खेल नीति को आकर्षक बनाएं

By: Jan 11th, 2020 12:06 am

भूपिंदर सिंह

राष्ट्रीय एथलेटिक्स प्रशिक्षक

हिमाचल प्रदेश सरकार को चाहिए कि वह खेल आरक्षण से सरकारी नौकरी लगे खिलाडि़यों के लिए अपनी ट्रेनिंग लगातार जारी रखने के लिए कम से कम पांच वर्षों का समय दिया जाए ताकि वे प्रदेश व देश को पदक जीत सकें। जिस विभाग में खेल आरक्षण से नौकरी लगा खिलाड़ी कर्मचारी हो, उसे वहां पर अपना खेल जारी रखने के लिए सहयोग मिलेगा, यह सुनिश्चित करना होगा…

हिमाचल प्रदेश सरकार राज्य में नई खेल नीति 2020 में बनाने जा रही है। इस खेल नीति के लिए विभिन्न खिलाडि़यों, प्रशिक्षकों व खेल से जुड़े लोगों के सुझाव भी मांगे जा रहे हैं। हिमाचल प्रदेश में खेलों के लिए सबसे बड़े सुधार सहस्राब्दी शुरू होते ही तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रोफेसर प्रेम कुमार धूमल सरकार ने नई खेल नीति बना कर हिमाचल प्रदेश के खिलाडि़यों के लिए किए हैं। सरकारी नौकरियों में तीन प्रतिशत खेल आरक्षण सबसे महत्त्वपूर्ण सुधार है। जब जिंदगी जीने के लिए आर्थिक सुरक्षा हो जाती है तो खिलाडि़यों को निर्भय होकर अपनी ट्रेनिंग पर ध्यान देने पर बल मिलता है। समय के अनुसार आवश्यकताएं बदलती रहती हैं इसलिए अब जयराम सरकार हिमाचल प्रदेश के लिए नई खेल नीति तैयार कर रही है। दिव्य हिमाचल के माध्यम से सरकार को कुछ बेहद जरूरी सुझाव हैं। हिमाचल प्रदेश सरकार को चाहिए कि वह  खेल आरक्षण से सरकारी नौकरी लगे खिलाडि़यों के लिए अपनी ट्रेनिंग लगातार जारी रखने के लिए कम से कम पांच वर्षों का समय दिया जाए ताकि वे प्रदेश व देश को पदक जीत सकें। जिस विभाग में खेल आरक्षण से नौकरी लगा खिलाड़ी कर्मचारी हो उसे वहां पर अपना खेल जारी रखने के लिए सहयोग मिलेगा यह सुनिश्चित करना होगा। विभाग के मुखिया को सरकार की तरफ से निर्देश होना चाहिए कि राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय खिलाडि़यों को उनके प्रशिक्षण कार्यक्रम में हर तरह की सहायता दी जाए ताकि खिलाड़ी अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन कर सके। खेल आरक्षण से नौकरी प्राप्त खिलाड़ी कर्मचारियों में यदि कोई प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाना चाहता है तो उसे भी सरकार प्रोत्साहित करे। अपनी नौकरी के अतिरिक्त भी कई खिलाड़ी कर्मचारी प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाए हुए हैं, इस बात का उदाहरण हैंडबाल में स्नेहलता व कुश्ती में जौनी चौधरी सहित कई सरकारी नौकर हैं। इन खिलाड़ी कर्मचारियों के राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर तक अच्छे खेल परिणाम हैं। राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उत्कृष्ट प्रदर्शन कर पदक विजेता बनना है तो उसके लिए शिक्षित व लंबे अनुभव वाले प्रशिक्षित प्रशिक्षक की जरूरत है। खिलाडि़यों से उत्कृष्ट प्रदर्शन करवाने के लिए उच्च प्रशिक्षण क्षमता वाले प्रशिक्षकों की जरूरत होती है, इसलिए राज्य में चल रहे खेल छात्रावासों में ऐसे प्रशिक्षकों को अनुबंधित किया जाए जो राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पदक जिताने का मादा रखते हों। इस तरह प्रतिभा खोज में सामने आए प्रतिभाशाली खिलाडि़यों को सही मार्गदर्शन कराने वाला गुरु मिल सकें। केंद्र सरकार की तरह हिमाचल प्रदेश सरकार को भी चाहिए कि वह राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पदक जिताने  वाले प्रशिक्षकों को भी उसी तरह अवार्ड व नकद ईनाम दे। आज हिमाचल प्रदेश के पास विभिन्न खेलों के लिए कई जिलों में अंतरराष्ट्रीय स्तर का खेल ढांचा बनकर तैयार है, लेकिन उनका सही तरीके से उपयोग व रखरखाव नहीं हो पा रहा है। इसलिए इस खेल ढांचे का सदुपयोग हो, वहां पर खेल प्रशासक या प्रबंधक अनिवार्य रूप से नियुक्त होना चाहिए। जब तक सरकार नियमित प्रावधान नहीं करती है तब तक खेल आरक्षण से नौकरी प्राप्त अधिकारियों व कर्मचारियों को वहां प्रतिनियुक्ति पर रखा जा सकता है।

हिमाचल प्रदेश का हर बालक व किशोर स्कूल जाता है, इसलिए प्रदेश के स्कूलों में खेल सुविधा के हिसाब से वहां पर उन खेलों को बढ़ावा देने के लिए पूर्व खिलाडि़यों सहित उन सभी खेल के जानकार लोगों की सहायता लेनी चाहिए जो स्वयंसेवी होकर वहां समय दे सकते हैं। स्कूल स्तर पर अधिक से अधिक खेल मैदान विकसित करने चाहिए। पंचायत स्तर पर भी जहां जहां जमीन उपलब्ध हो अधिक से अधिक मैदान बनाने चाहिएं। खेल राज्य सूची का विषय है इसलिए राज्य में खेलों के विकास का जिम्मा भी राज्य सरकार का ही बनता है। मगर खेल के नियम, प्रतियोगिता व राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिनिधित्व का काम उस खेल के खेल संघ का है। वास्तव में खेल संघ ही उस खेल के जिम्मेदार हैं मगर वे आर्थिक सहायता के लिए सरकारी अनुदान राशि पर निर्भर हैं। सरकार को चाहिए कि वह कम से कम गुजारे के बराबर धनराशि खेल संघों को दे और उन पर ज्यादा नहीं तो जरूरी निरीक्षण अनिवार्य रूप से हो। चालीस की कक्षा में अधिकांश विद्यार्थी जीवन में अपना मुकाम हासिल कर लेते हैं मगर लाखों बच्चों में कहीं कोई एक बच्चा मिल पाता है जिसमें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उत्कृष्ट प्रदर्शन करने की क्षमता होती है। इसलिए इस तरह के अति प्रतिभावान खिलाडि़यों को सहेजने की अति आवश्यकता है। ध्यान रहे प्रतिभाशाली खिलाड़ी कक्षाओं के कमरों में प्रताडि़त न हों तथा प्रदेश में उन्हें सम्मानित तरीके से रखना होगा ताकि राज्य से प्रतिभाशाली खिलाडि़यों का पलायन रुक सके। हिमाचल प्रदेश में एक राज्य खेल संस्थान बनाया जाए जिसमें शारीरिक शिक्षकों व अन्य प्रारंभिक प्रशिक्षकों के लिए विभिन्न खेलों के सेमिनार लगाए जा सकें। राष्ट्रीय क्रीड़ा संस्थान में अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं के पूर्व प्रशिक्षण शिविर लगते है, राज्य खेल संस्थान में राष्ट्रीय प्रतियोगिता पूर्व के प्रशिक्षण शिविर लगे। खिलाड़ी प्रारंभिक वर्षों में शिक्षा विभाग व विश्वविद्यालय के पास है, प्रशिक्षक व धन का माध्यम खेल विभाग है तथा खेलों के लिए पूरी तरह से जिम्मेदार संस्था खेल संघ हैं। इसलिए इनका आपस में समन्वय स्थापित करना बेहद जरूरी है। इस सब के लिए वर्ष में जहां राज्य खेल परिषद की वर्ष में कम से कम तीन बार बैठक जरूरी है, वहीं पर जिला खेल परिषद की भी बैठक साल में तीन बार हो और यहां पर हर समस्या पर सार्थक चर्चा कर उसका समाधान भी समय पर निकाला जाए। इस खेल नीति में अनिवार्य रूप से राज्य व जिला खेल परिषदों की वर्ष में कम से कम तीन बैठकों का प्रावधान हो। हरियाणा सरकार की तरह जब राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर के खिलाडि़यों के लिए आकर्षक नकद इनाम होंगे तो अभिभावकों को अपने बच्चों का भविष्य खेल क्षेत्र में तलाशने में परेशानी नहीं होगी। साहसिक खेल प्रर्यटन को भी बढ़ावा देते हैं, हिमाचल प्रदेश में नभ, जल, पहाड़ व बर्फ की खेलों की अपार संभावनाएं हैं। इन के खेल संघों से मिल सरकार को इन योजनाओं पर जमीनी स्तर से काम करने का प्रावधान करना होगा। दिव्यांग खिलाडि़यों के लिए भी खेल सुविधाओं का विकास करने का प्रावधान इस खेल नीति में अनिवार्य रूप से होना चाहिए।

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