चंद्रिका देवी मंदिर

By: Feb 29th, 2020 12:22 am

श्रद्धालुओं की आस्था का प्रतीक चंद्रिका देवी मंदिर लखनऊ के बख्शी कस्बे में स्थित है। एक मान्यता के अनुसार गोमती नदी के पास महीसागर तीर्थ के किनारे एक पुरातन नीम के वृक्ष की कोटर में नव दुर्गा के साथ उनकी वेदियां कई वर्षों से सुरक्षित रखी हुई हैं। शास्त्रों के मुताबिक पांडव वनवास काल में द्रौपदी के साथ इस पवित्र स्थान पर आए थे। महाराजा युधिष्ठिर ने यहां अश्वमेध यज्ञ कराया, जिसका घोड़ा चंद्रिका देवी धाम के निकट राज्य के तत्कालीन राजा हंसध्वज द्वारा रोके जाने पर युधिष्ठिर की सेना से उन्हें युद्ध करना पड़ा था। इस युद्ध में उनका पुत्र सुरथ सम्मिलित हो गया था व दूसरा पुत्र सुधन्वा युद्ध के दौरान चंद्रिका देवी धाम में नव दुर्गा की पूजा-आराधना में लीन था। युद्ध में अनुपस्थिति के कारण इस महीसागर क्षेत्र में उसे खौलते तेल के कड़ाहे में डालकर उसकी परीक्षा ली गई। परंतु मां चंद्रिका देवी की कृपा से उसके शरीर पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा था। तभी से इस तीर्थ को सुधन्वा कुंड भी कहा जाने लगा।  पुराणों के अनुसार दक्ष प्रजापति के श्राप से प्रभावित चंद्रमा को भी श्राप मुक्ति के लिए चंद्रिका धाम स्थित महीसागर संगम तीर्थ के जल में स्नान करने के लिए आना पड़ा था।

गोमती नदी की जलधारा

मां चंद्रिका के भव्य मंदिर के पास से निकली गोमती नदी की जलधारा चंद्रिका देवी धाम की तीन दिशाओं उत्तर, पश्चिम और दक्षिण में प्रवाहित होती है तथा पूर्व दिशा में महीसागर संगम तीर्थ स्थित है, जिसमें शिव जी की विशाल मूर्ति स्थापित है। मंदिर के समीप महीसागर तीर्थ की भी अपनी एक मान्यता है। स्कंदपुराण के अनुसार द्वापर युग में इसका संबंध भीम के पौते व घटोत्कच के पुत्र बर्बरीक के साथ जुड़ा है, जिसने प्राचीन समय में यहां घोर तप किया था। लोक मान्यता के अनुसार महीसागर संगम तीर्थ में कभी भी जल का अभाव नहीं होता। यही कारण है कि इस मंदिर को इतनी ख्याति मिली। आज भी करोड़ों भक्त यहां महारथी बर्बरीक की पूजा करते हैं और कुंड में स्नान करके खुद को पवित्र करते हैं और मंदिर में प्रसाद चढ़ाते हैं। मंदिर की तीन दिशाओं में गोमती नदी फैली हुई है, जो मंदिर को और भी आकर्षित बनाती है। मंदिर की प्रसिद्धि व लोकप्रियता के चलते यहां हर माह की अमावस्या को मेला लगता है, जिसमें दूर-दूर से श्रद्धालु शामिल होने के लिए आते हैं। सैकड़ों की संख्या में आने वाले भक्त मां के दरबार में आकर मन्नत मांगते हैं तथा मंदिर परिसर में घंटा बांधते हैं।

 


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