जरूरी हैं छात्रावास या खेल विंग

By: Feb 28th, 2020 12:06 am

भूपिंदर सिंह

राष्ट्रीय एथलेटिक्स प्रशिक्षक

हिमाचल प्रदेश में जब से खेल छात्रावास खुले हैं व्यक्तिगत खेलों के साथ-साथ टीम खेलों में भी काफी सुधार हुआ है। स्कूली खेल छात्रावास पपरोला में बास्केटबाल के तत्कालीन प्रशिक्षक जन्म चंद कटोच के प्रशिक्षण में इस खेल छात्रावास के कई खिलाड़ी एशियाई स्कूली खेलों में भारतीय टीम के सदस्य बने थे। माजरा स्कूली खेल छात्रावास की लड़कियों ने प्रशिक्षक चंद्रशेखर शर्मा के प्रशिक्षण कार्यक्रम में राष्ट्रीय स्कूली हाकी प्रतियोगिताओं में लगभग हर वर्ष हिमाचल प्रदेश के लिए पदक जीते हैं। खेल छात्रावास सुंदरनगर ने तत्कालीन हाकी प्रशिक्षक अशोक शर्मा के प्रशिक्षण में अंडर 17 वर्ष आयु वर्ग की राष्ट्रीय स्कूली हाकी प्रतियोगिता में हिमाचल प्रदेश की टीम ने रजत पदक जीता था…

खेल दो तरह के होते हैं व्यक्तिगत व टीम खेल। व्यक्तिगत खेलों में अकेला व्यक्ति ही स्पर्धा में अपने राज्य या राष्ट्र का प्रतिनिधित्व करता है, इस प्रकार के खेलों में एथलेटिक्स, तैराकी, भारोत्तोलन, कुश्ती, मुक्केबाजी आदि खेलों की स्पर्धाएं आती हैं। टीम खेलों में निश्चित खिलाडि़यों का समूह दल बना कर खेलता है जैसे हाकी, फुटबाल व बास्केटबाल आदि। हिमाचल प्रदेश में जब से खेल छात्रावास खुले हैं व्यक्तिगत खेलों के साथ-साथ टीम खेलों में भी काफी सुधार हुआ है। स्कूली खेल छात्रावास पपरोला में बास्केटबाल के तत्कालीन प्रशिक्षक जन्म चंद कटोच के प्रशिक्षण में इस खेल छात्रवास के कई खिलाड़ी एशियाई स्कूली खेलों में भारतीय टीम के सदस्य बने थे। माजरा स्कूली खेल छात्रावास की लड़कियों ने प्रशिक्षक चंद्रशेखर शर्मा के प्रशिक्षण कार्यक्रम में राष्ट्रीय स्कूली हाकी प्रतियोगिताओं में लगभग हर वर्ष हिमाचल प्रदेश के लिए पदक जीते हैं। खेल छात्रावास सुंदरनगर ने तत्कालीन हाकी प्रशिक्षक अशोक शर्मा के प्रशिक्षण में अंडर 17 वर्ष आयु वर्ग की राष्ट्रीय स्कूली हाकी प्रतियोगिता में हिमाचल प्रदेश की टीम ने रजत पदक जीता था। मत्याणा, रोहडू व कोटखाई के स्कूली खेल छात्रावासों से निकले वालीबाल के लड़के व लड़कियां पड़ोसी राज्यों के विश्वविद्यालयों की टीमों की शान होते थे। हिमाचल प्रदेश में भारतीय खेल प्राधिकरण के शिलारू, बिलासपुर व धर्मशाला केंद्रों से कबड्डी पुरुष व महिला टीमों ने राष्ट्रीय स्तर पर हिमाचल प्रदेश का मान बढ़ाया है। महिला टीम राष्ट्रीय स्कूली, विश्वविद्यालय जूनियर व सीनियर  प्रतियोगिताओं में हिमाचल प्रदेश को लगातार पदक दिला रही है। इस में राज्य खेल छात्रावास बिलासपुर व शिरड़ा प्रशिक्षण केंद्र सुंदरनगर के खिलाडि़यों का भी महत्त्वपूर्ण योगदान है। पिछले कुछ सालों में सचिन चौधरी व स्नेह लता द्वारा संचालित है।

बाल अकादमी के राष्ट्रीय स्तर पर हर आयु वर्ग की लड़कियों व महिलाओं की प्रतियोगिताओं में हिमाचल प्रदेश को पदक पर पदक मिल रहे हैं। वालीबाल में हिमाचल प्रदेश के खिलाडि़यों ने एशियाई खेलों तक काफी अच्छा प्रदर्शन किया है। मंडी के संधोल क्षेत्र के देशराज शर्मा को पंजाब पुलिस, जोगिंद्रनगर के हेम सिंह को सेना व हमीरपुर के नादौन के जागीर सिंह रणधावा को सीमा सुरक्षा बल ने प्रशिक्षित कर एशिया खेलों तक पहुंचने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है। महिलाओं में कला राणा व रविंद्रा से लेकर अब तक कई प्रतिभाशाली महिला खिलाड़ी सामने आ रही हैं। वालीबाल के साई प्रशिक्षक प्रीतम के प्रशिक्षण में इस बार भारतीय खेल प्राधिकरण धर्मशाला प्रशिक्षण केंद्र की लड़कियों का राष्ट्रीय स्तर पर बहुत अच्छा प्रदर्शन रहा है। अखिल भारतीय अंतर विश्वविद्यालय वालीबाल प्रतियोगिता में इस वर्ष हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय ने स्वर्ण पदक जीता है। विश्वविद्यालय खेलो इंडिया में हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के लिए कांस्य पदक जीता है। हिमाचल प्रदेश  में जूनियर खिलाडि़यों के लिए लगभग हर स्तर पर कई खेलों के लिए खेल छात्रावास मौजूद हैं मगर आगे महाविद्यालय व विश्वविद्यालय स्तर पर खिलाडि़यों के लिए हिमाचल प्रदेश में कहीं भी कोई खेल विंग नहीं है। नब्बे के दशक में हमीरपुर के सरकारी महाविद्यालय में तत्कालीन प्राचार्य डाक्टर ओपी शर्मा व शारीरिक प्राध्यापक डीसी शर्मा ने एथलेटिक्स व जुडो के प्रशिक्षकों को बुला कर उन्हें काम चलाऊ सुविधा उपलब्ध करवा कर उनके प्रशिक्षण कार्यक्रम को प्रोत्साहित किया था। हमीरपुर महाविद्यालय ने एथलेटिक्स व जुडो में कई राष्ट्रीय पदक विजेता दिए। हमीरपुर के सरकारी महाविद्यालय की तत्कालीन विद्यार्थी एथलेटिक्स में पुष्पा ठाकुर व संजो ठाकुर तथा जुडो में नूतन हिमाचल प्रदेश के सबसे बड़े खेल पुरस्कार परशुराम अवार्ड से सम्मानित हैं। इसी तरह महाराजा लक्ष्मण सेन स्मारक महाविद्यालय सुंदरनगर में तत्कालीन प्राचार्य डाक्टर सूरज पाठक व शारीरिक प्राध्यापक डाक्टर पदम सिंह गुलेरिया ने मुक्केबाजी के लिए सुविधा उपलब्ध करवाई थी। आज सुंदरनगर प्रशिक्षक नरेश कुमार के प्रशिक्षण से राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर के मुक्केबाज दे रहा है। खेल छात्रावासों ने भी बहुत व्यक्तिगत खेल स्पर्धाओं में उत्कृष्ट प्रदर्शन करवाया है। हिमाचल प्रदेश सरकार को चाहिए कि वह राज्य में अधिक से अधिक खेल छात्रावास व खेल विंग खोले ताकि हिमाचल के खिलाडि़यों को राज्य में उच्च स्तरीय प्रशिक्षण सुविधा उपलब्ध हो सके।

ई-मेल-bhupindersinghhmr@gmail.com

हिमाचली लेखकों के लिए

लेखकों से आग्रह है कि इस स्तंभ के लिए सीमित आकार के लेख अपने परिचय तथा चित्र सहित भेजें। हिमाचल से संबंधित उन्हीं विषयों पर गौर होगा, जो तथ्यपुष्ट, अनुसंधान व अनुभव के आधार पर लिखे गए होंगे।  

-संपादक


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