एसएमसी शिक्षकों को बाहर न करे सरकार

By: Feb 28th, 2020 12:01 am

प्रदेश शिक्षक महासंघ में रोष; कहा, चुनाव घोषणापत्र का वादा न भूलें सीएम

मंडी – पिछले आठ सालों से प्रदेश के दुर्गम व पहाड़ी क्षेत्रों की पाठशालाओं में रिक्त पड़े पदों पर स्कूल प्रबंधन समिति (एसएमसी) द्वारा तैनात शिक्षकों को बाहर का रास्ता दिखाने के सरकारी आदेशों से हिमाचल प्रदेश शिक्षक महासंघ भड़क गया है। शिक्षक महासंघ के प्रांत अध्यक्ष पवन शर्मा, महामंत्री विनोद सूद, अतिरिक्त महामंत्री सुधीर गौतम, राष्ट्रीय संयुक्त मंत्री अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ पवन मिश्रा, जिला मंडी के अध्यक्ष भगत चंदेल, मीडिया प्रभारी दर्शन लाल, महासचिव प्रकाश चंद, संगठन उपाध्यक्ष शशि शर्मा, किन्नौर जिला के अध्यक्ष बलबीर नेगी, सोलन के नरेंद्र कपिला, कांगड़ा के जोगिंद्र, ऊना के  सुशील मल्होत्रा, सिरमौर के लक्ष्मण नेगी, कुल्लू के चत्तर सिंह, चंबा के अनिल कुमार, बिलासपुर के जिला अध्यक्ष अमित ने संयुक्त ब्यान में कहा कि 15 अक्तूबर 2019 को प्रदेश उच्च न्यायालय में दायर अपने हलफनामे में सरकार ने कहा था कि मौजूदा एसएमसी शिक्षकों को हटाए बिना खाली पदों पर एसएमसी व अन्य शिक्षकों की नियुक्ति की जाएगी, लेकिन अपने ही हल्फनामे के प्रदेश आरंभिक शिक्षा निदेशालय ने खाली पड़े पदों पर और जिन पदों पर एसएमसी शिक्षक काम कर रहे हैं, उन पदों को मिलाकर शास्त्री अध्यापकों के 1182 और भाषा अध्यापकों के 625 पदों को भरने की प्रक्रिया शुरू करने के पत्र जिला उपनिदेशकों को जारी कर दिए हैं। इन सभी शिक्षक नेताआें ने सरकार से आग्रह किया है कि वह सालों से कार्यरत शिक्षकों के भविष्य के साथ इस तरह से खिलवाड़ न करे। नेताओं ने सरकार को याद दिलाया कि भाजपा ने अपने चुनावी घोषणापत्र में भी एसएमसी शिक्षकों की समस्याओं का निराकरण करने का वादा किया था, मगर अपने घोषणापत्र का वादा भूल कर आठ सालों से विपरीत परिस्थितियों में कम वेतन और सभी प्रकार की औपचारिकताएं पूर्ण होने के बावजूद इनकी जगह पर नए शिक्षक लगाने के पत्र जारी किए गए हैं। महासंघ ने सरकार से मांग की है कि तैनात एसएमसी शिक्षकों को उनके पदों पर ही काम करने दिया जाए व उनकी समस्याओं का निदान किया जाए। एक ठोस नीति बनाकर इन्हें नियमित करने का प्रावधान किया जाए। महासंघ का कहना है कि 2012 में नियुक्त उर्दू और पंजाबी पीरियड बेसिस अध्यापकों को भी अनुबंध में लाया गया, इसी तर्ज पर एसएमसी शिक्षकों के लिए भी एक नीति बनाकर उनके साथ न्याय किया जाए।


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