विश्व में बढ़ा सम्मान

By: Jan 10th, 2020 12:05 am

रविंद्र सिंह मोदी

लेखक, नांदेड़ से हैं

संपूर्ण विश्व में वर्तमान समय में भाषाएं प्रतियोगिता बनकर दौड़ रही हैं। विश्व व्यापार में अग्रणी राष्ट्र अपने व्यापार के साथ-साथ अपनी राष्ट्रभाषा को भी बढ़ावा दे रहे हैं। बहु-उद्देश्यीय व्यापार की प्रतिस्पर्धा के चलते चीन, जर्मन, रशिया, फ्रासं, भारत सहित अन्य राष्ट्र अपनी भाषा के जरिए व्यापार के चरम पर पहुंचना चाहते हैं। जिसके कारण ही आज भारत देश के बहुत से विश्वविद्यालयों में विदेशी भाषा ‘फॉरेन लैंग्वेज’ के डिप्लोमा और डिग्री पाठ्यक्रम संचालित किए जा रहे हैं। विश्व में भाषा के आदान-प्रदान के लिए बहुत बड़ी पहल शुरू हो गई है जिसमें हिंदी भाषा भी विश्वपटल पर अग्रणी रूप से प्रवाहित होती नजर आ रही है। देश और विदेश में हिंदी भाषा का बढ़ता जा रहा रुतबा इस तरह से हमारी अस्मिता की समृद्धता को भी विश्वरूप में प्रदर्शित करता नजर आ रहा है। विश्व हिंदी दिवस के मौके पर आज हिंदी भाषा पर संवाद करने में सही मायने में आनंद महसूस हो रहा है। प्रसन्नता का दूसरा सबसे बड़ा कारण ये भी है कि जिस विश्व हिंदी दिवस का हम गौरव मना रहे हैं उसकी पहल तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी के समय में महाराष्ट्र की भूमि नागपुर से तारीख 10 जनवरी, सन् 1975 में हुई थी। पश्च्यात में प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह ने सन 2006 में पहला विश्व हिंदी दिवस मनाने की घोषणा की थी। स्वतंत्रता पश्चात 14 सितंबर, 1949 को संविधान सभा ने हिंदी को राष्ट्रभाषा का बहुमान दिया था। जिसके बाद 14 सितंबर 1953 पहली बार देश में हिंदी दिवस मनाया गया था। जिसके 53 वर्ष बाद हिंदी भाषा को अंतरराष्ट्रीय मंच पर लाया गया। जिसका श्रेय डा. मनमोहन सिंह सरकार को दिया जाना चाहिए।

वर्ष 2006 से लगातार हम विश्व हिंदी दिवस मना रहे हैं। मॉरिशस, यूके, त्रिनिनाद और टोबैगो, संयुक्त राष्ट्र संघ अमरीका और अन्य स्थानों पर कार्यक्रम संपन्न किए गए। जिससे हिंदी भाषा की गरिमा कई गुना बढ़ गई है। आज हिंदी भाषा अपनी संवाद अदाएगी की तरलता के कारण विश्व की जुबान पर चढ़कर बोल रही हैं। जिसका श्रेय हिंदी समाचार पत्र, हिंदी न्यूज चैनल, हिंदी टेलीविजन धारावाहिक और हिंदी फिल्म जगत को भी जाता हैं। हमारे हिंदी साहित्य ने विगत बारह सौ वर्षों में धीरे-धीरे अपनी अलग-अलग विधाओं का निर्माण कर हिंदी की सेवा की हैं। उस सेवा की आज बहुत बड़ी सफलता आज का हिंदी भाषा का वर्तमान स्वरूप है। हिंदी भाषा में राष्ट्र और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नेतृत्व क्षमता व्याप्त है। इसलिए पूर्व प्रधानमंत्री दिवंगत श्री अटल बिहारी वाजपेयी, दिवंगत सुषमा स्वराज ने विदेशों में हिंदी का परचम लहराया हुआ है। हाल के कुछ वर्षों में प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा विदेशों में बड़ी-बड़ी सभाएं आयोजन कर हिंदी में जिस तरह से संबोधन प्रस्तुत किया गया और उन्हें टीवी चैनलों द्वारा सीधे प्रसारण के रूप में जिस तरह से विश्व में परोसा गया उससे निश्चित ही हिंदी की गरिमा में वृद्धि हुई है। आज लगभग 125 देशों में हिंदी का प्रचार-प्रसार पहुंचा है। बड़े-बड़े देशों के विश्वविद्यालयों द्वारा भी हिंदी के पाठ्यक्रमों का आयोजन करवाया जा रहा है। विदेशी भाषा के रूप में हिंदी सीखने वालों का क्रम भले ही आज पहले दस की सूची में न दिखाई देता हो, लेकिन हवाई अड्डों पर हिंदी का स्वागत कक्ष का प्रचलन भी बढ़ रहा है जो संकेत कर रहा है कि विदेशों की धरती पर हिंदी भाषा का पाठ्यक्रम पढ़ने वालों की संख्या जल्द ही एक क्रमांक पर आ जाएगी। आज विश्व हिंदी दिवस के मौके पर सभी को शुभकामनाएं और बधाई।


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