हफ्ते का खास दिन

By: Jan 15th, 2020 12:20 am

जावेद अख्तर

जन्मदिनः 17 जनवरी, 1945

जावेद अख्तर का नाम देश का बहुत ही जाना-पहचाना नाम है। जावेद अख्तर शायर, फिल्मों के गीतकार और पटकथा लेखक तो हैं ही, सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में भी एक प्रसिद्ध हस्ती हैं। इनका जन्म 17 जनवरी, 1945 को ग्वालियर में हुआ था। वह एक ऐसे परिवार के सदस्य हैं जिसके जिक्र के बिना उर्दू साहित्य का इतिहास अधूरा रह जाएगा। शायरी तो पीढि़यों से उनके खून में दौड़ रही है। पिता जान निसार अख्तर प्रसिद्ध प्रगतिशील कवि और माता सफिया अख्तर मशहूर उर्दू लेखिका तथा शिक्षिका थीं। जावेद  प्रगतिशील आंदोलन के एक और सितारे लोकप्रिय कवि मजाज के भानजे भी हैं। जावेद का तरकश नामक कविता संग्रह काफी चर्चित रहा। उन्होंने उर्दू नामों के अलावा फिल्मी गीत और फिल्मी स्क्रिप्ट लिखकर भी शोहरत पाई है। खुदकुशी क्या गमों का हल बनती मौत के अपने भी सौ झमेले थे क्यों डरें जिंदगी में क्या होगा। कुछ न होगा तो ताजरबा होगा। अब अगर आओ तो जाने के लिए मत आना सिर्फ  एहसान जताने के लिए मत आना।  अपने दौर के प्रसिद्ध शायर मुज्तर खैराबादी जावेद जी के दादा थे। पर इतना सब होने के बावजूद जावेद का बचपन विस्थापितों सा बीता। छोटी उम्र में ही मां का आंचल सिर से उठ गया और लखनऊ में कुछ समय अपने नाना- नानी के घर बिताने के बाद उन्हें अलीगढ़ अपने खाला के घर भेज दिया गया जहां के स्कूल में उनकी शुरुआती पढ़ाई हुई। वालिद ने दूसरी शादी कर ली और कुछ दिन भोपाल में अपनी सौतेली मां के घर रहने के बाद भोपाल शहर में उनका जीवन दोस्तों के भरोसे हो गया। यहीं कालेज की पढ़ाई पूरी की और जिंदगी के नए सबक भी सीखे। जावेद साहब ने दो विवाह किए हैं। उन की पहली पत्नी से दो बच्चे हैं।

जावेद अख्तर को कई पुरस्कार भी मिले जैसेः

फिल्मफेयर लाइफ टाइम अचीवमेंट पुरस्कार

फिल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ गीतकार पुरस्कार

फिल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ संवाद लेखन पुरस्कार।

जिंदगी को जावेद अख्तर ने करीब से देखा है। उनके गीत और गजलें शायद यहीं कर रही हैं। शायराना अंदाज उनको पिता जां निसार अख्तर से मिला। साहिर लुधियानवी का साथ और गुलजार की दोस्ती ने जावेद अख्तर को तराशा। मोहब्बत को आशिकाना अंदाज में पेश करने में जावेद अख्तर हमेशा आगे रहे। जावेद अख्तर अपनी गजलों में इश्क करने के बाद किसी तरह के पश्चाताप का जिक्र नहीं करते हैं। यह उन्हें जिंदादिल शायर का दर्जा देता है। 

कुछ गजलें

* वो ढल रहा है तो ये भी रंगत बदल रही है

जमीन सूरज की अंगुलियों से फिसल रही है….

* दिल का हर दर्द खो गया जैसे

मैं तो पत्थर का हो गया जैसे….

*जब आईना कोई देखो इक अजनबी देखो

कहां पे लाई है तुम को ये जिंदगी देखो…


Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also,  Download our Android App