्त मंत्री अनुराग ठाकुर के मार्गदर्शन को भी प्रमुख मानते हैं। हिमाचल खेल जगत अपने होनहार बेटे को आईसीसी का अंतरराष्ट्रीय अंपायर बनने पर बधाई ब भविष्य में और अधिक बुलंदियां हासिल करने के लिए  शुभकामनाएं देता है। हिमाचल प्रदेश में पिछले एक दशक से खेल क्षेत्र  में काफी प्रगति हुई है मगर अभी तक देश और दुनिया को पकड़ने के लिए अनुभवी लोगों के अनुभव की जरूरत हमेशा ही रहेगी। प्रदेश के उभरते क्रिकेट खिलाडि़यों व अंपायरों को वीरेंद्र के लंबे अनुभव से सकारात्मक सहयोग की अपेक्षा रहेगी ।

ई-मेल- bhupindersinghhmr@gmail.com

हिमाचली लेखकों के लिए

लेखकों से आग्रह है कि इस स्तंभ के लिए सीमित आकार के लेख अपने परिचय तथा चित्र सहित भेजें। हिमाचल से संबंधित उन्हीं विषयों पर गौर होगा, जो तथ्यपुष्ट, अनुसंधान व अनुभव के आधार पर लिखे गए होंगे।

-संपादक


Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also,  Download our Android App